सिलेंडर के दाम घटाने से चुनाव में अब जीता जा सकता है! रक्षा बंधन से पहले मंगलवार को पीएम मोदी और उनकी सरकार ने देश की महिलाओं को राहत देते हुए सिलिंडर के दामों में 200 रुपये की कटौती करने का फैसला किया है। सिलिंडर के दामों में की गई इस कटौती को जहां एक ओर बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर इस कदम के सियासी मायने पढ़ने की कोशिश की जा रही है। देश में महंगाई की मार और महंगे गैस सिलिंडर को लेकर विपक्ष पिछले काफी समय से सरकार को घेरता रहा है। जब सिलिंडर के दाम बढ़ने शुरू हुए तो विपक्ष की ओर से इस पर सवाल खड़ा करने पर सत्तारूढ़ दल की ओर से दलील दी जाती थी कि विपक्षी दल अपने सरकार वाले राज्यों में इस पर सब्सिडी क्यों नहीं देते। सिलिंडर की बढ़ती कीमतों को लेकर समाज, खासकर महिलाओं में बढ़ते असंतोष को देखते हुए विपक्ष ने इसे चुनावी घोषणापत्र में शामिल करना शुरू कर दिया। आगामी पांच राज्यों के चुनाव सहित अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सिलिंडर अब सिर्फ खाना पकाने का जरिया भर नहीं रहे हैं, बल्कि धीरे-धीरे सिलिंडर की कीमतों को लेकर तपिश कुछ ऐसी बढ़ रही है, देश की सियासत में यह अजेंडा बनते जा रहे हैं। विपक्ष ने सिलिंडर को लेकर समाज में बढ़ रहे रोष को भुनाना शुरू किया तो सत्तारूढ़ दल बीजेपी पर दबाव बढ़ गया। खासकर कांग्रेस ने इसे हिमाचल प्रदेश चुनाव, कर्नाटक चुनाव में मुद्दा बनाया तो वहीं राजस्थान सरकार ने बढ़त लेते हुए अपने यहां 500 रुपये में सिलिंडर देने का ऐलान कर दिया।
कर्नाटक में बीजेपी की हार के पीछे एक कारण सिलिंडर की कीमतों के चलते महिलाओं में नाराजगी भी वजह निकलकर सामने आई। राजस्थान में गहलोत सरकार इंदिरा गांधी गैस सब्सिडी योजना के तहत इस साल अप्रैल से 500 रुपये में सिलिंडर दे रही है तो वहीं हाल ही में मध्य प्रदेश में बीजेपी की शिवराज सरकार ने 450 रुपये में सिलिंडर देने का ऐलान किया। हाल ही में सीएम अशोक गहलोत ने दावा किया था कि देश में सबसे सस्ता सिलिंडर देने वाला एकमात्र राज्य राजस्थान है, जहां 500 रुपए में सिलिंडर मिल रहा है।
माना जा रहा है कि बीजेपी सरकार के इस फैसले से देश के 33 करोड़ से ज्यादा ग्राहकों को फायदा मिलेगा। वहीं उज्जवला योजना के तहत 10 करोड़ महिलाओं को 400 रुपये की सब्सिडी मिलेगी। हालांकि इस राहत के बाद कहीं न कहीं विपक्ष पर अब सरकार के कदम की काट निकालने का दबाव भी बढ़ेगा। कभी उज्जवला योजना से बड़ा सियासी लाभ लेने वाली बीजेपी हाल के समय में महंगे सिलिंडर को लेकर सियासी दबाव में आई। पार्टी को मिले फीडबैक के अनुसार कर्नाटक चुनाव में हार के एक अहम कारण में सिलिंडर की कीमत और महंगाई भी कारक रही। दरअसल, सिलिंडर महंगाई की प्रतीक बना और यहीं विपक्ष को नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली मजबूत बीजेपी से मुकाबला के लिए पिच दिखा। अब जबकि केंद्र सरकार ने इसमें बड़ी कटौती का ऐलान किया, विपक्ष भी अब इसमें और लुभावने वादे के साथ आ सकता है। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव और आम चुनाव से पहले वोटर को लुभाने का दौर जारी रह सकता है। चूंकि अब सभी राजनीतिक दल मुफ्त और सस्ती चीजों के वादे में उतर गई है, ऐसे में मुफ्त की कल्याणकारी योजनाओं पर जारी बहस पर भी अभी चुनाव तक विराम लग सकती है।
बता दे कि प्रदेश में हर साल रक्षाबंधन पर बहनों को रोडवेज बसों में फ्री आवागमन की सुविधा दी जाती रही है। इस बार भी दी गई है लेकिन इस बार मुहूर्त दिन का नहीं बल्कि रात्रि का है। ऐसे में ज्यादातर बहनों का उसी दिन घर लौटना मुश्किल होगा। ज्यादातर बहनों का आवागमन राखी के अगले दिन यानी 31 अगस्त को होगा। जबकि फ्री यात्रा सुविधा बुधवार रात से लेकर गुरुवार रात्रि 11:59 बजे तक ही रहेगी। इसके मद्देनजर रोडवेज प्रशासन ने सरकार को पत्र भेजकर 31 अगस्त को भी महिलाओं के लिए फ्री यात्रा की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति मांगी है। रोडवेज के कार्यकारी निदेशक यातायात संजीव कुमार पांडेय का कहना है, सरकार से मंजूरी मिलते ही फ्री यात्रा के आदेश जारी कर दिए जाएंगे।
एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर फेडरेशन ऑफ राजस्थान के जिलाध्यक्ष राकेश रस्तोगी ने बताया, अभी सिलेंडर 1106 रु. का था। जबकि उज्जवला में 200 रु. केंद्र व 406 रु. राज्य सब्सिडी दे रहा था। ऐसे में उज्जवला सिलेंडर 500 रु. का पड़ता था। अब केंद्र 200 रु. और देगा तो उज्ज्वला में राज्य सरकार को सिर्फ 206 रु. देने पड़ेंगे। राज्य सरकार को प्रति सिलेंडर 200 रुपए के हिसाब से हर माह 1520 करोड़ रु. की बचत होगी। प्रदेश में उज्जवला के 76 लाख उपभोक्ता हैं। प्रदेश में एक माह में 1.12 करोड़ और जयपुर में 28 लाख सिलेंडर की खपत होती है। एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर फेडरेशन ऑफ राजस्थान के अध्यक्ष दीपकसिंह गहलोत ने बताया कि प्रदेश में तीनों तेल गैस कंपनियों के एक करोड़ 75 लाख 48 हजार से ज्यादा उपभोक्ता हैं ।