Friday, September 20, 2024
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दिल्ली के उप-राज्यपाल के LG अनिल बैजल का इस्तीफा l

नई दिल्लीः दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने बुधवार (18 मई, 2022) को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को अपना इस्तीफा भेज दिया है। सूत्रों के मुताबिक, अनिल बैजल ने निजी कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफ दिया। अनिल बैजल ने करीब पांच साल 4 महीने से अधिक समय का कार्यकाल पूरा करने के बाद इस्तीफा दिया है. खास बात यह है कि उन्होंने निजी कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से त्यागपत्र दिया है. वहीं, उनके इस्तीफे से राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है.

बता दें कि अनिल बैजल पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में मुख्य सचिव रह चुके हैं. अनिल बैजल का इस्तीफा मंजूर होने के बाद सरकार जल्द ही दिल्ली के लिए नए उपराज्यपाल की घोषणा कर सकती है. चूंकि दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है इसलिए यहां उपराज्यपाल नियुक्त करने की भी व्यवस्था है  अनिल बैजल एक आईएएस अधिकारी भी रहे हैं. अनिल बैजल को 31 दिसंबर 2016 को दिल्ली का उपराज्यपाल बनाया गया था. उपराज्यपाल बैजल और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच हमेशा किसी न किसी मुद्दे को लेकर विवाद रहा. कई बार तो अपने अधिकार क्षेत्र को लेकर आम आदमी पार्टी की सरकार ने कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था. इस साल भी कोरोना की चौथी लहर के दौरान ऑड-ईवन नियम पर दिल्ली सरकार और एलजी में एकराय नहीं बनी थी. इस दौरान एलजी अनिल बैजल ने केजरीवाल सरकार के प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया था दिल्ली में कोरोना के समय अनिल बैजल काफी एक्टिव होकर अधिकारियों की बैठक कर लोगों की सुरक्षा के लिए कई अहम निर्णय लिए थे। जब पूरे देश सहित दिल्ली में आक्सीजन की दिक्कत हुई थी तब उन्होंने अस्पतालों में हालात को बेहतर बनाने के लिए काफी निर्णय लिए जिससे लोगों को काफी सहूलियत हुई थी। बत दें कि दिल्ली में कोरोना के दूसरी लहर के दौरान लोगों को बेड और आक्सीजन के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी थी।इस साल की शुरुआत में जब कोरोना जोर पकड़ रहा था, तो वीकेंड कर्फ्यू और सभी दुकानों के लिए ऑड-ईवन के नियम को लेकर दोनों आमने-सामने आ गए थे। बैजल ने केजरीवाल के प्रस्तावों को मानने से इनकार कर दिया था।इतना ही नहीं, दोनों के बीच दिल्ली में 1000 बसों की खरीद प्रक्रिया पर भी तकरार देखने को मिला। बैजल ने इस मामले की जांच के लिए 3 सदस्यीय पैनल बनाने का निर्देश दिया था, जिसमें एक रिटायर्ड IAS ऑफिसर, विजिलेंस विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी और दिल्ली सरकार के ट्रांसपोर्ट कमिश्नर शामिल था। इसको लेकर भी विवाद हुआ था।

 

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