आपने हाल ही के दिनों में उदयपुर और अमरावती में हुआ हत्याकांड सुना ही होगा! इसके बाद पक्ष विपक्ष एक दूसरे पर इल्जाम लगाते हुए नजर आए, बीजेपी के आतंकवादियों से रिश्ते हैं! कांग्रेस ने आतंकवादियों का साथ दिया! राजनीतिक फिजाओं में ये लाइनें बार-बार गूंज रही हैं। देश के दो प्रमुख राजनीतिक दल एक-दूसरे पर आतंकवाद को शह देने का आरोप लगा रहे हैं। कांग्रेस के 22 नेता शनिवार को अलग-अलग शहरों में मीडिया से मुखातिब हुए। सत्तारूढ़ बीजेपी पर आतंकवादियों के साथ कथित रिश्तों को लेकर हमला बोला। कांग्रेस उदयपुर, जम्मू-कश्मीर और अमरावती मामले में सामने आए आरोपियों के आंतकवादी कनेक्शन और उनसे बीजेपी के कथित रिश्तों को लेकर लगातार BJP से सवाल कर रही है। कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी ने भी तंजभरे लहजे में पलटवार किया। बीजेपी ने कांग्रेस को नसीहत देते हुए कहा कि ‘तुष्टिकरण की नीति के चलते जिस प्रकार से कांग्रेस ने आतंकवाद का साथ दिया है, वह कांग्रेस आज इस मसले पर देश भर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रही है।’ दोनों दलों का आतंकवाद को लेकर कैसा रुख रहा है, समझने की कोशिश करते हैं।
कांग्रेस ने क्या-क्या आरोप लगाए?
कांग्रेस के मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि एक के बाद एक कई आतंकवादियों के तार बीजेपी से जुड़ने के सबूत मिले हैं। बीजेपी का आतंकवादियों से नाता है, यह रिश्ता क्या कहलाता है? कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने कहा कि राष्ट्रवाद की आड़ में देश को अस्थिर रखने की बीजेपी की साजिश अब बेनकाब हो चुकी है। आम लोग यह समझ चुके हैं कि आतंकवाद को बढ़ावा देकर लोगों के दिलों में नफरत और भय का माहौल बनाकर बीजेपी देश पर शासन करने की रणनीति पर काम कर रही है।निरुपम ने आरोप लगाया कि बीजेपी देश में छद्म राष्ट्रवाद का प्रचार कर उसकी आड़ में देश को राजनीतिक और सांप्रदायिक तौर पर अस्थिर रखने के अजेंडे पर काम कर रही है। उनका कहना था कि अमरावती में हिंदू मुस्लिम भावना भड़काने के लिए हिंदू भाई की हत्यारे हों या अमरनाथ यात्रियों पर हमले में पकड़े गए आतंकियों की जांच हो, सभी बीजेपी के सक्रिय सदस्य निकलें। देश को सांप्रदायिक हिंसा की आग में झोंकने के कोशिश ने दोनों संप्रदाय को दुश्मन बना दिया है।
बीजेपी ने कैसे किया सामना?
