सीएम नीतीश कुमार अब कांग्रेस को भी धोखा दे सकते हैं! सवालों के आईने में राजनीति का हर चितेरा यह जानना चाहता है कि आखिर हमले की तोप लिए क्यों घूमा रहे हैं बिहार के सीएम नीतीश कुमार। जब मन आया, जिस पर आया, बमक पड़े। इस दौरान वह दलीय के साथ गठबंधन धर्म को भी भूला देते हैं और आलोचना करने से तनिक भी नहीं चूकते हैं। दरअसल, नीतीश कुमार जब गठबंधन दल के प्रति अविश्वास से भर जाते हैं तो प्रेशर पॉलिटिक्स के इस अमोघ अस्त्र का उपयोग अपनी राजनीति को अपने मुताबिक मोड़ने की कोशिश करते हैं। पहले राजद और अब कांग्रेस की ओर तोप का मुंह मोड़कर गठबंधन धर्म की ऐसी तैसी करने में लगे हैं। जब भाजपा के साथ थे तो हमेशा उन्हें को दबाव में रखकर अपनी राजनीतिक रोटी सेंकते रहे हैं। राजद की सत्ता काल की आलोचना करते नीतीश कांग्रेस पर गर्म हो गए। कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि बड़ी उम्मीद के साथ पटना में इंडिया I.N.D.I.A गठबंधन का गठन हुआ था। लेकिन आजकल गठबंधन का कोई काम नहीं हो रहा है। अभी कांग्रेस गठबंधन पर ध्यान नहीं देकर 5 राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव पर पूरा ध्यान केंद्रित कर रखी है। पश्चिम बंगाल में जिस तरह से लेफ्ट पार्टियां के साथ खड़ी हुई है वह ममता बनर्जी को नाराज कर देने के लिए काफी था। आम आदमी पार्टी को लेकर भी कांग्रेस कभी सीरियस नहीं रही। दिल्ली और पंजाब में आप की मजबूत स्थिति के बाबजूद कांग्रेस अरविंद केजरीवाल को लेकर आग उगलते रही।हमलोग सबको साथ लेकर चलते हैं, एकजुट करते हैं। पर कांग्रेस इन दिनों राष्ट्रीय पार्टी की तरह व्यवहार नहीं कर रही है।
नीतीश कुमार के इस गुस्से के प्रकटीकरण यूं ही नहीं हुए। बहुत दिन से कांग्रेस की नकारत्मक भूमिका से नाराज थे। एमपी में टिकट बंटवारे को लेकर कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के साथ जो व्यवहार किया वह गठबंधन धर्म के प्रतिकूल था। एक राष्ट्रीय पार्टी होने के बाद भी कांग्रेस ने बड़े भाई की भूमिका का निर्वहन नहीं किया। कांग्रेस से इसलिए भी नाराज थे कि समाजवादी पार्टी के साथ निगोशिएशन करते तो बात सुलझ जाती और एमपी में आईएनडीआई मजबूती के साथ भाजपा से लड़ती। कांग्रेस कभी भी ममता बनर्जी के साथ भी सलाहियत के साथ नहीं रही। ममता बनर्जी जातीय जनगणना को लेकर हां नहीं कही थी। बाबजूद सर्वसम्मत से आईएनडीआईए गठबंधन की ओर से इसे मुख्य मुद्दों में शामिल कर लिया। कांग्रेस पश्चिम बंगाल में जिस तरह से लेफ्ट पार्टियां के साथ खड़ी हुई है वह ममता बनर्जी को नाराज कर देने के लिए काफी था। आम आदमी पार्टी को लेकर भी कांग्रेस कभी सीरियस नहीं रही। दिल्ली और पंजाब में आप की मजबूत स्थिति के बाबजूद कांग्रेस अरविंद केजरीवाल को लेकर आग उगलते रही।
कर्नाटक और हिमाचल की जीत के बाद कांग्रेस का कॉन्फिडेंस काफी हाई हो गया है। कांग्रेस को लगता है कि पांच राज्यों के चुनाव में कांग्रेस और मजबूत बनकर उभरेगी। कांग्रेस पांच राज्यों के चुनाव को लेकर यह मान बैठी है कि इन राज्यों में कांग्रेस की मजबूत स्थिति होगी। ऐसा होता है तो कांग्रेस राज्य में समझौता करने के लिए ड्राइविंग सीट पर बैठ सकती है। भाजपा के साथ गठबंधन में रहकर भी ये भाजपा का आंख मूंद समर्थन करते नहीं दिखे। अक्सर विरोध का स्वर बुलंद करते रहे। विरोध को कुछ इस तरह अंजाम देते रहे। धारा 370 को खत्म करने के पक्ष में नहीं रहे। तीन तलाक को खत्म करने का भी पक्ष नहीं मिला। रामजन्म भूमि के मसले पर वह भाजपा के साथ अतिउत्साही नहीं हुए और उनका मत हमेश न्यायालय के फैसले के साथ रहा। गठबंधन में रहते नीतीश कुमार ने आमंत्रण दे कर भाजपा नेताओं का भोज कैंसिल कर दिया। पहले राजद और अब कांग्रेस की ओर तोप का मुंह मोड़कर गठबंधन धर्म की ऐसी तैसी करने में लगे हैं। जब भाजपा के साथ थे तो हमेशा उन्हें को दबाव में रखकर अपनी राजनीतिक रोटी सेंकते रहे हैं। राजद की सत्ता काल की आलोचना करते नीतीश कांग्रेस पर गर्म हो गए। कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि बड़ी उम्मीद के साथ पटना में इंडिया I.N.D.I.A गठबंधन का गठन हुआ था। लेकिन आजकल गठबंधन का कोई काम नहीं हो रहा है।इस भोज में वर्तमान पीएम नरेंद्र मोदी के साथ कई और दिग्गज भी आमंत्रित थे। भाजपा के साथ रहकर भी राष्ट्रपति के चुनाव में भाजपा से हटकर प्रणव मुखर्जी के पक्ष में जदयू सांसदों को वोट दिलवाया।