एक समय सीमा तक यदि नींद आए तो वह लाभदायक होती है, लेकिन इस समय सीमा से अधिक अगर नींद आए तो वह जानलेवा साबित हो सकती है!
स्वस्थ शरीर और मन के लिए सभी लोगों को रोजाना रात में 6-8 घंटे की नींद पूरी करने की सलाह दी जाती है। अध्ययनों से पता चलता है कि जिन लोगों की नींद पूरी नहीं होती है, उनमें समय के साथ कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्याओं के विकसित होने का जोखिम हो सकता है। सिर्फ एक रात नींद पूरी न हो पाने के कारण भी थकान-कमजोरी, चिड़चिड़ापन, तनाव जैसी समस्याएं हो सकती हैं। वहीं अगर ये दिक्कतें लंबे समय तक बनी रहती हैं तो इसके कारण गंभीर समस्याएं भी विकसित हो सकती हैं, इसमें से कई के जानलेवा होने का भी खतरा हो सकता है।यदि आप हर दिन 6 घंटे से भी कम सोते हैं या फिर 8 घंटे से भी बहुत ज्यादा सोते हैं, तो ये दोनों ही स्थितियां आपकी सेहत के लिए ठीक नुकसानदायक साबित हो सकती हैं. कुछ लोग बहुत कम सोते हैं. इसकी वजह होती है देर तक जागकर मोबाइल या टीवी देखना, ऑफिस का काम निपटाना या फिर कोई शारीरिक समस्या के कारण जल्दी नींद नहीं आती है. लेकिन, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिन्हें सारा दिन नींद ही आती रहती है या नींद आने जैसा महसूस होता रहता है. अत्यधिक नींद आना भी सेहत के लिए सही नहीं है. यदि आप 7-8 घंटे नींद ले रहे है बावजूद इसके आपको नींद आती है, तो ऐसा होना के कारणों को आपको जरूर जान लेना चाहिए.बार-बार नींद आती है या सोने का मन करता रहता है, तो इस समस्या को हाइपरसोम्निया कहा जाता है. 7-8 घंटे पर्याप्त नींद लेने के बाद भी जब आपको नींद आती रहती है, तो यह एक प्रकार का स्लीप डिसऑर्डर इसलिए नींद ना आना बड़ी चुनौती साबित हो सकती है! नींद विकारों के शिकार लोगों में मोटापा होने का खतरा अधिक होता है, जिसे कई प्रकार के जानलेवा रोगों जैसे हृदय रोग, कैंसर और टाइप-2 डायबिटीज की समस्या बढ़ाने वाला माना जाता है।अध्ययनों से पता चलता है कि नींद की कमी, शरीर में हार्मोनल असंतुलन का कारण बनती है जिसके कारण अधिक खाने की इच्छा हो सकती है
विशेषज्ञ कहते हैं, नींद विकार सीधे तौर पर जानलेवा समस्याओं का कारण तो नहीं बनती हैं, हालांकि इसके कारण उत्पन्न कई स्थितियां जरूर आपकी परेशानी को बढ़ा सकती हैं। नींद विकारों के शिकार लोगों में मोटापा होने का खतरा अधिक होता है, जिसे कई प्रकार के जानलेवा रोगों जैसे हृदय रोग, कैंसर और टाइप-2 डायबिटीज की समस्या बढ़ाने वाला माना जाता है।अध्ययनों से पता चलता है कि नींद की कमी, शरीर में हार्मोनल असंतुलन का कारण बनती है जिसके कारण अधिक खाने की इच्छा हो सकती है, जो वजन बढ़ने का कारण बनती है। नींद पूरी न कर पाने वाले लोगों में लेप्टिन और घ्रेलिन जैसे हार्मोंन्स का असंतुलन हो सकता है। ये आपमें भूख की भावना को बढ़ा देते हैं। नींद की कमी के कारण ग्रोथ हार्मोन में कमी और कोर्टिसोल के बढ़ने का खतरा भी देखा जाता है, ये दोनों मोटापे के जोखिम को बढ़ा देते हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, वैसे तो नींद विकार सीधे तौर पर जानलेवा दुष्प्रभावों वाले नहीं माने जाते हैं, हालांकि लंबे समय तक बनी रहने वाली यह समस्या कई ऐसे रोगों के खतरे को बढ़ा देती है जिसके कारण समय से पहले मृत्यु का खतरा हो सकता है।
नींद विकार वाले लोगों में मोटापा का खतरा सबसे अधिक होता है। मोटापा या अधिक वजन की स्थिति हृदय रोगों का जोखिम कारक है, जिसे दुनियाभर में मृत्यु के प्रमुख कारक के रूप में जाना जाता है।
मोटापा और मानसिक स्वास्थ्य विकारों के अलावा नींद की कमी कई और प्रकार की समस्याओं को बढ़ावा दे सकती है। अध्ययनों से पता चलता है कि जिनकी नींद लगातार पूरी नहीं हो पाती है उनमें इस तरह के जोखिमों का खतरा बढ़ जाता है।
उच्च रक्तचाप
दिल की धड़कन का रुकना (हार्ट फेलियर)
अनियमित रूप से दिल का धड़कना।
धमनी के रोग।
टाइप-2 डायबिटीज।
मूड विकार, डिप्रेशन और चिड़चिड़ापन।
नींद विकारों से बचाव के लिए कुछ बातों का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। यह समस्या किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है, इसलिए सभी लोगों को इस बारे में सावधानी बरतनी चाहिए।
हर रात एक ही समय पर सोने की कोशिश करें।
कोशिश करें कि दिन में नींद न लें इससे आपकी रात की नींद प्रभावित हो सकती है।
कैफीन, निकोटीन और शराब आदि से बचें।
नियमित व्यायाम की आदत बनाएं, इससे लाभ मिलता है।