बीजेपी की ओर से संबित पात्रा ने कहा कि कांग्रेस को इस मामले को लेकर मीडिया के सामने जाने के बजाय देश से माफी मांगनी चाहिए। बीजेपी ने कांग्रेस पर ‘कांग्रेस का हाथ आतंकवाद के साथ’ होने का आरोप लगाते हुए कहा कि देश में हुई आतंकी घटनाओं में कांग्रेस ने जिस तरह से आतंकियों का साथ दिया है, वह सूची बहुत लंबी है। पात्रा ने आरोप लगाया कि यासीन मलिक के साथ कांग्रेस के तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह ने न सिर्फ तस्वीर खिंचवाई, बल्कि यूपीए सरकार के दौरान इस आतंकवादी का महिमामंडन किया गया था। बुरहान वानी को लेकर कांग्रेस ने गलत नैरेटिव फैलाया। हाफिज सईद जैसा आतंकी भी दुनिया में सिर्फ एक राजनीतिक दल कांग्रेस की तारीफ करता है।पात्रा ने सोनिया गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि लोगों के मन में देश विरोध में धर्म को लेकर एक उन्माद पैदा करने वाले जाकिर नायक के साथ खुद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी खड़ी थीं। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि कांग्रेस के एक मंत्री सलमान खुर्शीद ने खुद दावा किया था कि बाटला हाउस एनकाउंटर में आतंकवादियों की लाश को देखकर सोनिया गांधी फूट-फूट कर रोई थीं। वहीं, राहुल गांधी जेएनयू जाकर अफजल से जुड़े बयानों का समर्थन करते हैं और इन सबके बाद भी कांग्रेस आतंकवाद को लेकर दावे करती है।
एक-दूसरे पर आतंकवाद को हवा देने के बीजेपी और कांग्रेस, दोनों के ही आरोप पुराने हैं। यह बात दीगर है कि इस मुद्दे को लेकर बीजेपी ज्यादा हमलावर रही है क्योंकि कई बड़े आतंकी हमले कांग्रेस नीत सरकारों के काल में हुए। कांग्रेस के मुकाबले भाजपा के रुख में रक्षा नीति और आतंकवाद को लेकर आक्रामकता नजर आती है। वाजपेयी सरकार PoTA जैसे कानून लेकर आई थी। सैकड़ों लोगों पर PoTA के तहत कार्रवाई हुई तो कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने विरोध किया। बाद में कांग्रेस नीत यूपीए ने 2004 में यह कानून रद्द कर दिया।
NDA I ने पश्चिम की नाराजगी के बावजूद न्यूक्लियर टेस्ट किया। फिर करगिल से घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए सेना भेज दी। खुफिया नाकामी के लिए तत्कालीन एनडीए सरकार की आलोचना जरूर हुई, मगर भारत अपना इलाका वापस लेने में कामयाब रहा। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने अमेरिका के ‘वॉर ऑन टेरर’ का भी समर्थन किया। नतीजा, अमेरिका और भारत के रक्षा संबंध और मजबूत हुए।
2014 में जब एनडीए दोबारा सत्ता में आया तो विदेशों में काउंटर-टेररिज्म के नाम पर ऑपरेशन शुरू हुए। 2015 में म्यांमार हो या 2016 में PoK के भीतर सर्जिकल स्ट्राइक या 2019 की बालाकोट एयर स्ट्राइक… बीजेपी ने संदेश यही दिया कि आतंकवाद के खिलाफ ऐक्शन लेने से वह हिचकेगी नहीं। 2017 के डोकलाम तनाव के दौरान भी मोदी सरकार का रुख अडिग रहा। हालांकि, पूर्वी लद्दाख में सीमा पर चीन के साथ पिछले दो साल से तनाव बरकरार है जिसे सरकार की असफलता और कमजोरी के रूप में देखा जाता रहा है।
2019 में नरेंद्र मोदी सरकार ने UAPA में संशोधन किया और आतंकवाद के खिलाफ प्रावधान और कड़े कर दिए। उसी साल जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किया गया। घाटी में आतंकवादियों को फंडिंग करने वालों की धरपकड़ तेज हुई। यासीन मलिक जैसे आतंकवादी आज जेल में हैं। हालांकि, NDA II के दौरान, गुरुदासपुर, पठानकोट, उरी, पुलवामा जैसे आतंकवादी हमले भी हुए।बीजेपी का आरोप है कि कांग्रेस ऐसी पार्टी है जो आतंकवाद या आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई से घबराती है। 26/11 के बाद तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने रणनीतिक संयम दिखाया जिसकी आज भी आलोचना होती है। सेना ने तब भी विकल्प दिए थे मगर सरकार पीछे हट गए। इसके उलट, जब उरी में आतंकी हमला हुआ तो एनडीए सरकार ने सर्जिकल स्ट्राइक कर दी। इशरत जहां केस, बाटला हाउस एनकाउंटर… बीजेपी ने कई ऐसे वाकये गिनाए जब कथित रूप से कांग्रेस आतंकवाद के प्रति नरम रही।