कैंसर की दवाई अब खतरा पैदा करने लग गई है! कैंसर एक ऐसा शब्द है जिसे सुनते ही हर किसी के रोंगटे खड़ हो जाते हैं। एक ऐसी जानलेवा बीमारी जिससे हर साल सैकड़ों लोग अपनी जिंदगी खो देते हैं। एक डाटा के मुताबिक कैंसर से हर घंटे 159 लोगों की मौत होती है। हर साल कैंसर पेशेंट की संख्या में इजाफा हो जा रहा है। साल 2020 में कैंसर मरीजों की संख्या 13 लाख 92 हजार थी। साल 2021 में ये बढ़कर 14 लाख 26 हजार हुई तो साल 2022 में ये आंकड़े और बढ़कर 14 लाख 61 हजार तक पहुंच गए। इन सबसे ज्यादा हैरान करने वाला डाटा है कैंसर से होने वाली मौत के। इस बीमारी में 10 में से 7 मरीजों की मौत हो जाती है और यही वजह है कि इसके नाम से भी लोगों को डर लगने लगता है, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी है जो कैंसर के बढ़ते मामलों पर अपनी रोटियां सेंक रहे हैं। आज हमारी टीम आपके सामने ऐसे ही लोगों को पर्दाफाश करने जा रही जिन्होंने कैंसर को अपने पैसे कमाने का जरिया बना लिया है। जो जानबूझकर लोगों से उनकी बची हुई जिंदगी को छीन कर मौत दे रहे हैं।
कैंसर का इलाज आज भी काफी महंगा है। मानसिक परेशानी के साथ-साथ कैंसर पेशेंट और उसके परिवारवालों के लिए इस बीमारी का खर्च झेलना भी आसान नहीं होता। एक-एक दवाई, एक-एक इंजेक्शन की कीमत लाखों में जाती है, लेकिन अपनों को बचाने के लिए परिवारवाले जैसे-तैसे पैसे का जुगाड़ करते हैं। कई बार तो लोगों के घर बिक जाते हैं अपने पेशेंट को बचाने में, लेकिन आप ये जानकर चौंक जाएंगे कि पूरे देश में कैंसर की नकली दवाइयां बनाने वाले गिरोह काम कर रहे हैं। ये गैंग कुछ पैसों में कीमो के नकली इंजेक्शन और कैंसर की नकली दवाइयां तैयार करते हैं और फिर जरूरतमंद लोगों को लाखों रुपये में बेचते हैं।
कैंसर के जितने रोगियों को दवा लेने की सलाह दी जाती है उसमें से करीब 12 फीसदी मरीजों तक नकली दवाएं ही पहुंच जाती। सोचिए जिन दवाओं को मरीज को ठीक करने के लिए दिया जा रहा है वो उसे ठीक करने के बजाए मौत के और करीब ले जा रही हैं। आप सोच रहे हैं कि मरीज दवा खा रहा है तो वो ठीक होगा, लेकिन असल में वो दवाएं का कैंसर से कोई लेना-देना ही नहीं होता। न ऐसी दवाओं के प्रभाव के बारे में कुछ पता होता है और न ही इनका मेडिकल ट्रायल किया गया होता है।
ऑर्गनाइजेशन ऑफ फार्मास्यूटिकल प्रॉड्यूसर्स ऑफ इंडिया (OPPI) ने कुछ समय पहले सरकार से इसकी शिकायत की थी, जिसके बाद केंद्र सरकार ने इस पर कार्रवाई करने का भरोसा दिया था, मरीज को ठीक करने के लिए दिया जा रहा है वो उसे ठीक करने के बजाए मौत के और करीब ले जा रही हैं। आप सोच रहे हैं कि मरीज दवा खा रहा है तो वो ठीक होगा, लेकिन असल में वो दवाएं का कैंसर से कोई लेना-देना ही नहीं होता। न ऐसी दवाओं के प्रभाव के बारे में कुछ पता होता है और न ही इनका मेडिकल ट्रायल किया गया होता है।लेकिन बावजूज इसके ऐसी नकली दवाओं का कारोबार फैलता ही जा रहा है। एक डाटा के मुताबिक कैंसर की दवाओं का ग्रे मार्केट 300 करोड़ तक फैल चुका है। ऐसे गिरोह में देश के डॉक्टर, फार्मेसिस्ट, दवा कारोबारी और विदेशी लोग भी शामिल हैं। कल ही नोएडा में एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। पुलिस को खबर मिली थी कि नोएडा सेक्टर 62 में कीमो के नकली इंजेक्शन को 2.5 लाख रुपये में बेचा जा रहा है। पुलिस ने रेड की तो पश्चिम बंगाल के रहने वाले संदीप को डेफिब्रोटाइड के इंजेक्शन के साथ गिरफ्तार किया गया। इसके सेक्टर 62 के हार्टलैंड फार्मेसी के कनिष्क राजकुमार को गिरफ्तार किया है। इस गैंग से जुड़े तुर्की के एक नागरिक को भी मुंबई से गिरफ्तार किया गया है।
अभी पिछले महीने दिल्ली पुलिस ने भी 11 लोगों को कैंसर की नकली दवाओं के कारोबार के मामले में गिरफ्तार किया था। इनके अकाउंट से पुलिस को करोड़ों रुपये बरामद हुए। इस गिरोह का सरगना दिल्ली के पंत अस्तपताल में डॉक्टर है, जबकि बाकी लोग दिल्ली एनसीआई में मेडिकल स्टाफ के रूम में काम कर रहे थे। इसी साल वाराणसी में भी 7.5 करोड़ रुपये की नकली दवाएं बरामद की गई। ये दवाएं देश के अलग-अलग हिस्सों में सप्लाई होनी थी। पुलिस को खबर मिली तो तुरंत रेड करके इससे जुड़े लोगों को गिरफ्तार किया गया।