मुंशी प्रेमचंद हिंदी काव्य एवं कविताओं के महान बिंदु थे! आजादी की लड़ाई लड़ने वाली महिलाओं में उनका नाम वैसे दर्ज नहीं हुआ जैसे होना चाहिए था। वह उतना मशहूर नहीं हो पाईं लेकिन वह आजादी की लड़ाई लड़ने वाली महिलाओं के वॉलिंटियर ग्रुप की कैप्टन थीं। स्वतंत्रता की लड़ाई में दुकानों पर विदेशी सामान की बिक्री का विरोध करने और धरना देने कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। उनका नाम था शिवरानी देवी। वे हिंदी के महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद की पत्नी थीं। उन्होंने आजादी की लड़ाई न केवल संघर्ष बल्कि अपनी साहित्यिक कामों से भी आगे बढ़ाई थी।मशहूर आलोचक वीरेंद्र यादव कहते हैं, ‘मुंशी प्रेमचंद करीब साढ़े 6 साल लखनऊ में रहे। 1924-1930 तक वह अपने दो बेटों, बेटी और पत्नी शिवरानी देवी के साथ लखनऊ में निवास किया। मुंशी प्रेमचंद और शिवरानी आजादी की लड़ाई लड़ते हुए जेल जाना चाहते थे। शिवरानी आजादी की लड़ाई में दो महीने जेल में भी रहीं।’ शिवरानी को 11 नवंबर 1930 को अमीनाबाद के झंडेवाला पार्क में विदेशी सामान की बिक्री कर रहे दुकान के सामने धरना देने के कारण गिरफ्तार किया गया था। यादव कहते हैं, ‘वह हमेशा लोगों के सामाजिक के साथ-साथ आर्थिक विकास की बात करती थीं। वह स्वतंत्रता संग्राम में लगातार हिस्सा लेती रहीं। पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू की मां स्वरूप रानी नेहरू की झंडेवाला पार्क में गिरफ्तारी के विरोध में शिवरानी देवी भाषण दिया था।’
कैप्टन थीं शिवरानी
उन्होंने कहा कि शिवरानी लगातार आजादी की लड़ाई में भाग लेती रहीं और वह इतना लोकप्रिय हो गई थीं कि जब कांग्रेस कार्यकर्ता मोहन लाल सक्सेना ने महिला वॉलिंटियर की लिस्ट बनाई तो शिवरानी को इसका कैप्टन बनाया था। यादव ने कहा कि आजादी की लड़ाई में उनके भाग लेने की सबसे खास बात ये थी कि उनके पति मुंशी प्रेमचंद को भी इसकी जानकारी तक नहीं थी। प्रेमचंद को यह जानकारी तब मिली जब उनके पास कांग्रेस वॉलिंटियर की सूची को हिंदी और उर्दू में अनुवाद के लिए भेजा गया था। यहां प्रेमचंद ने इसमें अपनी पत्नी का नाम देखा।मनोहर बंदोपाध्याय की किताब ‘लाइफ एंड वर्क्स ऑफ प्रेमचंद’ में शिवरानी देवी की गिरफ्तारी का विस्तारपूर्वक जिक्र है। ‘प्रेमचंद घर में’ शिवरानी की गिरफ्तारी के दौरान पुलिसवालों की भावनाओं का भी जिक्र है। किताब में लिखा है कि झंडेवाला पार्क में शिवरानी की गिरफ्तारी के दौरान एक पुलिसवाला भावुक हो गया। वह इन महिलाओं के देश की आजादी के लिए जेल जाने के इस जज्बे को देख भावुक हो गया था।
किताब में पुलिसवाले से बातचीत का भी जिक्र है। ‘माताजी मुझे नौकरी में 23 रुपये मिलते हैं। अगर कहीं और मुझे 10 रुपये की नौकरी भी मिल जाए तो इस बुरी नौकरी को मैं लात मार दूं।’ पुलिसवाले की इस बात को सुनकर शिवरानी ने उन्हें ढाढस बंधाया और कहा कि आप अपनी ड्यूटी कर रहे हैं। इसपर पुलिसवाले ने कहा कि आप कितनी महान हैं। यही वजह है कि आप जेल जा रही हैं। मेरे लिए यह बेहद दुखदायी है कि मैं अपनी माताओं, बहनों की पूजा करने की बजाए उन्हें जेल ले जा रहा हूं।’
जेल से छूटने के बाद भी शिवरानी देवी चुप नहीं बैठीं। इस दौरान उनकी सेहत भी खराब होने लगी थी। उन्होंने जेल में सी क्लास के कैदियों से खराब बर्ताव और सर्दी के सीजन में कंबल नहीं देने के खिलाफ प्रदर्शन का आयोजन किया। उनके प्रदर्शन का ही नतीजा था कि अधिकारी उनकी मांगों के आगे झुक गए।
मदन गोपाल की किताब ‘मुंशी प्रेमचंद’ के अनुसार, प्रेमचंद ने एक शादी के विज्ञापन वाले कॉलम में एक इश्तेहार देखा था। इस इश्तेहार में फतेहपुर जिले के सलीमपुर गांव के मुंशी देवीप्रसाद ने विज्ञापन दिया था कि उनकी बेटी जिसकी शादी 11 साल की उम्र में किया गया था। शादी के 3 महीने बाद ही वह विधवा हो गई। इस विज्ञापन को देखने के बाद प्रेमचंद ने अपनी शिक्षा और सैलरी की जानकारी भेजी। उन्होंने बाल विधवा से विवाह का प्रस्ताव भेजा। शिवरानी के पिता देवीप्रसाद जो आर्य समाज को मानने वाले थे, वह विधवा विवाह के समर्थक थे और उन्होंने एक पर्चा प्रेमचंद को भेजा और फतेहपुर बुलाए। उनको प्रेमचंद पसंद आए। उन्होंने प्रेमचंद को आने का किराया दिया और कुछ उपहार दिए। शिवरानी ने बताया कि उनकी शादी के प्रेमचंद के परिवार से सहमति नहीं मिली। इसके बाद प्रेमचंद ने इसके बारे में परिवार के किसी सदस्य को बताया भी नहीं। उन्होंने मुझसे शादी की। उस वक्त ये बहुत बड़ा कदम था।
शिवरानी ने अपनी कहानी साहस को चांद के संपादक को भेजी। संपादक ने अपनी मैगजीन में उनकी कहानी छाप दी। उन्होंने कहानी के लेखक का नाम लिखा था शिवरानी देवी, प्रेमचंद की पत्नी। सहगल ने प्रेमचंद को उस मैगजीन की कॉपी प्रतिज्ञा के किश्त के साथ भेज दी। उन्होंने कथा सम्राट को बधाई देते हुए कहा कि उनकी पत्नी ने भी लिखना शुरू कर दिया है। साहस एक ऐसे लड़की की कहानी थी जिसने अपनी शादी के वक्त अपने होने वाली पति की पिटाई की थी।