क्या लाल मिर्च के भी हो सकते हैं फायदे? जानिए!

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सामान्य तौर पर प्रत्येक व्यक्ति ज्यादा लाल मिर्च खाने से मना करता है! लाल मिर्च की बात याद आते ही तीखा, चटपटा स्वाद मुँह में आ जाता है। हर भारत के रसोईघर में व्यंजन में स्वाद लाने के लिए लाल मिर्च का उपयोग किया जाता है। लेकिन अयुर्वेद में लाल मिर्च का इस्तेमाल औषधी के रूप कैसे किया जाता है चलिये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

लाल मिर्च अपने तीखे स्वभाव के कारण बहुत प्रसिद्ध है, यह कटु रस और लार निकलने वाले द्रव्यों में प्रधान है। कच्चे अवस्था में इसके हरे फलों का उपयोग अचार और शाक बनाने में होता है, तथा पके और लालफल, शुष्क अवस्था में मसाले के लिए उपयोग में लाए जाते हैं।

लाल मिर्च कफ वात को दूर करने वाला, पित्त को बढ़ाने वाला, वात को हरने वाला, हृदय को उत्तेजित करने वाला, मूत्र को बढ़ाने वाला, वाजीकरण या काम की इच्छा जाग्रत करने वाला और बुखार में फायदेमंद होता है।  इसके तीखे प्रकृति के कारण यह लार निकलने में मदद करता है और खाने को हजम करने में मदद करता है।

लाल मिर्च के फायदे

अगर किसी कारणवश सांस लेने में  समस्या हो रही है तो तुरन्त आराम पाने के लिए लाल मिर्च का सेवन ऐसे करने से लाभ मिलता है। मिर्च फल का प्रयोग सांस की बीमारी के परेशानी को कम करने के लिए उपयोग किया जाता है।कभी-कभी खांसी ज्यादा होने पर गले की आवाज भारी हो जाती है। ऐसी हालत में लाल मिर्च का सेवन इस तरह से करने पर स्वरभंग के अवस्था से निजात मिलता है।

शक्कर और बादाम के साथ थोड़ी-सी लाल मिर्च को मिलाकर 125 मिग्रा की गोली बनाकर सेवन करने से स्वरभंग में लाभ होता है।

1 लीटर पानी में 10 ग्राम पिसी हुई मिर्च (मिर्च ज्यादा तेज हो तो 5 ग्राम या आवश्यकतानुसार कम ज्यादा करें) डालकर काढ़ा या हिमफाण्ट बना लें, इस पानी का कुल्ला करने से मुखपाक (मुँह में घाव और सूजन) तथा गले में दर्द से जल्दी राहत मिलती है। (मिर्च का अधिक सेवन पित्त-प्रकृति वाले व्यक्तियों के लिए हानिकारक है।

अक्सर मसालेदार खाना खाने या असमय खाना खाने से पेट में गैस हो जाने पर पेट दर्द की समस्या होने लगती है। लाल मिर्च का सेवन औषधि के रुप में करने से आराम मिलता है।

100 ग्राम गुड़ में 1 ग्राम लाल मिर्च चूर्ण मिलाकर 1-2 ग्राम की गोली बना के सेवन करने से उदरशूल या पेट दर्द से राहत मिलती है।

आधा ग्राम लाल मिर्च चूर्ण को 2 ग्राम शुंठी चूर्ण के साथ मिलाकर सेवन करने से खाने की इच्छा बढ़ने के साथ , पेट के दर्द और आध्मान में लाभ होता है।पित्त प्रकोप के कारण जिसको भोजन के प्रति अरुचि उत्पन्न हो गई हो, भूख न लगती हो तो आवश्कतानुसार मिर्च बीज तेल की 5-10 बूंद को बतासे में भरकर या शक्कर के साथ खाने से अत्यन्त लाभ होता है।

अगर किसी कारणवश हैजा हो गया है तो लाल मिर्च का ऐसे सेवन करने से जल्दी आराम मिलता है।

लाल मिर्च के बीज अलगकर छिल्कों को महीन पीसकर कपड़े से छान कर थोड़ा कपूर और हींग मिला लें (हींग और कूपर के अभाव में केवल मिर्च ही ले लें)। इन तीनों को शहद में घोटकर 125-250 मिग्रा की गोलियाँ बना लें। सुबह शाम 1-1 गोली सेवन करने से विसूचिका या हैजा में लाभ होता है।

विसूचिका में प्रत्येक उल्टी और दस्त के बाद, रोगी को 1/2 चम्मच मिर्च तेल पिलाने से 2-3 बार में ही रोगी को आराम हो जाता है।

लाल मिर्ची को बारीक पीसकर, बेर जैसी गोलियाँ बनाकर रख लें। विसूचिका के रोगी को 1-1 घन्टे के अन्तर से 1-1 गोली व लौंग सात नग देने से विसूचिका की प्रत्येक दशा में आराम हो जाता है।

पाँच लाल मिर्च चूर्ण तथा सात बताशे के चूर्ण को जल में घोल कर, शर्बत बनाकर थोड़ी-थोड़ी देर पर सेवन करने से विसूचिका में लाभ होता है।

पुरानी अपांप्म, हींग, मरिच, कर्पूर तथा लाल मिर्च बीज चूर्ण को मिलाकर 125 मिग्रा की वटी बनाकर 1-1 वटी का सेवन करने से विसूचिका एवं अतिसार या दस्त से जल्दी आराम मिलती है।

अक्सर असंतुलित जीवनयापन करने पर पेट की समस्या से सबसे ज्यादा परेशान रहना पड़ता है। ऐसे में लाल मिर्च का सेवन अच्छा होता है। भोजन के साथ मिर्च का सेवन करने से अजीर्ण (अपच), आध्मान (पेट फूलना) तथा विसूचिका (हैजा) में लाभ होता है।

आजकल की भाग-दौड़ और तनाव भरी जिंदगी ऐसी हो गई है कि न खाने का नियम और न ही सोने  का। फल ये होता है कि लोग मधुमेह या डायबिटीज का शिकार होते जा रहे हैं।मिर्च बीजों के एक बूँद तेल को बतासे में डालकर, लस्सी के साथ खाने से प्रमेह में बहुत लाभ होता है।