अक्सर ज्यादा देर तक बैठे रहने से पीठ के निचले हिस्से में दर्द होने लग जाता है! पीठ दर्द सिर्फ वृद्धावस्था का ही दर्द नहीं है बल्कि यह किसी भी उम्र में होने वाली तकलीफदेह बीमारी है। आज की बदलती जीवन शैली के कारण पीठ या कमर दर्द की समस्या आम बनती जा रही है। महिलाओं में मासिक एवं गर्भावस्था के दौरान कमर दर्द की शिकायत अधिक देखी जाती है। कैल्शियम, विटामिन की कमी, रूमेटायड आर्थराइटिस, कशेरूकाओं की बीमारी, मांसपेशियों एवं तन्तुओं में खिंचाव, गर्भाशय में सूजन, मासिक में गड़बड़ी, गलत आसनों के प्रयोग आदि अनेक कारणों से पीठ या कमर में दर्द हो जाता है।
रीढ़ का निचला हिस्सा हमारे शरीर का ज्यादातर वजन उठाता है। जब हम झुकते, मुड़ते या भारी वस्तु उठाते हैं तब भी सारा भार रीढ़ के निचले हिस्से पर पड़ता है। जब हम एक स्थान पर ज्यादा समय बैठते हैं तब भी भार उसी स्थान पर पड़ता है। इन सब कारणों से हमारी रीढ़ को सहारा देने वाली मांसपेशियां, टिश्यू तथा लिंगामेंटस पर बार-बार दबाव पड़ता है। इस तरह की इंजरी को स्ट्रेस इंजरी कहते हैं। इससे बचने के लिए लगातार एक ही पोजीशन में एक जगह पर न बैठकर काम करें और थोड़ा ब्रेक लेते रहें। अपने पॉश्चर को बदलते रहें ताकि मांसपेशियों में अकड़न न आने पाए।
आयुर्वेद में वात और कफ की दृष्टि के कारण पीठ के निचले हिस्से में दर्द होता है।पीठ के नीचले हिस्से में दर्द होने के पीछे और भी बहुत सारे कारण होते है जो निम्नलिखित है-
तनाव- जब हम तनाव में होते हैं तो हमारी मांसपेशियां अकड़ जाती हैं। खासकर गले और पीठ के ऊपरी हिस्से की मांसपेशियों पर तनाव का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। पीठ की मांसपेशियों के अकड़ जाने से हमारी पीठ दुखने लगती है। आपने गौर किया होगा, जब भी आप तनावग्रस्त होते हैं तो सबसे पहले पीठ परेशान करना शुरू कर देती है, जिन लोगों को पीठ दर्द की समस्या होती है, यदि वे लंबे समय से तनावग्रस्त रहते हैं तो पीठ दर्द की समस्या और बढ़ जाती है, इसलिए मन को तनावग्रस्त होने से बचाना चाहिए।
नए-नए तकनीक- जो लोग दिन में कईं घंटे अपने फोन या टैब में बिजी रहते हैं, उन्हें टेक्स्ट नेक हेल्थ प्रॉब्लम होती है। चूंकि वे फोन या टैब पर काम करते समय अपनी गर्दन को नीचे झुकाए होते हैं, उनके मेरुदंड यानी स्पाइन पर अतिरिक्त वजन पड़ता है, यह अलग बात है कि शुरू-शुरू में उन्हें इसका एहसास नहीं होता, पर यह आदत धीरे-धीरे उनके पॉश्चर को प्रभावित करने लगती है और पीठ का दर्द शुरू हो जाता है, मामला साफ है, स्क्रीन में दिन रात घुसे रहने से आपकी आँखें ही नहीं, शरीर के दूसरे अंग भी परेशान हो रहे हैं, अब आप इस कनेक्शन को जान गए हैं तो अपने क्रीन टाइम को लिमिट में रखने की कोशिश करें।
शरीर के मांसपेशियों का तालमेल बिगड़ जाना- हमें यह तो पता ही है कि हमारे शरीर के सभी अंग आपस में एक बेहतरीन कोऑर्डिनेशन यानी तालमेल के साथ कम करते हैं, पीठ में दर्द होने का यह मतलब नहीं है कि मुख्य समस्या पीठ में ही है, हैमस्ट्रिंग्स में खिंचाव या पेट की मांसपेशियों के कमजोर होने में भी पीठ का दर्द होता है, दरअसल, यदि शरीर में मसल्स का तालमेल गड़बड़ाता है तो उसका असर पूरे शरीर पर पड़ता है, खासकर ऐसी स्थिति में पीठ को ज्यादा काम करना पड़ता है, तो पीठ अपना ओवरटाइम मांगने लगती है, यहां ओवरटाइम को आप एक्स्ट्रा केयर मान सकते हैं।
आप अपने डॉक्टर या फिजियो थेरेपिस्ट से मिलें और इस बारे में उनकी राय लें, हाँ, आप कोर मसल्स को मजबूत बनाने वाले एक्सरसाइज करें और बेली को भी शेप में रखने की कोशिश आपकी प्राथमिकता होने चाहिए। इस बात को ध्यान में रखें कि पीठ दर्द की स्थिति में एक्सरसाइज किसी विशेषज्ञ की देखरेख में ही करें।
रीढ़ की हड्डी के बीच के डिस्क रीढ़ की समस्या-हमारी रीढ़ की हड्डी के बीच के डिस्क रीढ़ का कुशनिंग इफेक्ट की तरह काम करते हैं। वे रीढ़ को किसी भी तरह के झटके से बचाते हैं, सीधी भाषा में समझ लीजिए कि शॉक-एब्जॉर्बर का काम करते हैं, पर समय के साथ ये डिस्क्स फ्लैट होने लगते हैं, या गलत पॉश्चर या चोट आदि लगने के चलते इनमें गड़बड़ी आने लगती है। कई लोगों को डिस्क में गड़बड़ी की फैमिली हिस्ट्री भी होती है। ये डिस्क्स हमेशा दर्द वाली स्थिति पैदा करते हों, ऐसा नहीं है, पर जब एक बार डिस्क्स के चलते दर्द शुरू होता है तो काफी तकलीफ होती है। हॉट और कॉल्ड पैक्स लगाने से भी आराम मिलता है। फिजियो थेरैपी से भी मदद मिलती है, पर आपके लिए बेहतर यही होगा कि आप डॉक्टर की सलाह पर अमल करें।
गंभीर बीमारी- कभी-कभी पैंक्रियाटाइटिस, अल्सर या किडनी इन्फेक्शन के चलते भी पीठ में तेज दर्द होता है। वहीं कभी-कभी पीठ का दर्द कैंसर का संकेत भी देता है। इसके अलावा ऑस्टियोमायलाइटिस जैसा रीढ़ की हड्डी का इन्फेक्शन भी पीठ दर्द का कारण हो सकता है।