मायावती अब बीजेपी के नजदीक भी जा सकती है! लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर एक ओर राजनीतिक पार्टियां अपनी तैयारियों को धार देने में जुट गई है। साथ ही दूसरी ओर अपने राजनीतिक नफा-नुकसान को ध्यान में रखते हुए किसी गठबंधन में शामिल होने का निर्णय ले रहे हैं। इसी क्रम में सबकी निगाहें बसपा सुप्रीमो मायावती पर टिकी हैं। हालांकि मायावती पहले ही आगामी चुनाव में एकला चलो का रास्ता अपना चुकी है। लेकिन NDA और I.N.D.I.A एलाइंस के सहयोगी दल के नेता मायावती को अपने पाले में लाने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। उधर, मायावती ने समाजवादी पार्टी को आड़े हाथों लेते हुए I.N.D.I.A गठबंधन के साथ ना जाने की मंशा बना ली है। इसी बीच अखिलेश यादव से नाराज मायावती ने बीजेपी सरकार से एक मांग कर दी है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा जोरों पर है कि योगी सरकार ने अगर अपनी दरियादिली बहनजी पर दिखाई तो यूपी में बीजेपी गठबंधन को क्लीनस्वीप करने से कोई नहीं रोक पाएगा। अब गेंद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के पाले में है। दरअसल इस वक्त देश में दो गठबंधन तैयार हैं। एक NDA जिसमें बीजेपी के साथ सुभासपा, अपना दल एस, निषाद पार्टी समेत अन्य पार्टी शामिल है। वहीं दूसरे I.N.D.I.A एलायंस में कांग्रेस, सपा, RLD, अपना दल कमेरावादी समेत अन्य दल साथ है। इस सबके बीच कुछ पार्टियां ऐसी भी है जो अकेले दम पर ताल ठोक रही हैं। जैसे बहुजन समाज पार्टी। इसी के चलते जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है, बसपा केंद्र बिंदु में आ गई है।
बसपा को साथ में लाने के लिए कांग्रेस नेता अजय कुमार लल्लू ने मायावती से हाथ जोड़कर अपील भी की है। कांग्रेस की ओर से की जा रही जोर आजमाइश के बाद से चर्चा है कि बसपा इंडिया गठबंधन के साथ आ सकती है। वहीं मायावती के इंडिया गठबंधन के साथ आने के सवाल पर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने उल्टा मायावती को आड़े हाथों लेते हुए उन्हीं की विश्वसनीयता पर सवाल उठा दिया है। वहीं मायावती ने अखिलेश यादव को अपने गिरेबां में झांकने तक की नसीहत दे डाली है। मायावती ने सपा को दलित विरोधी बताते हुए 2 जून 1995 की गेस्ट हाउस कांड की घटना को याद किया और कहा कि समाजवादी पार्टी ने हमेशा दलित विरोधी फैसले किए हैं। मायावती ने अखिलेश पर निशाना साधते हुए कहा कि बसपा के यूपी कार्यालय के पास इसलिए ऊंचा पुल बनाया ताकि अराजक तत्त्वों के जरिए बसपा के दफ्तर और कर्मचारियों को हानि पहुंचा सके।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने यूपी सरकार से कोई सुरक्षित जगह प्रदेश कार्यालय मुहैया कराने की मांग की है। मायावती ने कहा कि बसपा के पार्टी दफ्तर पर कभी भी अनहोनी हो सकती है। वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती के बयान पर यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य अब मायावती के समर्थन में आ गए हैं। उन्होंने कहा कि हमने तो पहले ही कहा था कि सपा गुंडों और माफियाओं की पार्टी है, इस पार्टी से बचकर रहें। इसके साथ ही केशव ने कहा कि मायावती यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री रहीं हैं और बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। प्रदेश में बीजेपी की सरकार है, बहनजी समेत प्रदेश के हर नागरिक की सुरक्षा के प्रति सरकार संकल्पित हैं।
वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती की योगी सरकार से की गई मांग के बाद यूपी की राजनीति गरमा गई है। राजनीतिक गलियारों में बीएसपी के बीजेपी के साथ आने की सुगबुगाहट भी तेज हो गई है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है। इसको लेकर वरिष्ठ पत्रकार सुरेश बहादुर सिंह का कहना है कि अभी यह कहना मुश्किल होगा कि अगर मायावती की मांग मान ली जाती है तो वह बीजेपी के साथ खड़ी दिखाई देंगी। लेकिन इतना जरूर है कि अगर उनकी ये मांग मानी जाती है और अगर नहीं भी मानी जाती है तो भी बीजेपी के प्रति उनका सॉफ्ट कॉर्नर है। वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि बीजेपी बिना बीएसपी के समर्थन के ही 70 सीटें मौजूदा स्थिति में जीत सकती है। अगर बसपा साथ आ जाए तो बीजेपी को 75 प्लस सीट जीतने से कोई नहीं रोक सकता है।
राजनीति में संभावनाओं को लेकर वरिष्ठ पत्रकार सुरेश बहादुर सिंह ने कहा, गेस्ट हाउस कांड के बाद यह माना जा रहा था कि सपा और बसपा में कभी एक नहीं हो पाएगी। ऐसा लंबे समय तक देखने को भी मिला। पिछले 2019 लोकसभा चुनाव में बसपा और सपा एक साथ आ गए। साथ में प्रचार करके एक साथ चुनाव भी लड़ा। लेकिन उसके कुछ ही दिन बाद मायावती ने कहा कि सपा के साथ जाना हमारे लिए घातक साबित हुआ है, जिसका हमें नुकसान भी उठाना पड़ा है। यह बातें कहकर मायावती ने सपा से खुद को अलग कर लिया। अब मायावती के सपा को लेकर दिए गए मौजूदा बयान पर वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि मायावती ने कल जो बयान दिया है उसे बिल्कुल साफ हो गया है कि माया को सपा से ज्यादा बीजेपी पसंद है।
मायावती भाजपा गठबंधन के साथ जाएं या ना जाएं, यहां तक की अगर मायावती अकेले दम पर भी चुनाव लड़ती हैं तो उस स्थिति में भी बीजेपी को ही फायदा मिलेगा। क्योंकि प्रदेश में मतों का जितना बंटवारा होगा, उसका सीधा फायदा बीजेपी को मिलेगा। सुरेश बहादुर ने कहा कि बीजेपी की पूरी कोशिश रहेगी कि सपा और बसपा में कभी एकता ना होने पाए। उन्होंने कहा कि यूपी में चुनाव हमेशा जाति-धर्म के आधार पर हुआ है। इस बार भी इसी आधार पर चुनाव हो सकता है। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से जब जाति समीकरण बिगड़ेंगे तो धार्मिक समीकरण अच्छे बनेंगे, जिसका सीधा लाभ भाजपा को मिलेगा।