क्या नई पार्टी बना सकते हैं गुलाम नबी आजाद?

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जहां एक तरफ गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस को छोड़ दिया है वहीं दूसरी तरफ कई नेता उनकी नई पार्टी बनाने के बारे में भी बात कर रहे हैं! चार दशक तक कांग्रेस की पहचान बने गुलाम नबी आजाद को इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं होगा कि इस्तीफे का बाद उनके लिए ऐसे-ऐसे शब्द कहे जाएंगे। उन्होंने सपने में भी इन सब बातों की कल्पना नहीं की होगी। राजनीति कितनी बेरहम है इस बात का अंदाजा आपको गुलाम नबी के बारे में कांग्रेस नेताओं के बयान से लग गया होगा। कहते हैं जब आपको कोई प्यार करता है तो उसको आपकी कमियां दिखाई ही नहीं देती है लेकिन जब आपसे कोई नफरत करता है तो आपकी अच्छाई भी उसको कमियां लगने लगती है। राजनीति में जब कोई आपके पाले में है तो उससे बेहतर आदमी कोई है। वहीं, आदमी यदि आपको छोड़ तो वह गुलाम नबी आजाद बन जाता है।

क्रिया की प्रतिक्रिया?

गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस से इस्तीफा देते समय अपने पत्र में लिखा कि देश का सबसे पुराना दल अब ‘समग्र रूप से नष्ट हो चुका है’। इसका नेतृत्व आतंरिक चुनाव के नाम पर ‘धोखा दे रहा है। दुर्भाग्य से कांग्रेस में स्थिति इस स्तर पर पहुंच गई है कि वापसी का रास्ता नहीं दिख रहा है। सोनिया गांधी नाममात्र की नेता रह गई हैं क्योंकि फैसले राहुल गांधी के ‘सुरक्षागार्ड और निजी सहायक’ करते हैं। गुलाम नबी आजाद ने गांधी परिवार के चिराग राहुल गांधी पर सीधा-सीधा हमला किया। चूंकि, आज कांग्रेस में राहुल के करीबियों की भरमार है। उनकी हां में हां मिलाने वालों का दबदबा है। ऐसे में आजाद के इस्तीफे के बाद उनके खिलाफ हो रही बयानबाजी को एक्शन का रिएक्शन माना जा सकता है।

गुलाम नबी आजाद के पार्टी छोड़ने के बाद कांग्रेस ने पलटवार किया। कांग्रेस की तरफ से कहा गया कि करते हुए कहा कि आज पार्टी आजाद हो गई है। कांग्रेस वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा नें कहा कि यह उस नेता का चरित्र बताता है, जिस व्यक्ति को पार्टी ने पिछले 30-40 सालों में किसी न किसी पद पर बनाए रखा और अब जब राज्यसभा नहीं मिली तो छटपटाने लग गए और रिमोट नरेंद्र मोदी को दे दिया। खेड़ा ने कहा कि पार्टी का कार्यकर्ता इन पर हस रहा है। अपने त्यागपत्र के डेढ़ पन्नों में अपनी उपलब्धियां भी गिनाई हैं। फिर कहते हैं कि मैं निस्वार्थ था और आज कांग्रेस आजाद हो गई। भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बी.वी. ने कटाक्ष करते हुए कहा कि ऐसा लगता है, गुलाम नबी आजाद का त्यागपत्र भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने लिखा है। उन्होंने यह भी कहा कि आजाद की ओर से राहुल गांधी के संदर्भ में ‘बेबुनियाद बातें’ करना उचित नहीं है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आजाद पर निशाना साधते हुए यह कहा कि ‘जीएनए’ (गुलाम नबी आजाद) का डीएनए ‘मोदी-मय’ हो गया है। रमेश ने कहा, ‘जिस व्यक्ति को कांग्रेस नेतृत्व ने सबसे ज़्यादा सम्मान दिया, उसी व्यक्ति ने कांग्रेस नेतृत्व पर व्यक्तिगत आक्रमण करके अपने असली चरित्र को दर्शाया है। पहले संसद में मोदी के आंसू, फिर पद्म विभूषण, फिर मकान का एक्सटेंशन…यह संयोग नहीं, सहयोग है। कांग्रेस के वरिष्ठ कांग्रेस नेता एम. मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि पार्टी ने गुलाम नबी आजाद को उनकी लंबी पारी के दौरान ‘सब कुछ’ दिया। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि पार्टी ने आजाद को छात्र जीवन से ही पद दिया, उन्हें युवा कांग्रेस और संगठन में स्थान दिया गया, उन्हें मंत्री बनाने समेत कई राज्यों में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) का प्रभारी बनाया गया था। खड़गे ने कहा कि इस समय पार्टी को छोड़ना उन फासीवादी ताकतों को मजबूती देना है, जो भारत के संवैधानिक तानेबाने और संविधान को नष्ट कर रहे हैं।

ऐसा नहीं है कि आजाद के विरोध में बोलने वाले लोग ही हैं। कई ऐसे नेता भी हैं जो आजाद के इस फैसले का समर्थन कर रहे हैं। कांग्रेस के नेताओं के लगातार विरोध वाले बयानों को बीच गुलाम नबी आजाद को पार्टी में पुराने सहयोगियों का समर्थन भी मिल रहा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने आजाद के पार्टी छोड़ने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि आजाद पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता और धर्मनिरपेक्ष चेहरा थे। वहीं, पंजाब के पूर्व सीएम और दिग्गज कांग्रेसी रहे अमरिंदर सिंह ने कहा कि गुलाम नबी आजाद पर निराधार आरोप लगाने के बजाय आपको (पार्टी नेता) आत्मावलोकन करना चाहिए कि पार्टी छोड़ने का यह सिलसिला रुक क्यों नहीं रहा है। पंजाब के पूर्व सीएम ने कहा कि एक विवेकशील और ईमानदार नेता सिद्धांतों तथा गरिमा से समझौता नहीं कर सकता है। अमरिंदर सिंह ने कहा कि पार्टी नेताओं के खून-पसीने और कड़ी मेहनत से बनती है। यह किसी एक व्यक्ति की मेहनत का फल नहीं हो सकती।

जम्मू-कश्मीर में डोडा जिले के भद्रवाह के सोती गांव में 1949 में जन्मे आजाद ने कांग्रेस में धीरे-धीरे अपना कद बढ़ाया। आजाद साल 2006 में अपने गृह राज्य के मुख्यमंत्री बने। राजनीति में अपने लगभग 50 वर्षों के सफर में वह दो बार लोकसभा और पांच बार राज्यसभा सदस्य रहे हैं। पार्टी में कई शीर्ष पदों पर रहने के साथ ही आजाद 1982 के बाद से बनीं कांग्रेस सरकारों में केंद्रीय मंत्री रहे। वह 2006 और 2008 में जम्मू-कश्मीर विधानसभा के सदस्य भी रहे।