हैदराबाद के निजाम ने सरकार के खजाने में कई हजार किलो सोना दान दिया था! एक वक्त देश के सबसे अमीर लोगों में हैदराबाद के अंतिम निजाम उस्मान अली खान की गिनती होती थी। ब्रिटिश अखबार ने हैदराबाद के निजाम की संपत्ति 236 अरब डॉलर आंकी थी। हैदराबाद के निजाम के बारे में यह बात कही जाती है कि पाकिस्तान के साथ युद्ध के बाद राष्ट्रीय रक्षा कोष में 5 हजार किलो सोना दान दिया था। कहा जाता है कि निजाम मीर उस्मान अली खान ने 1965 में अपनी हैदराबाद यात्रा के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को 5,000 किलो सोना दिया था। प्रधानमंत्री 65 की लड़ाई के बाद अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए धन जुटाने के लिए देश भर में दौरा कर रहे थे। कहानी यह है कि सोना दान करने के बाद निजाम ने केवल इतना ही कहा कि कीमती धातु वाले बक्सों को वापस कर दिया जाए। हालांकि सूचना के अधिकार के तहत जो जानकारी मिली है उसने इस किंवदंती का भंडाफोड़ किया है कि हैदराबाद के निजाम मीर उस्मान अली खान ने पाकिस्तान के साथ 1965 के युद्ध के बाद राष्ट्रीय रक्षा कोष में 5,000 किलोग्राम सोना दान किया था। वास्तव में निजाम ने आर्थिक संकट से निपटने के लिए अक्टूबर 1965 में शुरू की गई राष्ट्रीय रक्षा स्वर्ण योजना में 6.5% ब्याज के साथ 4.25 लाख ग्राम (425 किलोग्राम) सोना निवेश किया। 11 दिसंबर, 1965 की द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और हैदराबाद के निजाम के बीच एयरपोर्ट पर कुछ शब्दों का आदान-प्रदान हुआ। बाद में शाम को एक जनसभा को संबोधित करते हुए शास्त्री ने निजाम को 4.25 लाख ग्राम सोने के बांड में निवेश करने पर बधाई दी। निवेश में पुराने सोने के मोहर (सिक्के) थे जिनका मूल्य उनकी प्राचीनता के आधार पर अधिक था। उन्होंने कहा कि हम इन सोने के मोहरों को पिघलाना नहीं चाहते हैं, लेकिन उच्च मूल्य प्राप्त करने के लिए उन्हें विदेशों में भेजना चाहते हैं। हमें एक करोड़ रुपये मिल सकते हैं।
इस रिपोर्ट में तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम से 1.25 लाख ग्राम सोना और सरकार को तेलुगू फिल्म सितारों से 8 लाख रुपये नकद के दान का भी उल्लेख है। अक्टूबर 1965 के नेशनल डिफेंस गोल्ड बॉन्ड्स में एमनेस्टी स्कीम होने का अतिरिक्त लाभ था। नेशनल डिफेंस गोल्ड बॉन्ड्स में निवेश करने वालों को कई प्रकार की छूट थी। कस्टम रेगुलेशन लागू नहीं होता साथ ही आयकर अधिनियम के तहत भी छूट थी। किसी की आय कम होने पर भी सोना कहां से आया इसको लेकर कोई सवाल नहीं था। सरकार के प्रेस नोट इसका जिक्र भी था।
निजाम उस्मान अली खान के पोते नजफ अली खान ने इस बारे में कहा कि उन्हें भुगतान के बारे में जानकारी नहीं है।अक्टूबर 1965 के नेशनल डिफेंस गोल्ड बॉन्ड्स में एमनेस्टी स्कीम होने का अतिरिक्त लाभ था। नेशनल डिफेंस गोल्ड बॉन्ड्स में निवेश करने वालों को कई प्रकार की छूट थी। कस्टम रेगुलेशन लागू नहीं होता साथ ही आयकर अधिनियम के तहत भी छूट थी। किसी की आय कम होने पर भी सोना कहां से आया इसको लेकर कोई सवाल नहीं था। सरकार के प्रेस नोट इसका जिक्र भी था। निजाम उस्मान अली खान के पोते नजफ अली खान ने इस बारे में कहा कि उन्हें भुगतान के बारे में जानकारी नहीं है। मुझे नहीं पता कि किसने दावा किया है। निजाम ने 52 ट्रस्ट बनाए थे लेकिन मुझे इस पैसे को प्राप्त करने वाले किसी ट्रस्ट के बारे में जानकारी नहीं है। मुझे नहीं पता कि किसने दावा किया है। निजाम ने 52 ट्रस्ट बनाए थे लेकिन मुझे इस पैसे को प्राप्त करने वाले किसी ट्रस्ट के बारे में जानकारी नहीं है।
हैदाराबाद के निजाम के बारे में कई और कहानियां भी प्रचलित हैं। कहा जाता है कि निजाम 1340 करोड़ रुपये का पेपरवेट यूज करते थे। यह पेपरवेट डायमंड का था। निजाम के मोतियों और घोड़ों के शौक के बारे में आज भी हैदराबाद में कई कहानियां मशहूर हैं। वहीं यह भी कहा जाता है कि हैदराबाद के निजाम अमीर होने के साथ ही साथ कंजूस भी थे।अक्टूबर 1965 के नेशनल डिफेंस गोल्ड बॉन्ड्स में एमनेस्टी स्कीम होने का अतिरिक्त लाभ था। नेशनल डिफेंस गोल्ड बॉन्ड्स में निवेश करने वालों को कई प्रकार की छूट थी। कस्टम रेगुलेशन लागू नहीं होता साथ ही आयकर अधिनियम के तहत भी छूट थी। किसी की आय कम होने पर भी सोना कहां से आया इसको लेकर कोई सवाल नहीं था। सरकार के प्रेस नोट इसका जिक्र भी था। निजाम उस्मान अली खान के पोते नजफ अली खान ने इस बारे में कहा कि उन्हें भुगतान के बारे में जानकारी नहीं है। मुझे नहीं पता कि किसने दावा किया है। निजाम ने 52 ट्रस्ट बनाए थे लेकिन मुझे इस पैसे को प्राप्त करने वाले किसी ट्रस्ट के बारे में जानकारी नहीं है। कहा जाता है कि निजाम ने एक टोपी 35 साल तक पहनी। वह कपड़े भी प्रेस किया हुआ नहीं पहनते थे। हैदराबाद के निजाम अपने ऊपर काफी कम खर्च करते थे। निजाम की कितनी शादियां हुईं और कितने बच्चे थे इसको लेकर भी कई बातें कही गई हैं।