कुछ लक्षण ऐसे होते हैं जो ब्लड शुगर के मरीजों को हूबहू होते हैं, तो ऐसे में सतर्क रहना बहुत जरूरी होता है कि आप के साथ हो रहे लक्षण कहीं ब्लड शुगर वाले लक्षण तो नहीं! शरीर के स्वस्थ रहने के लिए ब्लड शुगर के लेवल का सामान्य बने रहना बहुत आवश्यक माना जाता है। इसका बढ़ना या घटना, दोनों ही स्थितियां गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को बढ़ा देती हैं। आमतौर पर ब्लड शुगर के बढ़ने की स्थिति को ज्यादा सामान्य माना जाता है जोकि डायबिटीज का कारण बनती है, वहीं इसका कम होना आपके दिल की धड़कनों से लेकर मस्तिष्क के कार्यों तक पर बुरा असर डाल सकती है। यही कारण है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को ब्लड शुगर का स्तर सामान्य रखने वाले उपाय करते रहने की सलाह देते हैं। शुगर लेवन बढ़ने को हाइपरग्लाइसीमिया जबकि इसके कम होने को हाइपोग्लाइसीमिया के रूप में जाना जाता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, हाइपोग्लाइसीमिया में तत्काल उपचार की आवश्यकता होती है।70 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर की मात्रा से कम के शुगर लेवल को हाइपोग्लाइसीमिया के रूप में जाना जाता है। लो ब्लड शुगर तब होता है जब शरीर को जरूरत से ज्यादा इंसुलिन बनाना पड़ता है। यह समस्या अचानक शुरू होकर कुछ ही समय में बढ़ सकती है, इसलिए इसको लेकर लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए।
ब्लड शुगर के स्तर में गिरावट के साथ शरीर उच्च स्तर पर एड्रेनालाईन हार्मोन का उत्पादन करने लगता है, जिसके कारण अधिक पसीना आने की समस्या हो सकती है। इसके अलावा रोगी की चेतना कम होने लगती है जिसके कारण चक्कर आना काफी सामान्य है। यह लक्षण बहुत तेजी से विकसित होते हैं, ऐसे में तुरंत ब्लड शुगर की जांच कर उपयुक्त उपाय करने की आवश्यकता होती है।
ब्लड शुगर का लेवल कम होने की स्थिति में दिल की धड़कन में अनियमितता की शिकायत देखी जा सकती है। इस वजह से बैचैनी और घबराहट जैसे अनुभव भी हो सकते हैं। यदि यह समस्या लंबे समय तक बनी रहती है तो इसके कारण गंभीर दिक्कतों का जोखिम भी बढ़ जाता है। कुछ लोगों को हाइपोग्लाइसीमिया के कारण दौरे भी पड़ने लगते हैं। यही कारण है कि इसमें आपातकालीन चिकित्सा की जरूरत होती है।
ब्लड शुगर कम होने के साथ दृश्य संबंधी गड़बड़ी या धुंधला दिखाई देने की समस्या हो सकती है। इन सभी स्थितियों को अनुपचारित छोड़ना गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है। इसके अन्य लक्षणों को लेकर भी लोगों को सावधान रहने की आवश्यकता होती है।
सिरदर्द-थकान।
चिड़चिड़ापन और चिंता बढ़ना।
होंठ, जीभ या गाल में झुनझुनी या सुन्नता महसूस होना।
बिस्तर से उठने तक में दिक्कत।