अक्सर आपने देखा होगा कि लोगों के गले में दर्द की समस्याएं सामने आती रहती है! गले के दर्द की समस्या कई बार मौसमी होती है, लेकिन कई बार यह बैक्टीरिया और वायरस की देन भी होती है। गले का दर्द बहुत ही बीमारियों का लक्षण भी हो सकता है। जब किसी व्यक्ति को बुखार, सर्दी-जुकाम, कान दर्द, गले या मुंह के कैन्सर जैसी गम्भीर बीमारी होती है तो उसे भी गले का दर्द होता है। सही समय पर इस पर ध्यान ना दिया जाए तो बीमारी काफी कष्टदायी हो जाती है।
जब गले में सूजन की समस्या होती है तो सबसे पहले गले में दर्द होता है। गले में बैक्टीरियल इन्फेक्शन की वजह से स्ट्रेप थ्रॉट होता है। गले में दर्द होने पर जलन, खिचखिच जैसी समस्याएं होने लगती हैं। भोजन निगलने के दौरान दर्द और अधिक होने लगती है।
गले में खुजली व खराश जैसी सनसनी।
निगलने व बोलते समय दर्द का बढ़ना।
खाद्य पदार्थों को निगलने में कठिनाई होना।
गलाे का सूखना।
गर्दन की ग्रन्थियों में सूजन व दर्द होना।
टॉन्सिल में सूजन होना।
लालिमा।
आवाज में कर्कशता।
आवाज धीमी होना।
कान के निचले भाग में भी दर्द रहता है।
दर्द के कारण बुखार भी रहता है।
बार-बार छींकना।
खांसी।
सांस लेने में परेशानी।
असंतुलित आहार के सेवन से गले में दर्द होने की सम्भावना रहती है।
वात दोष की प्रधानता एवं त्रिदोष प्रकोप से गले में दर्द होता है।
गले में दर्द होने का सबसे आम कारण वायरल संक्रमण है। सर्दी-जुकाम के कारण गले में दर्द हो सकता है। इसके अलावा गले में दर्द की वजह सोर थ्रोट या स्ट्रेप थ्रोट दोनों हो सकते हैं। एलर्जी– धूल, प्रदूषण इत्यादि से होने वाली एलर्जी के कारण गले में दर्द होता है।
वातावरण- शुष्क हवा होने के कारण रूखापन, जलन का अनुभव हो सकता है।
चिल्लाना- अधिक शोर वाली जगह, किसी दूसरे व्यक्ति से अधिक बात करने से एवं बिना आराम लगातार बात करने से गले में दर्द हो सकता है।
गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स- यह एक पाचन तंत्र का विकार है, जो गले में दर्द का कारण बनता है।
गले, जीभ गर्दन की नली में यदि ट्यूमर हो जाए तो वह गले के दर्द का कारण होता है।
गले में जहां पर नाक और मुंह का छेद मिलता है, वही पर जीभ के पिछले भाग से जुड़ा हुआ जो अंग होता है, उसे टॉन्सिल कहते हैं। किसी कारणवश यदि टॉन्सिल में संक्रमण हो जाये या सूजन आ जाये तो इसमें काफी दर्द होता है। दर्द के कारण कभी-कभी खाना खाने या मुंह खोलने में भी काफी तकलीफ होती है। टॉन्सिल के कारण गले में दर्द हो सकता है, लेकिन अन्य कारणों से भी गले में दर्द होता है।
आप अनार आसानी से किसी भी बाजार से खरीद सकते हैं। यह गले में दर्द होने पर लाभ पहुंचाता है। अनार के रस का सेवन करने से गले की दर्द व सूजन कम हो सकती है।गले में दर्द होने पर आपका खान-पान ऐसा होना चाहिएः-
पौष्टिक आहार का सेवन करें।
जितना हो सके तरल पदार्थों का सेवन करें, ताकि आपका गला सूखे नहीं। भरपूर पानी का सेवन करने से पानी की कमी नहीं होती।
एक गिलास पानी को हल्का गरम करें। इसमें एक चम्मच नमक डालें। इस पानी से गरारे करें। ऐसा करने से गले के दर्द में फायदा होता है।
एक-दूसरे का जूठा ना खाएं।
चिल्लाने से बचें नहीं तो गले में सूजन बढ़ सकती है।
एक ही बर्तन जैसे चम्मच व ग्लास का उपयोग बिना धोए ना करें।
संतरे और अन्य रस व फल अम्लीय (खट्टे) होते हैं। इसका सेवन करने से गले का दर्द और बद्तर हो जाता है।
वे खाद्य पदार्थ जो सिरका और नमक से बनते हैं, उनका सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। ये गले के दर्द की स्थिति को और गम्भीर बना सकते हैं।
जिन लोगों के गले में दर्द रहता है, उन्हें अम्लीय प्रकृति की सब्जियां जैसे – टमाटर इत्यादि का बिल्कुल सेवन नहीं करना चाहिए।
मिर्च, सॉस और जायफल जैसे मसाले गले में दर्द की स्थिति को और खराब कर सकते हैं।
पेय पदार्थ और माउथ फ्रेशनर या माउथवॉश, जिनमें एल्कोहल होता है। वे संक्रमित गले में एक चुभने वाली तकलीफ शुरू कर सकते हैं।
एल्कोहल का सेवन करने से शरीर में पानी की कमी होती है। इसलिए यह उन लोगों के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है जिनके गले में दर्द होता है।
जो लोग धूम्रपान आदि का सेवन करते हैं, उन लोगों को कुछ समय के लिए धूम्रपान, तम्बाकू आदि को छोड़ देना चाहिए।
जिन खाद्य पदार्थों के नुकीले किनारे होते हैं जैसे- बिस्कुट, कुरकुरे, अखरोट आदि का सेवन नहीं करें।
ठण्डे पेय पदार्थ जैसे- कोल्ड ड्रिंक्स, आईसक्रीम आदि का सेवन ना करें।
तेज आवाज में बात ना करें।
जंक फूड जैसे- पिज्जा, बर्गर आदि का सेवन ना करें।
कैफीन और शराब का सेवन ना करें। इससे आपके गले की समस्या बढ़ सकती है, और शरीर में पानी की कमी हो सकती है।
यदि आयुर्वेदिक उपाय से फायदा नहीं मिले तो इसका मतलब यह है कि रोगी ने उपाय या परहेज नहीं किया, या फिर गले में संक्रमण इतना ज्यादा फैल गया है कि घरेलू उपचार से ठीक नहीं किया जा सकता।
आमतौर पर वायरल संक्रमण से होने वाले गले का दर्द कुछ दिनों में अपने आप ही ठीक हो जाता है, लेकिन जब घरेलू उपाय काम नहीं करें तो आपको डॉक्टर के पास जाना चाहिए। निम्नलिखित स्थिति में डॉक्टर के पास जाना चाहिए-
जब दर्द बहुत ज्यादा हो।
खाद्य पदार्थ एवं तरल पदार्थ निगलने में कठिनाई का सामना करना पड़े।
गर्भावस्था में गले में दर्द हो।
सांस लेने में कठिनाई हो।
मुंह से लार निकलने लगे।
जब आपको डिहाइड्रेशन के लक्षण का अनुभव हो।
जब आपके कानों में दर्द हो।
दर्द के कारण नींद ना आएं। सोने में दिक्कत होना।
थूकने पर खून आए।