गुजरात चुनाव में केजरीवाल कांग्रेस के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं! गुजरात चुनाव कवरेज के दौरान जब हम जामनगर से द्वारका पहुंचे तब जातीय समीकरण की मजबूती समझ में आई। अहमदाबाद के शहरी इलाकों में आपको लगेगा गुजरात की वोटिंग बिहार-यूपी से बिल्कुल अलग है। दरअसल ये भ्रम है या शहर तक सीमित है। वो बताना नहीं चाहते। अधिकतर की जुबां से निकलता है – यहां हम पक्ष (पार्टी) देखकर वोट करते हैं। हालांकि पॉश का परदा हटते ही ये भ्रम भी दूर हो जाता है। अहमदाबाद-गांधीनगर के बीच चायवाला ने बताया कि उसका घर बनासकांठा है और उसके पास गांव में 100 गाय है। यहां पशुपालकों को मालधारी कहते हैं। प्रमोद भरवाड़ समुदाय से है। वो भाजपा से नाराज हैं क्योंकि शहरों नगरपालिका वाले गायों को उठा ले जा रहे हैं। आवारा पशुओं पर नियंत्रण के लिए बने नियम के बाद इन्हें गोशाला में रखा जाता है लेकिन मालधारी समाज इससे खफा है। ये कहते हैं कि पिछली बार कांग्रेस को वोट किया था लेकिन इस बार नई पार्टी पर मन बना रहे हैं। जब हम द्वारका पहुंचे तो वहां जातीय समीकरण की सारी परतें खुल गईं और ये सिलसिला समंदर किनारे किनारे पोरबंदर, सोमनाथ से लेकर भावनगर तक जारी रहा। एक अजीब बात ये समझ में आती है कि एंटी इनकंबेंसी सत्ताधारी दल के बदले कांग्रेस के खिलाफ ज्यादा दिखाई देती है। और फायदे में अरविंद केजरीवाल नजर आते हैं। जातीय समीकरणों के लिहाज से कांग्रेस ने क्षत्रिय-हरिजन-आदिवासी-मुसलमान (KHAM)के माधव सिंह सोलंकी फॉर्म्युले पर 1985 में रेकॉर्ड 149 सीटें हासिल की थी। केशुभाई पटेल ने कोली-कणबी-मुसलमान (KOKAM)से इसे ध्वस्त कर दिया था। लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी का OTP प्लान यानी पिछड़े, आदिवासी और पटेल का नया गठजोड़ कांग्रेस को ध्वस्त करता हुआ दिखाई देता है।
हां, दिलचस्प ये देखना है कि सूरत और सौराष्ट्र में कितने पाटीदारों को अरविंद केजरीवाल अपनी तरफ खींच सकते हैं। जो भी जाएंगे भाजपा का नुकसान होगा लेकिन पिछड़ों और आदिवासियों में सेंध से कांग्रेस को कई गुणा ज्यादा नुकसान हो सकता है जिससे भूपेंद्र पटेल लंबी सांस ले सकते हैं। 2017 में पाटीदार अमानत आंदोलन समिति (PAAS) के भाजपा विरोधी आंदोलन के बावजूद सभी सातों सीटों पर भगवा फहराया। इस बार वराछा रोड से अल्पेश कथीरिया और ओल्पाड से धर्मेंद्र मालवीय आप के मजबूत कैंडिडेट माने जा रहे हैं। यहां स्थानीय निकाय चुनाव में आप ने 27 परसेंट वोट हासिल कर दमदार उपस्थिति दर्ज कराई थी। वही सौराष्ट्र में मोरबी, अमरेली, जूनागढ़, गिर सोमनाथ में भाजपा को भारी नुकसान झेलना पड़ा था। लेकिन इस बार पटेलों में वो गुस्सा नहीं है। हार्दिक पटेल खुद भाजपा के टिकट से वीरमगाम से मैदान में हैं। पाटीदारों के आरक्षण आंदोलन के खिलाफ मुखर हुए अति पिछड़ा का चेहरा अल्पेश ठाकोर भी भाजपा के टिकट पर गांधीनगर दक्षिण से ताल ठोक रहे हैं। भाजपा ने सीटिंग विधायकों के खिलाफ किसी भी लहर को समाप्त करने के लिए तमाम शहरी सीटों पर चेहरे बदल डाले हैं। जैसे राजकोट की चारों शहरी सीटों पर नए कैंडिडेट हैं।
