क्या प्रधानमंत्री मोदी को 2016 में ही दिख गया था पीएफआई का खतरा?

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प्रधानमंत्री मोदी को 2016 में ही पीएफआई से खतरा होने का अंदेशा प्राप्त हो गया था! निशाने पर पीएम मोदी, बिहार की राजधानी में दहशत फैलाने का इरादा, फुलवारी शरीफ में आतंक का मकड़जाल और न जाने कितने गुनाहों की तैयारी। आरोपों की ये फेहरिस्त पीएफआई की है। वही पीएफआई जिसेपॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया कहा जाता है। लेकिन जब राज खुला तो पता चला कि इनका मकसद एंटी इंडिया यानि देशविरोधी था। अब केंद्र सरकार ने पीएफआई को बैन कर दिया है, यानि सिमी की तरह ही ये संगठन भी प्रतिबंधित हो चुका है। आज भले ही पीएफआई को पूरा देश जान गया हो, लेकिन इसकी जड़ें बिहार की राजधानी पटना से निकली हैं।

जुलाई को ढाका में एक विस्फोट हुआ था, जिसमें पकड़े गए एक आतंकी ने कहा था कि उसने जाकिर नाइक के बयानों से प्रभावित होकर हमले को अंजाम दिया है। उसके बाद ही केंद्र सरकार ने इस मामले में एक्शन लिया और जाकिर नाइक के NGO को बैन किया गया।

उसके बाद… 15 जुलाई 2016… दिन शुक्रवार… इसी दिन जाकिर नाइक और AIMIM चीफ असद्दुदीन ओवैसी के समर्थन में पीएफआई यानि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने पटना साइंस कॉलेज से कारगिल चौक तक एक जुलूस निकाला था। जुलूस अभी थोड़ा ही आगे बढ़ा था कि अचानक उसमें से पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे गूंजने लगे। इसके बाद पूरे अशोक राजपथ पर हड़कंप मच गया। इस दौरान पीएफआई के लोगों ने दावा किया कि उन्होंने पॉपुलर फ्रंट जिंदाबाद के नारे लगाए थे। जो सुनने में पाकिस्तान जिंदाबाद जैसा लग रहा था। लेकिन मामला गंभीर देखते हुए पुलिस ने केस दर्ज कर दो संदिग्धों को गिरफ्तार कर लिया।

उस वक्त बिहार में महागठबंधन यानि नीतीश-तेजस्वी की ही सरकार थी। ऐक्शन तो कड़ा लिया गया लेकिन बाद में इसे रफा-दफा भी कर दिया गया। बड़ी बात ये कि उस वक्त ही पीएफआई की हरकतों से बिहार सरकार को सबक लेना चाहिए था, जो नहीं लिया गया। आतंक का ये मकड़जाल पटना में शायद इसी वजह से फैलता चला गया।

10 जून 2022, इसी दिन फुलवारी शरीफ थानेदार इकरार अहमद के मोबाइल पर एक मैसेज आया। इस मैसेज में एक पैम्पलेट था, और इस पैम्पलेट में देश विरोधी बातें लिखी हुई थीं। लोगों को ‘असली मुसलमान’ बनने को कहा जा रहा था। इसके अलावा 12 जुलाई को ही पटना में विधानसभा शताब्दी समारोह में पीएम मोदी को शिरकत करना था। लिहाजा थानेदार ने अपने पास आए मैसेज की बिनाह पर ही एक केस दर्ज किया और तफ्तीश शुरू की।

इसके बाद तार पर तार जोड़ते पुलिस के सामने आई 11 जुलाई की तारीख, पीएम मोदी के दौरे से ठीक एक दिन पहले।

उस वक्त बिहार में महागठबंधन यानि नीतीश-तेजस्वी की ही सरकार थी। ऐक्शन तो कड़ा लिया गया लेकिन बाद में इसे रफा-दफा भी कर दिया गया। बड़ी बात ये कि उस वक्त ही पीएफआई की हरकतों से बिहार सरकार को सबक लेना चाहिए था, जो नहीं लिया गया। आतंक का ये मकड़जाल पटना में शायद इसी वजह से फैलता चला गया।

10 जून 2022, इसी दिन फुलवारी शरीफ थानेदार इकरार अहमद के मोबाइल पर एक मैसेज आया। इस मैसेज में एक पैम्पलेट था, और इस पैम्पलेट में देश विरोधी बातें लिखी हुई थीं। लोगों को ‘असली मुसलमान’ बनने को कहा जा रहा था। इसके अलावा 12 जुलाई को ही पटना में विधानसभा शताब्दी समारोह में पीएम मोदी को शिरकत करना था। लिहाजा थानेदार ने अपने पास आए मैसेज की बिनाह पर ही एक केस दर्ज किया और तफ्तीश शुरू की। इसके बाद तार पर तार जोड़ते पुलिस के सामने आई 11 जुलाई की तारीख, पीएम मोदी के दौरे से ठीक एक दिन पहले।

फुलवारीशरीफ थाने की पुलिस ने इलाके में ही कई छापेमारी की, इसके बाद जो खुलासा हुआ वो आप अच्छी तरह से जानते हैं। पीएफआई के मॉड्यूल से पर्दा उठ गया था। बाद में मामले की जांच NIA के हवाले कर दी गई। संंयोग देखिए कि पटना में 2016 की जुलाई के महीने में ही पीएफआई के लक्षण दिखे और 6 साल बाद जुलाई के महीने में ही आतंक के मकड़जाल की जड़ें खोद दी गईं।फुलवारीशरीफ थाने की पुलिस ने इलाके में ही कई छापेमारी की, इसके बाद जो खुलासा हुआ वो आप अच्छी तरह से जानते हैं। पीएफआई के मॉड्यूल से पर्दा उठ गया था। बाद में मामले की जांच NIA के हवाले कर दी गई। संंयोग देखिए कि पटना में 2016 की जुलाई के महीने में ही पीएफआई के लक्षण दिखे और 6 साल बाद जुलाई के महीने में ही आतंक के मकड़जाल की जड़ें खोद दी गईं।