आपने अक्सर यह बात देखी होगी के अधिकतर लोगों के बालों में जू होती है! जूँ एक प्रकार का परजीवी है जो मनुष्य के शरीर में पैदा होता है। आमतौर पर यह सिर्फ बालों में ही होती है लेकिन कुछ लोगों के शरीर में पहने गए कपड़ों में पसीने वाले स्थानों में भी हो जाते हैं। इनका कार्य भी शरीर का खून पीना होता है। यह साफ-सफाई के अभाव में होते हैं।जूँ परजीवी, मनुष्य के शरीर में पैदा होते हैं। आमतौर पर यह बालों में ही पाए जाते हैं। इनका शरीर लंबा, पंखहीन और छोटे होते हैं, इनके एंटीना के चार भाग होते हैं, सिर छोटा और मुँह भेदक होता है। यह अपने मुँह से त्वचा में छेद करके खून पीते हैं और जब यह खून पीते हैं तो उस जगह पर खुजली होने लगती है। यह शरीर में छेद करते समय चेतनाशून्य पदार्थ (संवेदना शून्य) छोड़ते हैं जिसके कारण जब वे काटते तब दर्द महसूस नहीं होता है। यह ज्यादातर लम्बे बालों वाले लोगों में साफ-सफाई की कमी की वजह से हो जाते हैं।
एक व्यस्क जूँ का आयुकाल पोषक त्वचा के ऊपर 30 दिनों का होता है। इस समय मादा जूँ करीब 90 अण्डे देती है तथा 7–10 दिन के अन्दर इन अण्डों में से जूँ निकल आते हैं और अगले 10 दिनों में यह व्यस्क जूँ के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं। इसी तरह यह प्रक्रिया चलती रहती है।
जीवनशैली में व्यक्तिगत साफ-सफाई की कमी के कारण भी जुएँ पड़ जाती हैं। जो लोग शारीरिक स्वच्छता का ध्यान नहीं रखते जैसे कईं दिनों तक न नहाना, बालों को न धोना, दूषित भोजन करना, गन्दी जगह पर बैठना और जुओं से ग्रस्त व्यक्ति के साथ बैठना या कपड़े, तौलिया आदि शेयर करना, ऐसे सब जीवनशैली में लापरवाही के कारण बालों में जुएँ पड़ जाती हैं।
जूँ होना किसी बीमारी का संकेत नहीं है परन्तु यह रूसी की समस्या वाले लोगों में तथा तैलीय त्वचा में आसानी से पनप जाते हैं। बालों की सफाई न करना, गन्दगी और चिपचिपेपन के कारण बालों में जूँ हो जाते हैं। इसके अलावा जूओं से ग्रस्त व्यक्ति के पास बैठने या सोने से जुएँ होती हैं।
जूँ होना किसी बीमारी का संकेत नहीं है परन्तु यह रूसी की समस्या वाले लोगों में तथा तैलीय त्वचा में आसानी से पनप जाते हैं। बालों की सफाई न करना, गन्दगी और चिपचिपेपन के कारण बालों में जूँ हो जाते हैं। इसके अलावा जूओं से ग्रस्त व्यक्ति के पास बैठने या सोने से जुएँ होती हैं।
-सिर में खुजली होना इसका मुख्य लक्षण है- बालों में जूँ जिनको जूँ हुआ है उनके सिर के संपर्क में आने से हो जाता है। जूँ असंख्य अण्डे देते हैं जिन्हें ‘लीख’ कहते हैं को पैदा करने के बाद तीसरे दिन ही वे ‘लीख’ फूट कर जूँ बन जाते हैं फिर सिर की त्वचा में भेदन कर खून पीते हैं जिसके कारण सिर में अत्यधिक खुजली होती है।
-जुओं के चलने या रेंगने से सिर में परेशानी महसूस होती है।
-बालों में जूँ के अण्डे यानी ‘लीख’ चिपक जाते हैं जो सफेद रंग के बहुत छोटे रूप में बालों में दिखाई देते हैं।
जूँ और लीख न हो इसके लिए व्यक्ति को अपनी जीवनशैली में कुछ बालों का ध्यान रखना चाहिए जैसे- शारीरिक साफ-सफाई तथा बालों की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें। प्रतिदिन स्नान एवं स्वच्छ कपड़े पहनने चाहिए। अत्यन्त पसीने एवं गन्दे कपड़ों के कारण कपड़ों पर पड़ने वाली जुएँ हो सकती हैं। इसके साथ ही जुओं से ग्रसित व्यक्ति के पास बैठना तथा सोना नहीं चाहिए और उनके कपड़े या तौलिया भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
जूँ होने पर बालों में तेल लगाना लाभदायक होता है। नारियल तेल तथा जैतून के तेल में जुओं को मारने की क्षमता होती है। बालों में तेल लगाने से जुओं को घुटन होती है और वह मर जाते हैं, लेकिन तेल लगाने से केवल जूँ नष्ट होते हैं, जूँ के अण्डे (लीख) इससे नष्ट नहीं होते। जुओं को खत्म करने के लिए कम से कम 8–9 घण्टों तक सिर में तेल लगाकर रखना चाहिए तथा उसके बाद बालों को धोकर कंघी से जुओं को निकालना चाहिए।
बच्चों के बालों में सबसे ज्यादा जूँ की परेशानी होती है। उनको इस परेशानी से निजात दिलाने में यह घरेलू नुस्ख़े बहुत काम आते हैं।गीले बालों में पतले दाँतों वाली कंघी से बालों को ऊपर से नीचे की ओर लाएँ, ऐसा दिन में दो बार करने से धीरे-धीरे जुएँ निकल जाएंगी।
प्राकृतिक पौधों से बने तेलों के इस्तेमाल से भी जुओं को नष्ट किया जा सकता है। जैसे- टीट्री ऑयल या सौंफ तेल । इन्हें बालों पर लगाकर 7–8 घण्टे के लिए रहने दें फिर बालों को धोकर कंघी करें।जैतून का तेल सिर पर लगाकर रात भर के लिए छोड़ दें तथा सुबह बालों को धोकर पतले दाँतों वाली कंघी से बालों को सुलाझाए। इसके प्रयोग से बालों में जूँ एवं उसके अण्डे नहीं पनप पाते।