चीनी व्यापार से शायद भारत को फर्क पड़ता है! चीन इस समय सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। एक तरफ जहां चीन में कोरोना के मामले बढ़े हैं। वहीं दूसरी तरफ चीन की ग्रोथ रेट लगातार नीचे जा रही है। जीरो कोविड पॉलिसी और रियल एस्टेट बाजार में भारी गिरावट की वजह से चीन की अर्थव्यवस्था की रफ्तार साल 2022 में घटकर महज तीन फीसदी रह गई है। यह पिछले 50 वर्षों में यानी साल 1974 के बाद से चीन की जीडीपी की दूसरी सबसे कम बढ़ोतरी है। चीन की आर्थिक विकास दर उस समय करीब 2.3 फीसदी रही थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के मुताबिक, 2022 में चीन का सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी GDP करीब 1,21,020 अरब युआन 17,940 अरब डॉलर रहा है। जबकि साल 2021 में यह 1,14,370 अरब युआन थी। रिपोर्ट बताती हैं कि चीन की जीडीपी की वृद्धि दर करीब 5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था। लेकिन चीन की जीडीपी GDP की वृद्धि इस आधिकारिक लक्ष्य से काफी नीचे रही है। इधर ग्रोथ रेट कम होने के साथ चीन की पॉपुलेशन में भी गिरावट आई है। चीन की फैक्ट्रियों में मजदूरों की भी कमी हो गई है। चीन में सस्ते मजदूर नहीं मिल रहे हैं। वहीं चीन के ज्यादातर युवा अब फैक्ट्रियों में काम नहीं करना चाहते हैं। पिछले महीनों में आई खबरों के मुताबिक, चीन की फैक्ट्रियों में काफी युवा मजदूर नौकरी छोड़कर चले गए थे, लेकिन चीन की ग्रोथ रेट घटने का असर भारतीय इंडस्ट्रियलिस्ट पर भी देखा जा रहा है।
डॉलर के मुकाबले चीन की मुद्रा कमजोर हुई है। चीन की मुद्रा की तुलना में डॉलर में मजबूती की वजह से ऐसा हुआ है। हालांकि विश्व बैंक ने वर्ष 2023 में चीन के लिए 4.3 फीसदी की विकास दर का अनुमान जताया है। यह पिछली विकास दर से काफी कम है। चीन की मंदी ने तेल, भोजन, उपभोक्ता वस्तुओं और अन्य आयातों की मांग को कम करके उसके व्यापारिक भागीदारों को नुकसान पहुंचाया है। बढ़ती मुद्रास्फीति से लड़ने के लिए ब्याज दर में बढ़ोतरी के बाद अमेरिका और यूरोपीय चीनी वस्तुओं की मांग में कमी आई है। चीन की ग्रोथ रेट कम होने का मतलब है कि चीन की फैक्ट्रियों में प्रोडक्शन कम हो रहा है। दुनिया के ज्यादातर देशों में चीन से ही कच्चे सामान का निर्यात होता है। भारत तो काफी हद तक अभी चीन पर निर्भर है। चीन से भारत में काफी कच्चा सामान आयात किया जाता है।
चीन की ग्रोथ रेट कम होने से भारतीय इंडस्ट्रियलिस्ट काफी चिंतित हैं। इसकी मुख्य वजह चीन से आने वाला कच्चा माल है। भारत का चीन के साथ आयात काफी बढ़ा है। पिछले साल वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) ने राज्यसभा में इस बात पर चिंता जताई है। पीयूष गोयल ने बताया था कि साल 2003-2004 में चीन से भारत का आयात करीब 4.34 अरब डॉलर का था। लेकिन साल 2013-14 आते-आते ये बढ़कर करीब 51.03 अरब डॉलर का हो गया। ऐसे में देखें तो 10 वर्षों में आयात बढ़कर दस गुना से भी ज्यादा हो गया। सरल शब्दों में कहें तो 100 रुपये में से 15 रुपये का सामान भारत अकेले चीन से खरीदता है। उन्होंने बताया था कि एक समय ऐसा था जब एपीआई यानी दवा बनाने में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल भारत ही पूरी दुनिया को निर्यात किया करता था, लेकिन अब हालत ये है कि देश का दवा उद्योग अब चीन पर निर्भर हो गया है। इस कारोबार में भारत लगातार पिछड़ता चला गया है। चीन पर भारत की निर्भरता कम करने पर लगातार जोर दिए जाने के बावजूद दोनों के कारोबार में लगातार इज़ाफा हो रहा है। द्विपक्षीय कारोबार का पलड़ा पूरी तरह चीन के पक्ष में झुका है। चीन का निर्यात भारत की तुलना में कई गुना ज़्यादा है। ये चिंता का विषय है। यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी ठीक नहीं है। ऐसे में जब ज्यादातर कच्चा सामान चीन से आ रहा है तो भारतीय इंडस्ट्रलिस्ट की चिंता भी यही है। भारतीय इंडस्ट्रियलिस्ट को लग रहा है कि चीन ग्रोथ रेट कम होने के चलते आने वाले समय में कच्चे सामान के दाम बढ़ा सकता है। ऐसे में उन्हें सस्ते में मिलने वाला कच्चा सामान महंगा मिलेगा।
चीन की जनसंख्या दुनिया में सबसे ज्यादा है। लेकिन छह दशकों में ऐसा पहली बार हुआ है जब चीन की जनसंख्या घटने लगी है। बीजिंग के नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स के मुताबिक, देश में पिछले वर्ष की तुलना में 2022 के अंत में 850,000 कम लोग थे। रिपोर्ट की माने तो चीन की कुल आबादी 850,000 से घटकर 2022 में 1.4118 बिलियन हो गई, जो एक साल पहले 1.4126 बिलियन थी। रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि साल 2022 में लगभग 9.56 मिलियन बच्चों का जन्म हुआ, जो एक साल पहले 10.62 मिलियन से कम था। वहीं कुल 10.41 मिलियन लोगों की मृत्यु हुई जो कि हाल के वर्षों में दर्ज लगभग 10 मिलियन से मामूली अधिक है। साल 2021 की बात करें तो उस साल चीन में 10.6 मिलियन बच्चे हुए थे, जो कि 2020 की तुलना में पहले ही 11.5 प्रतिशत कम थे, लेकिन साल 2022 में बच्चों के जन्मदर में भी गिरावट देखने को मिली है। इससे चीन की परेशानियां बढ़ गई हैं।
कोरोना का असर चीन की अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ा है। चीन की फैक्ट्रियों में मजदूरों की कमी है। चीन के युवा अब कम सैलरी पर काम करना नहीं चाहते हैं। इस वजह से भी चीन का प्रोडक्शन डाउन हुआ है। चीन की इस समस्या का भारत फायदा उठा सकता है। भारत को अच्छी सैलरी वाली नौकरियों को पैदा करना होगा। भारत ने पिछले दिनों तमाम चुनौतियों के बीच जिस तरह से प्रदर्शन किया है, उससे उद्योग जगत काफी उत्साहित है।