गुजरात में पाटीदारों का वोट शेयर 15 प्रतिशत है लेकिन वर्चस्व इनका है। खेती बाड़ी में भी और राजनीति में भी। इसके भी साइड इफेक्ट्स हैं। अगर टिकट की बात करें तो आप ने 46 पाटीदारों को जगह दी है, कांग्रेस ने 42 और भाजपा ने 45 पटेलों को टिकट दिया है। लगभग 50 सीटों पर ये खेल बना-बिगाड़ सकते हैं। अरविंद केजरीवाल ने गोपाल इटालिया की गिरफ्तारी को पटेलों का अपमान बताकर समां बांधने की कोशिश की ही थी। ये कांग्रेस के लिए खतरनाक संकेत है। इससे भी ज्यादा ओटीपी का ओ यानी अदर बैकवर्ड क्लास के वोटर्स जिन्हें केजरीवाल अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रहे हैं। इसुदान गढ़वी को खंभालिया से टिकट दिया है जहां आहिर (यादव) की संख्या काफी है। द्वारका में प्रदीप मांगे ने बताया कि वो सतवार जाति से है जो मूंगफली का दाने बिछाने जैसे खेती का काम करती है। उसकी के बगल में अमृत परमार की दुकान थी। दोनों ने बताया कि द्वारका से पबुभाई माणेक अगर भाजपा से जीत रहे हैं तो वो सिर्फ दबंगई के कारण। जाति संख्या में सतवार, माली, आहिर ज्यादा है और वो हैं वाघेल यानी क्षत्रिय। दोनों का कहना है कि इस बार कांग्रेस के बदले आप को वोट जा सकता है।
यही हाल कमोबेश सौराष्ट्र के हर हिस्से में दिखा। परोबंदर के कुटियाना में ओबीसी के रबारी समुदाय के भीमाभाई मकवाणा को आप ने टिकट दिया है जहां से बाहुबली कांधल जडेजा लड़ रहे हैं। पोरबंदर में कई साल से मेहर समाज को दोनों पार्टियां टिकट देती है। यहां मेहर समाज की संख्या बहुत है। लोहाणा या रघुवंशी समाज है और ब्राह्मण भी हैं। इसलिए कांटे की टक्कर है। जो भी जीतेगा अंतर बहुत कम रहेगा। हालांकि भाजपा के वोट बैंक ज्यादा हिलता हुआ दिख नहीं रहा। स्थानी पत्रकार जयेश जोशी ने हमें बताया कि अब पटेलों की नाराजगी नहीं है और जो नाराज होकर कांग्रेस की तरफ गए वो भाजपा की तरफ ज्यादा लौटेंगे और कुछ आप की तरफ भी जाएंगे। सवर्णों, जैन और स्वामीनाथ संप्रदाय से जुड़े लोगों का झुकाव भाजपा की तरफ कायम है। गुजरात में लगभग 48 परसेंट ओबीसी वोट है जिसमे कोली समुदाय की संख्या बहुत है। पोरबंदर से जूनागढ़ के रास्ते में एक चौक पर दूध ढोने वाले दो लोगों ने बताया कि आप कैंडिडेट रामजीभाई चुडास्मा टक्कर दे रहे हैं। ये भी पहले कांग्रेस को वोटर रहे। हालांकि दुकान मालिक महेश परमार ताल ठोक कर कहते हैं कि भाजपा का कोई विकल्प नहीं है और आएगी तो भाजपा ही। जूनागढ़-अमरेली में मुसलमान वोटर काफी हैं और पूरे गुजरात में लगभग नौ प्रतिशत। ये कांग्रेस को वोट करते आए हैं लेकिन इस बार कुछ झुकान झाड़ू की तरफ है। जूनागढ़ में मणावदर, विसावदर में पटेल वोटर काफी हैं। ओबीसी में कोली के अलावा सोलंकी, बावड़िया और आहिर भी हैं। आदिवासी इलाकों में भाजपा ने पेसा लागू कर 15 प्रतिशत वोट को अपने पाले में रखने की कोशिश की है। वहां आप की दाल कितनी गलेगी कहना मुश्किल है। दलितों का सात प्रतिशत वोट कांग्रेस अपने पाले में रखना चाहती है और देखना होगा जिग्नेश मेवानी इसमें कितनी मदद करते हैं।