यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या पीएम मोदी के ऊपर परिवार का हमला करके लालू यादव ने गलती की है या नहीं! आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव अपने अनोखे अंदाज और बयान के लिए मशहूर रहे हैं। लोगों को रिझाने वाले लटके-झटके तो पहले उनकी साधारण बोलचाल में भी शामिल रहते थे। लंबे समय तक जेल में रहने और स्वास्थ्य बाधा के कारण वे थोड़ा कमजोर पड़े हैं, लेकिन अंदाज वही पुराना है। आरजेडी की जन विश्वास महारैली में लालू प्रसाद यादव ने लागल-लागल झुलनिया के धक्का, बलम कलकत्ता निकल गए सुनाया तो लोग वाह-वाह कर उठे। रैली में शामिल होने आए लोगों का मनोरंजन करने के लिए विधायक आवासों में नर्तक-नर्तकियों का इंतजाम तो था ही। लालू ने नरेंद्र मोदी को मां के निधन पर सिर नहीं मुड़ाने की बात कह उनके हिन्दू न होने का नरेटिव भी दे दिया। देश भर में यह चर्चा का विषय बन गया है। लालू ने यह भी कह दिया कि नरेंद्र मोदी का तो कोई परिवार ही नहीं है। उनके इस बयान को बीजेपी ने भुना लिया है।लालू के इस नरेटिव को नरेंद्र मोदी ने ठीक उसी अंदाज में भुना लिया, जैसा राहुल गांधी के ‘चौकीदार चोर है’ नारे को भुना लिया था। मोदी ने कहा कि लालू ने मेरे परिवार को लेकर मुझ पर निशाना साधा है। पर, अब पूरा देश बोल रहा है- मैं हूं मोदी का परिवार। पीएम मोदी के नारे के बाद तो भाजपा के बड़े नेताओं ने अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल में बदलाव करते हुए लिखा- ‘मोदी का परिवार।’ अमित शाह, जेपी नड्डा, नितिन गडकरी जैसे बड़े नेताओं ने सोशल मीडिया के अपने प्रोफाइल में ‘मोदी का परिवार’ लिख कर अपना परिचय संशोधित कर लिया है। भाजपा ने लालू के बयान को भुनाने का अभियान छेड़ दिया है।
लालू यादव ने जन विश्वास रैली में भाषण करते हुए दो तरह की टिप्पणी की थी। पहली यह कि नरेंद्र मोदी हिन्दू नहीं हैं। अपनी मां के निधन पर उन्होंने मुंडन नहीं कराया। ऐसा कहते समय लालू भूल गए कि भौगिलक सीमा बदलते ही हिन्दुओं की कई परंपराएं बदलती रही हैं। बिहार और यूपी जैसे इलाके में परिजन के निधन पर सिर मुंड़ाने की परंपरा है, लेकिन गुजरात में यह परंपरा नहीं है। दक्षिण भारत में भांजी के साथ मामा के ब्याह को शुभ माना जाता है, पर हिन्दी पट्टी में ननिहाल के कुल-गोत्र तक का ख्याल रखा जाता है। लालू ने दूसरी बात यह कही- ‘मोदी क्या है ? मोदी कोई चीज नहीं है। मोदी के पास तो परिवार ही नहीं है। अरे भाई तुम बताओ न कि तुम्हारे परिवार में कोई संतान क्यों नहीं हुआ। ज्यादा संतान होने वाले लोगों को बोलता है कि परिवारवाद है।’ लालू के पहले बयान पर तो भाजपा नेताओं ने न कोई सफाई दी और न इस पर प्रतिक्रिया देना ही उचित समझा। पर, परिवार वाले बयान पर भाजपा नेताओं ने मोर्चा खोल दिया है।
अब से पांच साल पहले राहुल गांधी ने भी नरेंद्र मोदी के बारे में ‘चौकीदार चोर है’ कह कर नरेटिव गढ़ने की कोशिश की थी। उसके बाद मोदी ने उसे अपने पक्ष में कैसे भुना लिया, यह किसी से छिपा नहीं है। सोशल मीडिया पर ‘मैं भी चौकीदार’ का कैंपेन लोगों ने जबरदस्त ढंग से चलाया था। तब कांग्रेस लोकसभा में दहाई अंकों में सिमट गई थी। लालू के इस बयान का कितना असर होगा, यह तो समय बताएगा, लेकिन मोदी ने इसे अपने पक्ष में भुनाने का अभियान चला कर गोलबंदी का मंच तो खड़ा कर ही दिया है।
लालू ने नरेंद्र मोदी के खिलाफ बयान देकर 2015 जैसे परिणाम की उम्मीद लोकसभा चुनाव में कर रहे हैं। अगर सच में वे ऐसा सोचते होंगे तो यह उनकी भूल साबित होगी। इसलिए कि यह विधानसभा का चुनाव नहीं है। लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नाम पर भाजपा या एनडीए को वोट मिलते हैं। लालू ने 2014 और 2019 में यह देखा है। ज्यादा संतान होने वाले लोगों को बोलता है कि परिवारवाद है।’ लालू के पहले बयान पर तो भाजपा नेताओं ने न कोई सफाई दी और न इस पर प्रतिक्रिया देना ही उचित समझा। पर, परिवार वाले बयान पर भाजपा नेताओं ने मोर्चा खोल दिया है।2015 के विधानसभा चुनाव में लालू ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण संबंधी बयान को लेकर भ्रम फैला दिया और महागठबंधन की सरकार बन गई थी। नीतीश तब महागठबंधन के साथ नहीं होते तो यह बयान भी शायद कारगर नहीं हो पाता। अगर 2015 जैसा नरेटिव सोच कर लालू ने मोदी के बारे में अपनी बातें कही हैं तो यह उनकी भूल है।