वर्तमान में गृह मंत्री अमित शाह का यूपी दौरा बहुत ही खास अहमियत रखता है! केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने समाजवादी पार्टी के गढ़ से हुंकार भर दी है। शुक्रवार को आजमगढ़ की धरती से उन्होंने सपा के साथ बहुजन समाज पार्टी को भी लपेटा। 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं। इसके पहले यूपी में बीजेपी के शीर्ष नेताओं की सक्रियता बढ़ी है। कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) अपने संसदीय क्षेत्र काशी गए थे। इसके बाद अमित शाह का उत्तर प्रदेश जाना कई मायनों में अहम है। यूपी राजनीति का केंद्र है। यह राज्य केंद्र की सत्ता के लिए रास्ते खोल देता है। पिछले कुछ सालों में बीजेपी ने यहां अपनी जड़ों को मजबूत किया है। वह किसी भी तरह इसे ढीला नहीं छोड़ने देना चाहती है। आजमगढ़ में अमित शाह ने शुक्रवार को हरिपुर संगीत महाविद्यालय की आधारशिला रखी। भूमि पूजन के बाद एक समारोह में उन्होंने सपा और बसपा की सरकारों को आड़े हाथ लिया। इसके अलावा गृहमंत्री ने कौशाम्बी में भी एक सभा को संबोधित किया। इसमें उन्होंने परिवारवाद और जातिवाद की राजनीति के दिन लद जाने की बात कही। उनके निशाने पर यहां खासतौर से कांग्रेस रही। यूपी के इस दौरे के जरिये शाह ने मैसेज दे दिया है कि चुनाव का बिगुल बज चुका है। बीजेपी इसके लिए तैयार है। वह अपनी उपलब्धियों को गिनाने के साथ विपक्ष को बेनकाब करेगी। सबसे ज्यादा चोट वंशवादी राजनीति पर होने वाली है। आजमगढ़ में हरिपुर संगीत महाविद्यालय की आधारशिला रखने के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने सीएम योगी आदित्यनाथ की जमकर तारीफ की। उन्होंने सीएम योगी को आजमगढ़ से दहशतगर्दी खत्म करने का श्रेय दिया। शाह ने लोगों को याद दिलाया कि यह वही आजमगढ़ है जो देशभर में आंतक का केंद्र होता था। आज वहीं संगीत महाविद्यालय की नींव रखी जा रही है। इस दौरान उन्होंने सपा और बसपा पर अटैक भी किया। उनकी सरकारों पर आजमगढ़ की छवि धूमिल करने का आरोप लगाया।
इसके जरिये शाह ने एक ही साथ दो काम कर दिए। लोगों को बीजेपी राज में हो रहे विकास के कामों का एहसास कराते हुए विपक्षियों को बेनकाब करने का काम कर दिया। यूपी में सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा हुआ करता था। गुंडागर्दी चरम पर थी। योगी के काम के जरिये अमित शाह ने उपलब्धियों को हाईलाइट करना शुरू कर दिया है। बीजेपी दिखाने में लग गई कि सिर्फ वही सही मायने में विकास ला सकती है। दहशतगर्दी को खत्म करने का माद्दा उसमें ही है। उसका नेतृत्व ही कानून का राज बनाए रख सकता है। वह बेहद पिछड़े इलाकों में भी विकास के बीज बो सकती है। कुछ और मुद्दे हैं जिन्हें बीजेपी लोकसभा चुनाव से पहले बढ़चढ़कर उठाने की तैयारी में हैं। परिवारवाद का मुद्दा भी उनमें शामिल है। कौशाम्बी में शाह की रैली में इसका नमूना दिख भी गया।
कौशाम्बी में शाह के निशाने पर मुख्य रूप से परिवारवाद, जातिवाद और तुष्टिकरण की राजनीति रही। इसके जरिये उन्होंने कांग्रेस को जमकर लताड़ा। शाह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने जातिवाद, परिवारवाद और तुष्टीकरण के तीन नासूरों से देश के लोकतंत्र को घेर रखा था। यह भी कहा कि जो कांग्रेस आज लोकतंत्र के खतरे में होने की बात करती है। उसे असल में एहसास हो चुका है कि लोकतंत्र नहीं, बल्कि परिवारवाद खतरे में है। कौशाम्बी महोत्सव का उद्घाटन करने के बाद शाह ने 2024 में एक बार फिर नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के तौर पर चुनने का आह्वान भी कर दिया। यह स्पष्ट कर देता है कि शाह का यह दौरा मकसद से था। वह मोदी और योगी के काम गिनाने की कवायद में जुट गए हैं। यह विपक्ष की सभी पार्टियों के लिए मैसेज है। संदेश यह है कि बीजेपी ने चुनावी बिगुल बजा दिया है। वह चुनौती के लिए तैयार है।
इससे यह भी संकेत मिलता है कि आने वाले समय में बीजेपी राज्य में और आक्रामक होगी। विपक्ष को भी इसके लिए तैयार रहना चाहिए। फिलहाल तो वह ‘एकजुटता‘ के पेंच में ही उलझा हुआ है। लोकसभा चुनाव में विपक्ष में किस तरह का आपसी गठबंधन बनेगा, इसे लेकर ही खींचतान है। कई दल कांग्रेस की छतरी के नीचे आने के कतई पक्ष में नहीं हैं। तो, कुछ को लगता है कि अच्छा यही होगा कि कांग्रेस विपक्ष का नेतृत्व करे। जहां विपक्ष अब तक आपसी समीकरण नहीं बना पाया है। वहीं, बीजेपी पूरी ताकत से आगे बढ़ चली है। वहां नेतृत्व को लेकर किसी तरह का कंज्यूजन नहीं है। कद्दावर नेताओं से लेकर पार्टी के छोटे नेताओं तक को पता है कि चेहरा सिर्फ मोदी हैं। यही बात अगले लोकसभा चुनाव में फर्क डालने वाली है।