अक्सर आपने देखा होगा कि लोगों के पैरों की एड़ी में बहुत ज्यादा दर्द होने लग जाता है, जब भी वे चलते हैं तो वह ऐसे में असहनीय दर्द को महसूस करते हैं! आम तौर पर एड़ियों में दर्द की समस्या महिलाओं को ज्यादा होती है लेकिन यह आम समस्या है जो किसी को भी कभी भी हो सकती है। एड़ियों में दर्द होने पर कई बार चलना तक मुश्किल हो जाता है। एड़ियों में दर्द का मुख्य कारण प्लानटर फैसिटिस होता है, इस परिस्थिति को हिल स्पर सिंड्रोम भी कहते है। इसके अलावा एड़ियों में दर्द अन्य कारणों से भी हो सकता है जैसे- स्ट्रेस,फ्रैक्चर, टेंडोनाइटिस, अर्थराइटिस और नसों को जो नुकसान पहुँचता है उसके कारण भी होता है। कई मामलों में एड़ी का दर्द काफी गंभीर और असहनीय हो जाता है लेकिन यह स्वास्थ्य के लिए कोई खतरा पैदा नहीं करता। सामान्यत यह दर्द हल्का और अपने आप ठीक हो जाता है लेकिन प्लानटर फैसिटिस की स्थिति में यह दर्द निरन्तर और लम्बे समय तक बना रहता है। इसके अलावा यदि यह दर्द किसी चोट के कारण हो तो भी दर्द लंबे समय तक बना रह सकता है!
आयुर्वेद में एड़ी में होने वाले दर्द को वातकण्टक कहा गया है। यह मुख्य रूप से वात एवं कफ दोष के कारण होता है। वात दोष एवं कफ दोष को बढ़ाने वाले आहार के सेवन से तथा अत्यधिक व्यायाम, खेल-कूद, भाग-दौड़ के कारण कभी-कभी वात बढ़ जाता है। अत: कहने का मतलब यह है कि आयुर्वेद में वात एवं कफ दोष एड़ियों के दर्द के कारण माने गए हैं।
एड़ियों का दर्द अक्सर सुबह उठते वक्त रहता है, लोग कई बार इस दर्द को एक आम दर्द समझ्कर नजर अन्दाज कर देते है लेकिन यह हानिकारक हो सकता है। अगर हर रोज सुबह उठने के बाद ही आपकी एड़ियों में दर्द रहता है तो यह प्लानटर फैसिटिस होने का संकेत है जिसकी वजह से आपको रोज एड़ी के दर्द से जूझना पड़ता है। उपचार के अभाव में यह एक गंभीर समस्या बन सकती है, इसके कारण से व्यक्ति को दैनिक कार्यों एवं चलने-फिरने में तकलीफ का सामना करना पड़ सकता है। इस दर्द के वजह से अधिक देर तक खड़े रहने या वजन उठाने में भी कठिनाई हो सकती है।यदि एड़ी में दर्द सामान्य मांसपेशीगत दर्द न होकर प्लानटर फैसिटिस के कारण होता है तो इसमें दर्द के अलावा अन्य लक्षण भी पाए जाते है, जैसे-
-पैरों के निचले हिस्से में दर्द के साथ जलन या कुछ समय के लिए एड़ी से बाहर निकलता हुआ महसूस होना।
-पैरों के तलें में दर्द के साथ जकड़न।
-सोकर उठने के बाद एड़ियों में असहनीय दर्द।
-ज्यादा देर तक खड़ा रहने पर पैरों में दर्द।
-तलवे या एड़ी का उठा हुआ महसूस होना।
-पैर में हल्की सूजन या लाल होना।
-पैरों के तल में जकड़न या कड़ापन।
कभी-कभी शरीर में विटामिन-डी की कमी के कारण भी एड़ी में दर्द की समस्या हो सकती है। विटामिन-डी एक वसा में घुलनशील विटामिन है जो कि हड्डियों की मजबूती के लिए आवश्यक होता है। विटामिन-डी की कमी के कारण व्यक्ति को ऑस्टिरोपोरोसिस, हड्डियों में फ्रैक्चर या हड्डियों, मांसपेशियों, पैर और टखने में दर्द जैसी समस्याएं होने की आशंका रहती है। इसके अलावा विटामिन बी-12, कैल्शियम और मैग्निशियम की कमी के कारण भी एड़ी में दर्द की समस्या हो सकती है। शरीर में कैल्शियम के अवशोषण के लिए मैग्निशियम की जरूरत होती है, उसकी कमी के वजह से कैल्शियम की भी कमी हो जाती है। कहने का मतलब है कि विटामिन बी12 भी मांसपेशियों की सामान्य गतिविधि के लिए जरूरी होता है। इसके अलावा और भी कारण होते है, जो निम्न हैं-
-वजन बढ़ने की वजह से।
-लंबे समय तक खड़े रहने के कारण।
-ऊंची एड़ी वाले जूते या सैंडिल पहनने से।
-कोई नया व्यायाम या शारीरिक गतिविधि करने के कारण।
-पैर का सपाट होना या तले का असामान्य रूप से ऊँचा होना।
एड़ियों में दर्द होने पर ऐसे आहार का सेवन नहीं करना चाहिए जिससे इंफ्लामेशन या सूजन होने का खतरा हो, जैसे कि परिष्कृत अनाज, अत्यधिक मात्रा में चीनी, जंक फूड और बेकरी प्रोडक्ट में मौजूद ट्रांसफैट, मांसाहारी भोजन आदि। इसलिए इन चीजों का सेवन एड़ियों के दर्द में बिल्कुल नहीं करना चाहिए।एड़ी में दर्द होने पर बहुत देर तक खड़े रहना, ऊँची एड़ी वाले जूते पहनना, अधिक भार उठाना या अधिक वजन बढ़ना आदि, इन चीजों से भी दूर रहना चाहिए।
हल्दी का एंटी इंफ्लैमटोरी गुण शरीर में सूजन को कम करने में मदद करती है। इसलिए हल्दी का यह गुण एड़ियों के दर्द में बहुत फायदेमन्द साबित होती है। यह दर्द एवं सूजन दोनों में काम करती है। इसलिए अपने आहार में हल्दी का इस्तेमाल जरूर करें साथ ही दूध में हल्दी मिलाकर पीने से भी लाभ मिलता है।दिन में लगभग चार से पाँच बार प्रभावित जगह पर बर्फ का टुकड़ा लगाएँ। इसके लिए एक कपड़े में बर्फ के टुकड़े को लपेटकर दर्द वाली जगह पर लगाने से दर्द से जल्दी आराम मिलता है।