Friday, April 11, 2025
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क्या यूट्यूब वीडियो देखकर भी कमाए जा सकते हैं पैसे?

वर्तमान में एक वीडियो काफी वायरल हो रहा है जिसमें बताया गया है कि यूट्यूब वीडियो देखकर पैसे कमाए जा सकते हैं! यूट्यूब पर वीडियो ‘लाइक’ करने के लिए क्‍या आपको भी पैसे देने की पेशकश करने वाला व्हाट्सएप कॉल आया है? पार्टटाइम जॉब के नाम पर क्‍या आपको वीडियो लाइक करने के बदले में पैसे ऑफर किए गए हैं? अगर हां तो बचकर। आप ठगी का शिकार हो सकते हैं। मुंबई पुलिस ने यूट्यूब ‘लाइक एंड अर्न स्कैम’ में दो महीने में 170 से ज्‍यादा मामले दर्ज किए हैं। यह ऑनलाइन घोटाला है। इसमें वीडियो-शेयरिंग प्लेटफॉर्म पर लाइक के बदले पेमेंट करने के बहाने लोगों को धोखा दिया जाता है। मई में मुंबई पुलिस के साइबर सेल ने कोलाबा निवासी 45 साल के एक शख्‍स से 25.35 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में छह लोगों को गिरफ्तार किया था। उसी महीने राजस्थान के अजमेर और भीलवाड़ा से तीन लोगों को चेंबूर निवासी एक व्यक्ति से 27.21 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में अरेस्‍ट किया गया था। मुंबई पुलिस के अनुसार, इन जालसाजों ने व्हाट्सएप पर लोगों से संपर्क किया। उन्हें यूट्यूब वीडियो लाइक करने के लिए पार्टटाइम नौकरी देने का वादा किया। जालसाज ब्रांड या वीडियो को बढ़ावा देने में शामिल डिजिटल मार्केटिंग फर्मों का हिस्सा होने का दावा करते हैं। अपना काम सोशल मीडिया पर लाइक की संख्या बढ़ाना बताते हैं। पीड़ितों को टेलीग्राम समूहों में जोड़ा जाता है। उन्हें भेजे गए वीडियो को लाइक करने और स्क्रीनशॉट शेयर करने के लिए कहा जाता है। इसके बाद उन्हें प्रत्येक ‘लाइक’ के लिए 50 रुपये से 150 रुपये के बीच भुगतान किया जाता है।

शुरू में पीड़ितों का विश्वास हासिल करने के लिए उनके काम के लिए भुगतान किया भी जाता है। बाद में उनके हैंडलर ज्‍यादा भुगतान वाले कामों के लिए 5,000 रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक की फीस देने के लिए कहते हैं। रजिस्‍ट्रेशन फीस के नाम पर लोगों से मोटी रकम का भुगतान करने के लिए भी कहा जा सकता है। उसी महीने राजस्थान के अजमेर और भीलवाड़ा से तीन लोगों को चेंबूर निवासी एक व्यक्ति से 27.21 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में अरेस्‍ट किया गया था। मुंबई पुलिस के अनुसार, इन जालसाजों ने व्हाट्सएप पर लोगों से संपर्क किया। उन्हें यूट्यूब वीडियो लाइक करने के लिए पार्टटाइम नौकरी देने का वादा किया। जालसाज ब्रांड या वीडियो को बढ़ावा देने में शामिल डिजिटल मार्केटिंग फर्मों का हिस्सा होने का दावा करते हैं। अपना काम सोशल मीडिया पर लाइक की संख्या बढ़ाना बताते हैं। पीड़ितों को टेलीग्राम समूहों में जोड़ा जाता है। उन्हें भेजे गए वीडियो को लाइक करने और स्क्रीनशॉट शेयर करने के लिए कहा जाता है। इसके बाद उन्हें प्रत्येक ‘लाइक’ के लिए 50 रुपये से 150 रुपये के बीच भुगतान किया जाता है।हालांकि, रकम ऐंठने के बाद घोटालेबाज पीड़ितों को पेमेंट करने से मना कर देते हैं। पीड़ितों को अपनी फंसी र‍कम पाने के लिए और ज्‍यादा भुगतान करने के लिए भी कहा जा सकता है। इस प्रकार वे दुष्चक्र में फंसते जाते हैं।

ऐसे फ्रॉड की पहचान मुश्किल नहीं है। थोड़ी अक्‍ल लगाकर इन्‍हें आसानी से समझा जा सकता है। सबसे पहले ये जालसाज लोगों से सीधे पार्टटाइम नौकरी देने के लिए संपर्क करते हैं।उसी महीने राजस्थान के अजमेर और भीलवाड़ा से तीन लोगों को चेंबूर निवासी एक व्यक्ति से 27.21 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में अरेस्‍ट किया गया था। मुंबई पुलिस के अनुसार, इन जालसाजों ने व्हाट्सएप पर लोगों से संपर्क किया। उन्हें यूट्यूब वीडियो लाइक करने के लिए पार्टटाइम नौकरी देने का वादा किया। जालसाज ब्रांड या वीडियो को बढ़ावा देने में शामिल डिजिटल मार्केटिंग फर्मों का हिस्सा होने का दावा करते हैं। अपना काम सोशल मीडिया पर लाइक की संख्या बढ़ाना बताते हैं। पीड़ितों को टेलीग्राम समूहों में जोड़ा जाता है। उन्हें भेजे गए वीडियो को लाइक करने और स्क्रीनशॉट शेयर करने के लिए कहा जाता है। इसके बाद उन्हें प्रत्येक ‘लाइक’ के लिए 50 रुपये से 150 रुपये के बीच भुगतान किया जाता है। यहां तक कि बायोडाटा तक नहीं मांगा जाता है। न कोई वेरिफिकेशन किया जाता है। दूसरी पहचान यह है कि अलग-अलग बैंक खातों से पैसा मिलता है। यानी यह किसी एक कंपनी से नहीं होता है।

पुलिस ने ऐसे अज्ञात लोगों से अपनी निजी जानकारी नहीं करने को कहा है। उसने सलाह दी है उसी महीने राजस्थान के अजमेर और भीलवाड़ा से तीन लोगों को चेंबूर निवासी एक व्यक्ति से 27.21 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में अरेस्‍ट किया गया था। मुंबई पुलिस के अनुसार, इन जालसाजों ने व्हाट्सएप पर लोगों से संपर्क किया। उन्हें यूट्यूब वीडियो लाइक करने के लिए पार्टटाइम नौकरी देने का वादा किया। जालसाज ब्रांड या वीडियो को बढ़ावा देने में शामिल डिजिटल मार्केटिंग फर्मों का हिस्सा होने का दावा करते हैं। अपना काम सोशल मीडिया पर लाइक की संख्या बढ़ाना बताते हैं। पीड़ितों को टेलीग्राम समूहों में जोड़ा जाता है। उन्हें भेजे गए वीडियो को लाइक करने और स्क्रीनशॉट शेयर करने के लिए कहा जाता है। इसके बाद उन्हें प्रत्येक ‘लाइक’ के लिए 50 रुपये से 150 रुपये के बीच भुगतान किया जाता है। वे पर्सनल डिटेल, बैंक अकाउंट, क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ट, पैन, आधार और ओटीपी जैसी चीजों को किसी के साथ साझा नहीं करें।

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