देश में डायबिटीज़ मरीज़ों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है कोविड-19 के समय डायबिटीज़ के मरीज़ों को ही अधिक परेशानी से जूझना पड़ा था. आज के समय में ऐसा कोई भी नहीं होगा जिससे इस बीमारी के बारे में पता नहीं होगा लेकिन फिर भी हम आपको बताएँगे डायबिटीज़ होता क्या है ? असल में डायबिटीज़ मरीज़ों को अपना ख़ास ख्याल रखना पड़ता है और साथ ही अपने ब्लड शुगर को हर समय क़ाबू में रखना ज़रूरी होता है. डायबिटीज़ ज़्यादा मीठा खाने के कारण होता है और आपको पता है डायबिटीज़ के अलावा तनाव भी आपके ब्लड शुगर को बढ़ा सकती है.
डायबिटीज़ की बीमारी सिर्फ़ ज़्यादा उम्र के लोगों को ही नहीं बल्कि बच्चे और युवा भी इसका शिकार हो रहे हैं. डायबिटीज़ इस प्रकार की बीमारी है जिसमें आपके शरीर में इंसुलिन नहीं बना पाता या फिर जो इंसुलिन बनता है शरीर उसका सही प्रकार से इस्तेमाल नहीं कर पाता है. जिस कारण खून में शुगर अधिक बढ़ने लग जाता है. अब आप सोच रहे होंगे कि आख़िर इंसुलिन क्या होता है ? तो बता दे इंसुलिन एक हॉर्मोन है जो खाने में मिलने वाली शुक्रवार को कोशिकाओं तक पहुँचाने में मदद करता है.
डायबिटीज़ से कौन से अंग प्रभावित होते हैं ?
डायबिटीज़ का रिस्क तब बढ़ने लगता है जब शरीर में मात्रा के अनुसार इन्सुलिन नहीं बन पाता और शुगर ब्लड में ही रह जाता है. डायबिटीज़ एक ऐसी बीमारी है जो धीरे–धीरे आपके शरीर को अंदर से खोखला बना देती है. डायबिटीज़ होने पर आपके कई अंग प्रभावित होते हैं. जैसे की लीवर, हार्ट, आँख, किडनी और पैरों में भी परेशानी होना शुरू हो जाती है. इसे हम टाइप वन डायबिटीज़ भी कहते हैं. हालांकि मोटापे से ग्रस्त बच्चों में टाइप-2 डायबिटीज का खतरा अधिक हो सकता है. दोनों प्रकार के मधुमेह गंभीर जटिलताओं के खतरे को बढ़ा सकते हैं.
टाइप 2 डायबिटीज़ क्या होता है ?
टाइप 2 डायबिटीज़ उन लोगों को होती है जो ग़लत चीज़ों का खानपान करते हैं और ख़राब लाइफ़ स्टाइल और फिजिकल ऐक्टिविटी में कमी के कारण लोगों में अब टाइप 2 डायबिटीज़ भी देखा जा सकता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक़ तनाव आपके ख़ान पान के तरीक़ों को पूरी तरह से बदल देता है जिससे आपका जीवन प्रभावित हो जाता है. वहीं टाइप-2 डायबिटीज़ का इलाज किया जा सकता है. जीवनशैली और आहार के साथ व्यायाम को दिनचर्या में शामिल करके इसे ठीक किया जा सकता है. डॉक्टर ऐसी दवाएं देते हैं जो आपके शरीर को इंसुलिन का अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग करने में मदद करती हैं. दोनों ही प्रकार के डायबिटीज रोगियों को आहार पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है.
तनाव ख़तरनाक क्यों है ?
तनाव यानी (स्ट्रेस) तनाव के कारण व्यक्ति को कभी भी इस भूख लगती है तो कभी भूख लगती हैं. क्योंकि डायबिटीज़ मरीज़ों के लिए हानिकारक होता है. डायबिटीज़ मरीज़ों को पहले अनुसार खाना खाने की ज़रूरत होती है वे एक ही बार में ज़्यादा खाना नहीं खा सकते हैं क्योंकि इससे उनका शूगर बढ़ सकता है.
चेयरमैन डॉक्टर अंबरीश मिथल मैक्स हेल्थकेयर में एंडोक्राइनोलॉजी एंड डायबिटीज़ डिपार्टमेंट के डॉक्टर हैं. जिन्होंने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में कहा, ”ऐसे बहुत सारे मरीज हैं जो अपनी डाइट, दवा और लाइफ़ स्टाइल का ध्यान रखते हैं लेकिन हमने कई बार उनका ब्लड शुगर बढ़ते देखा. इसके बाद हमने पाया कि वो लोग घर और दफ्तर के काम को लेकर बहुत अधिक तनाव लेते थे.”
रिपोर्ट्स के अनुसार ज़्यादातर एक्सपर्ट्स का मानना है कि ब्लड शुगर बढ़ने का एक बड़ा कारण मानसिक तनाव है. लेकिन अगर साइंस की बात करें तो साइंस वैज्ञानिक अधिकार मानता है.
कैसे डायबिटीज़ तनाव का कारण बना ?
एक्सपर्ट्स के मुताबिक़ अगर किसी व्यक्ति को डायबिटीज़ होता है और उसे इस बात का पता चलता है कि उसे डायबिटीज़ हुआ है तोवह इस सोच में पड़ जाता है कि आख़िर उसे कैसे और क्यों डायबिटीज़ हुआ ? और अपने दिल को तसल्ली देने के लिए वे ये भी सोचलेते हैं की या तो रिपोर्ट ग़लत होंगे या फिर बिना दवा के ही मैं ठीक हो जाऊँगा. क्योंकि ज़ाहिर है कि डायबिटीज़ की बीमारी आपको जीवन भर की कुछ पाबंदियों में बांध देती है और कई लोगों को ऐसा लगता है कि अब उनसे जीने का मजा छीन लिया गया है. वास्तव मे इस बीमारी में लोगों को बस इस बात का ख्याल रखना होता है कि वो क्या खा रहे हैं और कैसे रह रहे हैं. डायबिटीज़ से पीड़ित 20% प्रतिशत लोग तनाव का शिकार होते हैं. जरूरी यह है कि आप इसे स्वीकार करें और डॉक्टर की सलाह मानें. डायबिटीज़ से पीड़ित अधिकांश लोग सामान्य लोगों की तरह ही अपना जीवन जीते हैं.