एक समय ऐसा था जब पाकिस्तान भारत से ही जुड़ा हुआ था! देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। 75 साल का यह सफर आसान नहीं था। भारत ने इस दौरान कई मील के पत्थर पार किए हैं। अंग्रेजों की कॉलोनी से आज वह लीडिंग इकोनॉमी बन चुका है। अंग्रेजों के कदम नहीं पड़ने तक भारत सोने की चिड़िया था। न केवल अंग्रेजों ने भारत को गुलामी की जंजीरों में जकड़ा, बल्कि उसकी धन-दौलत भी ले गए। जब देश आजाद हुआ तो उसकी हैसियत एक गरीब मुल्क की थी। कोई रोडमैप नहीं था। नई बुनियाद पड़नी थी। अंग्रेजों की कॉलोनी से लीडिंग इकोनॉमी बनने के सफर में हर पड़ाव अहम था।
1947 से 1957 का दौर नेहरू के समाजवाद का था। हम बड़ी मुश्किल से आजादी पाए थे। उसकी यादें ताजा थीं। हमारी नीतियों पर उनकी छाप थी। हमें अपने आप को कॉलोनी के उस दौर से अलग करना था। अंग्रेजों की दूसरी कॉलोनियों के उलट भारत का अपना औद्योगिक आधार था। एक समस्या थी। कैपिटल गुड्स बनाने के लिए हमारे पास इंडस्ट्रीज नहीं थीं। यानी वो मशीनरी नहीं थीं जिनसे बड़े पैमाने पर उत्पादन हो सके। तब भारत के व्यापारी वर्ग ने एक सुझाव दिया था। 1945 के ‘बॉम्बे प्लान’ के तहत कैपिटल गुड्स बनाने के लिए बड़ी पब्लिक सेक्टर फर्मों को शुरू करने की बात कही गई थी। यह मॉडल अमेरिका की न्यू डील और तत्कालीन सोवियत रूस से प्रेरित था।आजादी के बाद इसके चलते तेज औद्योगिकीकरण पर फोकस बढ़ा। ग्रॉस वैल्यू ऐडेड यानी जीवीए के लिहाज से यह दूसरा सबसे बेहतरीन दशक साबित हुआ।
1957 से 1967 का दशक भारत के लिए चुनौतियों से भरा था। इस दशक में भारत ने दो जंगें लड़ीं। 1962 में भारत ने चीन से लड़ाई लड़ी। तो, 1965 में पाकिस्तान से जंग हुई। 1965 और 1966 में लगातार दो साल भारत ने सूखे का सामना किया। भीषण महंगाई और कर्ज लौटाने की चिंता हावी थी। आईएमएफ और विश्व बैंक करेंसी डीवैल्यूएशन का दबाव बना रहे थे। पाकिस्तान से युद्ध के बाद अमेरिका खफा था। उसने पीएल-480 डील को रिन्यू करने से मना कर दिया था। इससे रुपये में गिरावट आई। यह भारत को ईस्टर्न ब्लॉक की तरफ खींच ले गया। यहीं से भारत और रूस की दोस्ती के लिए रास्ता बना।
1967 से 1977 तक का दशक राष्ट्रीयकरण 2.0 का था। 1950 के दशक में राष्ट्रीयकरण की पहली लहर आई थी। इसमें सिविल एविएशन, रेलवे जैसे सेक्टरों का राष्ट्रीयकरण हुआ था। इस दौरान ओएनजीसी, भेल और सेल जैसे सार्वजनिक उद्यम बने थे। 1977 तक के दशक में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1950 की समाजवादी आर्थिक नीतियों को दोबारा उतारना शुरू किया। बैंकों और कोयला खदानों को नेशनलाइज्ड कर दिया गया। इसके अलावा किसी का एकछत्र राज न हो पाए, इसके लिए एक कानून लाया गया। इसका नाम था एकाधिकार व अवरोधक व्यापार व्यवहार अधिनियम यानी एमआरटीपी। इनमें से कई पीएसयू अब भी फायदे में हैं। वहीं, भेल, बीएसएनएल, एमटीएनएल जैसे दूसरे सरकारी उद्यम फेल हो गए हैं।
1977 से 1987 का दशक बेहद खास था। इस दौरान बीएसई का सेंसेक्स लॉन्च हुआ था। टीवी पर पहली बार कलर ब्रॉडकास्टिंग भी इसी दशक में शुरू हुई थी। ये दोनों सीधे-सीधे मध्य वर्ग से जुड़े थे। इन्होंने मध्य वर्ग के लिए पैसा खर्च करने और निवेश का रास्ता खोला। सेंसेक्स 1986 में शुरू हुआ। इसके लिए बेस ईयर रखा गया 1979। इसकी मौजूदा वैल्यू बेस से 581 गुना है। देश में कलर टेलीकास्ट 1982 में शुरू हुआ। इस दशक में कई लोकप्रिय टीवी कार्यक्रम बने। इनमें हम लोग, बुनियाद, चित्रहार, रामायण और महाभारत शामिल थे।
1997 से 2007 के दशक में भारत ने सबसे तेज ग्रोथ देखी। इस दशक के 10 साल में से 6 साल में भारत की अर्थव्यवस्था 8 फीसदी या इससे ज्यादा रफ्तार से बढ़ी। एक साल के दौरान ग्रोथ 9 फीसदी से भी ज्यादा रही। सेल फोन खरीदने वालों की संख्या बढ़ी। इसने इंटरनेट के फैलने के लिए रास्ता बनाया।
2007 से 2017 का दशक अंतरिक्ष में भारत की धाक के लिए जाना जाता है। 1980 में भारत ने रोहिणी सैटेलाइट लॉन्च की थी। इसने भारत को एक खास क्लब में खड़ा कर दिया था। 2007 से 2017 के दौरान भारत स्पेस लॉन्च के क्षेत्र में बड़ा प्रतिस्पर्धी बन गया था। इस दौरान उसने 340 से ज्यादा विदेशी सैटेलाइट को लॉन्च किया। उसका पीएसएलवी दुनिया में सबसे ज्यादा भरोसेमंद लॉन्चर माना जाता है।2017 से 2022 का दशक फाइनेंशियल इंक्लूजन का था। इसमें प्रधानमंत्री जनधन योजना की शुरुआत हुई। इसने फाइनेंशियल इंक्लूजन की रफ्तार को बढ़ा दिया। तेजी से बैंक खाते खुले। स्कीम ने अलग-अलग तरह की सरकारी स्कीमों का फायदा सीधे गरीबों के खातों में डालने में मदद की।