क्या अब देश में लागू हो सकता है एक राष्ट्र एक चुनाव?

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आने वाले समय में देश में एक राष्ट्र एक चुनाव लागू हो सकता है! भारत में एक देश एक चुनाव के लिए काफी दिनों पहले एक समिति बनाई गई थी। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को इसका चेयरमैन बनाया गया है। अब इस उच्च स्तरीय समिति ने एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया है। नोटिस में लोगों से इसपर सुझाव मांगे गए हैं। समिति ने अपने नोटिस में कहा है कि लोग अपने सुझाव समिति की वेबसाइट onoe.gov.in पर पोस्ट कर सकते हैं। इसके अलावा लोग ईमेल के जरिए भी अपने सुझाव भेज सकते हैं। आप sc-hlc@gov.in पर ईमेल कर अपने सुझाव भेज सकते हैं। इससे पहले, एक देश एक चुनाव के लिए बनाई गई समिति ने अपनी प्रारंभिक बैठक की। इस बैठक में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह, कानून और न्याय मंत्रालय में राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार अर्जुन राम मेघवाल, राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद, 15वें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एन. के. सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव डॉ. सुभाष सी. कश्यप और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी मौजूद थे। वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे वर्चुअल माध्यम से बैठक में शामिल हुए।

एक राष्ट्र, एक चुनाव का गठन 20 सितंबर, 2023 की एक अधिसूचना के माध्यम से किया गया था। संदर्भ की शर्तों के अनुसार, समिति को स्थाई आधार पर एक साथ चुनाव कराने के लिए एक उपयुक्त कानूनी और प्रशासनिक ढांचे के निर्माण, संविधान और संबंधित चुनाव कानूनों में आवश्यक संशोधनों की पहचान, आम मतदाता सूची तैयार करने, ई. वी. एम. एस./वी. वी. पी. ए. टी. एस. जैसे रसद के लिए सिफारिशें करने की आवश्यकता थी। देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए मौजूदा कानूनी प्रशासनिक ढांचे में उचित बदलाव करने के लिए आम जनता के सदस्यों से लिखित में सुझाव आमंत्रित किए गए हैं। 15 जनवरी, 2024 तक प्राप्त सभी सुझावों को समिति के समक्ष विचार के लिए रखा जाएगा। यही नहीं आपको बता दें कि कांग्रेस ने 2024 लोकसभा चुनाव के लिए अपने मैनिफेस्टो का मसौदा तैयार करने के लिए बैठक की। घोषणापत्र का मसौदा तैयार करने की जिम्मेदारी संभालने वाली कांग्रेस की समिति ने अपनी पहली बैठक में दस्तावेज में शामिल किए जाने वाले विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा की। लगातार करीब 10 साल से सत्ता पर काबिज भाजपा से सत्ता छीनने की कोशिश में जुटी कांग्रेस का लक्ष्य जनता के सामने एक वैकल्पिक सकारात्मक एजेंडा पेश करना है। बता दें कि कांग्रेस ने गुरुवार को ही अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा की घोषणा की है जो 14 जनवरी से शुरू होकर 20 मार्च तक चलेगी। समिति के अध्यक्ष पी. चिदंबरम ने बैठक के बाद कहा, ‘घोषणापत्र समिति की यह पहली बैठक थी। यह प्रारंभिक विचारों का आदान-प्रदान था कि हम घोषणापत्र के प्रारूप के साथ कैसे आगे बढ़ते हैं। अगली बैठक अगले सप्ताह होगी।’ चिदंबरम के अलावा, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और छत्तीसगढ़ के पूर्व उपमुख्यमंत्री टी.एस. सिंह देव समिति का हिस्सा हैं। सिंह देव समिति के संयोजक हैं।

पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा, जयराम रमेश, शशि थरूर, रंजीत रंजन, गौरव गोगोई, के. राजू और गैखंगम भी समिति का हिस्सा हैं और बैठक में शामिल हुए। पहले, एक देश एक चुनाव के लिए बनाई गई समिति ने अपनी प्रारंभिक बैठक की। इस बैठक में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह, कानून और न्याय मंत्रालय में राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार अर्जुन राम मेघवाल, राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद, 15वें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एन. के. सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव डॉ. सुभाष सी. कश्यप और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी मौजूद थे। संदर्भ की शर्तों के अनुसार, समिति को स्थाई आधार पर एक साथ चुनाव कराने के लिए एक उपयुक्त कानूनी और प्रशासनिक ढांचे के निर्माण, संविधान और संबंधित चुनाव कानूनों में आवश्यक संशोधनों की पहचान, आम मतदाता सूची तैयार करने, ई. वी. एम. एस./वी. वी. पी. ए. टी. एस. जैसे रसद के लिए सिफारिशें करने की आवश्यकता थी। देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए मौजूदा कानूनी प्रशासनिक ढांचे में उचित बदलाव करने के लिए आम जनता के सदस्यों से लिखित में सुझाव आमंत्रित किए गए हैं।वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे वर्चुअल माध्यम से बैठक में शामिल हुए।राज्यसभा सदस्य इमरान प्रतापगढ़ी, गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जिग्नेश मेवाणी और कांग्रेस अध्यक्ष के कार्यालय में समन्वयक गुरदीप सप्पल और अमिताभ दुबे भी अहम समिति का हिस्सा हैं।