योग हर बीमारी में कामग़र साबित होते हैं! प्रोस्टेट कैंसर, वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ती गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। भारत में प्रोस्टेट कैंसर, तीसरे सबसे तेजी से बढ़ते कैंसर के रूप में जाना जाता है। प्रोस्टेट ग्रंथि में कैंसर कोशिकाओं के बढ़ने के कारण यह समस्या होती है। इस स्थिति में रोगी को पेशाब करने में कठिनाई, स्खलन, बार-बार पेशाब आने और मूत्र से रक्त आने जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।
आंकड़ों के मुताबिक भारत में प्रोस्टेट कैंसर के साथ 5 साल या उससे अधिक समय तक जीवित रहने की संभावना 64 फीसदी के करीब की हो सकती है। आनुवांशिकता के साथ जीवनशैली की गड़बड़ी और खान-पान की समस्याओं को प्रोस्टेट कैंसर का जोखिम बढ़ाने वाला माना जाता है।
कई अध्ययनों में जिक्र मिलता है कि जो लोग नियमित रूप से योग-व्यायाम का अभ्यास करते हैं, उनमें अन्य लोगों की तुलना में इस कैंसर के विकसित होने का जोखिम कम होता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि योग के माध्यम से बढ़े हुए प्रोस्टेट के लक्षणों को सुधारने में मदद मिल सकती है। दिनचर्या में सभी लोगों को कुछ योगासनों को जरूर शामिल करना चाहिए, जिससे इन गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को कम किया जा सके। आपके जीवन की गुणवत्ता को सुधारने में भी यह आसन काफी मदद कर सकते हैं।
धनुराषन योग के नियमित अभ्यास की आदत शरीर के लिए कई तरीके से लाभदायक हो सकती है। पेट की मांसपेशियों को स्ट्रेच करके से लेकर पाचन प्रक्रिया में सुधार करने के लिए इसका वर्षों से अभ्यास किया जाता रहा है। इसके अलावा धनुराषन योग टखनों, जांघों, छाती, गर्दन और कंधों की ताकत में सुधार करता है। जिन लोगों में प्रोस्टेट कैंसर का जोखिम अधिक होता है उन्हें इस योग के नियमित अभ्यास से लाभ मिल सकता है।
शोल्डर स्टैंड योग के नियमित अभ्यास की आदत शरीर को कई प्रकार से लाभ पहुंचा सकती है। पेल्विक हिस्सों और पीठ के निचले हिस्से में ताकत को बढ़ाने के साथ यौन ग्रंथियों की नसों और मांसपेशियों को स्वस्थ रखने के लिए इस योग का नियमित अभ्यास किया जा सकता है। शोध में इस योग के नियमित अभ्यास को प्रोस्टेट के स्वास्थ्य में सुधार करने वाला बताया गया है। यह आपकी स्वास्थ्य जटिलताओं का कम कर सकता है।
बद्ध कोणासन या कैब्लर पोज के अभ्यास की आदत पेल्विक हिस्से के अतिरिक्त तनाव को दूर करने में मदद करती है। पेल्विक मांसपेशियों को मजबूत करने और प्रोस्टेट की जटिलताओं को दूर करने के लिए इस योग के अभ्यास को काफी कारगर माना जाता है। इसके अलावा पेट के अंगों, अंडाशय और प्रोस्टेट ग्रंथि, मूत्राशय और गुर्दे के स्वास्थ्य को सुधारने और हृदय की मांसपेशियों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए इस योग के रोजाना अभ्यास की सलाह दी जाती है।