अतीक को अनपढ़ रहने का मलाल था! अतीक अहमद बहुत कम उम्र में अपराध की दुनिया में उतर गया। उसने अपनी जिंदगी का पहला मर्डर महज 17 साल की उम्र में ही कर दिया था। लेकिन जानता था कि जुर्म की राह की उम्र बहुत कम होती है इसलिए वह नहीं चाहता था कि उसके बच्चे इस राह पर चलें। अतीक गरीब परिवार से था इसलिए पढ़ लिख नहीं पाया। इसका उसे अफसोस जिंदगी भर रहा भी। इसीलिए उसका सपना था कि उसके बेटे अच्छी पढ़ाई करें। उसने उन्हें पढ़ाया भी अच्छे स्कूलों में, पर बच्चों को जुर्म की दुनिया से दूर नहीं रख सका। उसका सबसे लाडला बेटा असद महज 19 साल की उम्र में यूपी एटीएस के साथ हुए एनकाउंटर में मारा गया। उसके सिर पर 5 लाख का इनाम था। पढाई के मामले में तो उसने अपने पिता को पीछे छोड़ा ही जुर्म की सीढ़ियां वह अतीक से तेज चढ़ रहा था। असद को अतीक ने प्रयागराज के प्रतिष्ठित सेंट जोजफ कॉलेज में पढ़ाया था। वह पढ़ने में ठीक था लेकिन तेवर उसके खतरनाक थे। उसका एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वह महज 12 साल की उम्र में पिस्टल से फायरिंग कर रहा था। इतना ही नहीं उसके स्कूल के सहपाठी यहां तक उसके स्कूल के टीचर तक उससे खौफ खाते थे। वह उन पर हाथ उठाने में भी नहीं कतराता था।
उसका इसी दौरान का एक फोटो इंस्टाग्राम पर है जिसमें उसने नीचे लिखा है, आदतें बुरी नहीं हैं हमारी बस शौक नवाबों वाले हैं। अतीक गरीब परिवार से था इसलिए पढ़ लिख नहीं पाया। इसका उसे अफसोस जिंदगी भर रहा भी। इसीलिए उसका सपना था कि उसके बेटे अच्छी पढ़ाई करें। उसने उन्हें पढ़ाया भी अच्छे स्कूलों में, पर बच्चों को जुर्म की दुनिया से दूर नहीं रख सका। उसका सबसे लाडला बेटा असद महज 19 साल की उम्र में यूपी एटीएस के साथ हुए एनकाउंटर में मारा गया। उसके सिर पर 5 लाख का इनाम था। पढाई के मामले में तो उसने अपने पिता को पीछे छोड़ा ही जुर्म की सीढ़ियां वह अतीक से तेज चढ़ रहा था। असद को अतीक ने प्रयागराज के प्रतिष्ठित सेंट जोजफ कॉलेज में पढ़ाया था।इन्हीं तेवरों के साथ उसने लखनऊ के एक कॉलेज में एडमिशन लिया। वैसे तो वह लंदन जाकर लॉ की पढ़ाई करना चाहता था। बताया जाता है कि वहां के किसी कॉलेज से उसे बुलावा भी आया लेकिन पिता के आपराधिक बैकग्राउंड की वजह से उसका वीजा नहीं बन पाया।
इसी बीच असद के दोनों बड़े भाई, पिता और चाचा जेल की सलाखों के पीछे पहुंचते रहे। धीरे-धीरे उसने अतीक के आतंक के साम्राज्य की बागडोर संभालनी शुरू कर दीं। लोग उसे छोटे सांसद कहने लगे।अतीक गरीब परिवार से था इसलिए पढ़ लिख नहीं पाया। इसका उसे अफसोस जिंदगी भर रहा भी। इसीलिए उसका सपना था कि उसके बेटे अच्छी पढ़ाई करें। उसने उन्हें पढ़ाया भी अच्छे स्कूलों में, पर बच्चों को जुर्म की दुनिया से दूर नहीं रख सका। उसका सबसे लाडला बेटा असद महज 19 साल की उम्र में यूपी एटीएस के साथ हुए एनकाउंटर में मारा गया। उसके सिर पर 5 लाख का इनाम था। पढाई के मामले में तो उसने अपने पिता को पीछे छोड़ा ही जुर्म की सीढ़ियां वह अतीक से तेज चढ़ रहा था। असद को अतीक ने प्रयागराज के प्रतिष्ठित सेंट जोजफ कॉलेज में पढ़ाया था। इसी की परिणति हुई उमेश पाल मर्डर के रूप में। 24 फरवरी को प्रयागराज में हुए इस हत्याकांड में वह हत्यारों को लीड करता नजर आया। इसके बाद फरार हुआ तो इनाम बढ़कर 5 लाख तक पहुंच गया। आखिरकार, 13 अप्रैल को उसे एटीएस ने झांसी में मार गिराया।
अतीक के जिंदा रहते यह बहुत बड़ा झटका था। उससे भी बड़ा झटका तब लगा जब उसे 15 अप्रैल को दफनाया गया और अतीक उसे आखिरी बार देख भी हीं सका। बताते हैं उसने पुलिसवालों से कहा था, मैं दुनिया का सबसे बदनसीब बाप हूं। इसके कुछ घंटे बाद ही अतीक अपने इसी अफसोस पर मीडिया से बात कर रहा था। मौत से कुछ लम्हे पहले अस्पताल के सामने उससे पूछा गया, असद के जनाजे में क्यों नहीं गए। अतीक ने कहा, ‘नहीं ले गए तो नहीं गए…’ ये उसके आखिरी लफ्ज थे। वह कुछ कह ही रहा था कि बाईं कनपटी पर सेमी ऑटोमैटिक पिस्टल की गोली का वार हुआ और वह गिरकर तड़पने लगा।
गरीब परिवार का बेटा अतीक माफिया डॉन अतीक कैसे बना, इस सवाल के सैकड़ों जवाब हो सकते हैं। लेकिन एक बात तय है कि खुद माफिया डॉन को यह जिंदगी पसंद नहीं थी। इसलिए उसने अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा देने की कोशिश की, लेकिन वह एक चीज भूल गया कि बच्चे मां बाप की सीख, उनके उपदेशों से ज्यादा उनकी करनी की नकल करते हैं। इसलिए शिक्षा की शुरुआत स्कूल से नहीं घर से होती है। पर शायद अतीक या तो इसे समझ नहीं सका, या मारे डर के उसे कोई समझा नहीं पाया।