राजस्थान चुनाव से पहले सचिन पायलट और अशोक गहलोत एक बार फिर से भिड़ सकते हैं! राजस्थान विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के दो दिग्गज अशोक गहलोत और सचिन पायलट में फिर ठनती दिख रही है। उनके बीच फिर से बयानबाजी का दौर शुरू होता दिख रहा। पिछले कुछ महीनों से दोनों नेता शांत थे और एक दूसरे पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहे थे। हालांकि, शुक्रवार को जयपुर में आयोजित एक न्यूज पोर्टल के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सचिन पायलट पर बड़ा तंज कसा। सीएम गहलोत ने मुस्कुराते हुए कहा कि पायलट तो खुद हाईकमान हैं। चुनाव में उनकी क्या भूमिका रहेगी, यह तो वे खुद तय करेंगे। कांग्रेस के इन दोनों नेताओं के बीच पिछले साढ़े चार साल से टकराव देखने को मिल रहा। मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर गहलोत और पायलट के बीच सियासी खींचतान लगातार जारी रही। गहलोत और पायलट को साथ लेकर बैठक की। दोनों के बीच सुलह करवाई गई। साढ़े चार महीने तक गहलोत और पायलट दोनों शांत थे। अब सीएम गहलोत ने जिस तरह से पायलट पर तंज कसा उससे ऐसा लग रहा जैसे शीत युद्ध को फिर हवा दे दी गई है।हालांकि ‘राजनीति के जादूगर’ कहे जाने वाले अशोक गहलोत हर बार सचिन पायलट पर भारी पड़े। पायलट ने गहलोत पर कई बार सियासी वार करने की कोशिश की और उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने के भरसक प्रयास किए। जुलाई 2020 में पायलट और उनके 18 समर्थकों ने मोर्चा ही खोल दिया। वो राजस्थान से बाहर चले गए। इधर सरकार बचाने के लिए गहलोत और उनके समर्थक विधायकों को 34 दिन तक होटलों में रहना पड़ा। पायलट के तमाम दांव पेच के बावजूद भी वे सीएम गहलोत की कुर्सी नहीं हिला सके। पार्टी हाईकमान बार बार आश्वासन देकर पायलट को मनाती रही।
इसी साल अप्रैल में सीएम गहलोत के खिलाफ अनशन करने के बाद मई में सचिन पायलट ने अजमेर से लेकर जयपुर तक पैदल मार्च निकाला। गहलोत सरकार के खिलाफ प्रदेशभर में आंदोलन करने की चेतावनी भी दी थी। हालांकि, 29 मई को कांग्रेस नेतृत्व ने गहलोत और पायलट को साथ लेकर बैठक की। दोनों के बीच सुलह करवाई गई। साढ़े चार महीने तक गहलोत और पायलट दोनों शांत थे। अब सीएम गहलोत ने जिस तरह से पायलट पर तंज कसा उससे ऐसा लग रहा जैसे शीत युद्ध को फिर हवा दे दी गई है।
अशोक गहलोत और उनके समर्थक नेताओं ने सचिन पायलट के लिए गद्दार, नकारा, निकम्मा और कोरोना जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया था। पायलट ने हर आरोप पर संयम बरता और ऐसी कोई टिप्पणी नहीं की, जिसमें शब्दों की मर्यादा तोड़ी गई हो। अब सीएम गहलोत ने पायलट पर तंज कसे जाने के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे। लोगों का कहना कि पार्टी हाईकमान ने गहलोत और पायलट के बीच सुलह कराई थी। लेकिन अब अशोक गहलोत का तंज आग में घी डालने का काम कर सकता है। हालांकि पायलट की ओर से फिलहाल कोई पलटवार नहीं आया है।
एक सवाल का जवाब देते हुए सीएम गहलोत ने मुस्कुराते हुए कहा कि सचिन पायलट हमारी पार्टी के नेता हैं। बता दें कि मुख्यमंत्री पद से हटाने के भरसक प्रयास किए। जुलाई 2020 में पायलट और उनके 18 समर्थकों ने मोर्चा ही खोल दिया। वो राजस्थान से बाहर चले गए। राजस्थान से बाहर चले गए। इधर सरकार बचाने के लिए गहलोत और उनके समर्थक विधायकों को 34 दिन तक होटलों में रहना पड़ा। पायलट के तमाम दांव पेच के बावजूद भी वे सीएम गहलोत की कुर्सी नहीं हिला सके। पार्टी हाईकमान बार बार आश्वासन देकर पायलट को मनाती रही।इधर सरकार बचाने के लिए गहलोत और उनके समर्थक विधायकों को 34 दिन तक होटलों में रहना पड़ा। पायलट के तमाम दांव पेच के बावजूद भी वे सीएम गहलोत की कुर्सी नहीं हिला सके। पार्टी हाईकमान बार बार आश्वासन देकर पायलट को मनाती रही। अब तो वे खुद हाईकमान हैं क्योंकि वे सीडब्ल्यूसी के मेंबर हैं। गहलोत ने कहा कि सीडब्ल्यूसी का मेम्बर होना अपने आप में बड़ी बात है।जिसमें शब्दों की मर्यादा तोड़ी गई हो। अब सीएम गहलोत ने पायलट पर तंज कसे जाने के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे। लोगों का कहना कि पार्टी हाईकमान ने गहलोत और पायलट के बीच सुलह कराई थी। लेकिन अब अशोक गहलोत का तंज आग में घी डालने का काम कर सकता है। हालांकि पायलट की ओर से फिलहाल कोई पलटवार नहीं आया है। टिकट वितरण से जुड़े सवाल पर गहलोत ने कहा कि एआईसीसी और सीडब्ल्यूसी के सदस्यों की सलाह पर ही पार्टी आलाकमान टिकट तय करता है। अब पायलट की भूमिका उन्हें खुद तय करनी है।