Monday, December 23, 2024
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क्या केदारनाथ से अलग ही प्रेम करते हैं पीएम मोदी?

पीएम मोदी केदारनाथ धाम से अलग ही प्रेम और विश्वास रखते हैं! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को एक बार फिर केदारनाथ के दौरे पर आए थे। प्रधानमंत्री बनने के बाद यह छठवां मौका था, जब पीएम केदारनाथ के दौरे पर आए। यहां उन्होंने सोनप्रयाग-केदारनाथ रोपवे का शिलान्यास किया। बाद में शंकराचार्य की समाधि के दर्शन का कार्यक्रम भी किया। केदारनाथ धाम में चल रहे पुनर्निर्माण काम का भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी निरीक्षण किया। प्रधानमंत्री के दौरे से पहले केदारनाथ मंदिर को 10 क्विंटल फूलों से मंदिर को सजाया गया।

प्रधानमंत्री बनने के बाद से मोदी अब तक 6 बार केदारनाथ धाम आ चुके हैं। इससे पहले 3 मई 2017, 30 अक्टूबर 2017, 7 नवंबर 2018, 18 मई 2019 और 5 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री केदारनाथ आए थे। जाहिर है कि केंद्र सरकार के 8 साल के कार्यकाल में 5 बार केदारनाथ आने वाले मोदी का यहां से गहरा लगाव है। पीएम बनने के पहले भी वह कई बार यहां का दौरा कर चुके हैं। केदारनाथ और भगवान शंकर दरअसल, मोदी की आध्यात्मिक चेतना से गहरे जुड़े हुए हैं। यह रिश्ता उनके जवानी के दिनों से है, जब उन्होंने राजनीति में भी कदम नहीं रखा था।

भगवान शंकर के प्रति मोदी की अगाध आस्था के बारे में हर कोई जानता है। चाहे काशी विश्वनाथ धाम का जीर्णोद्धार हो या फिर उज्जैन के महाकाल मंदिर का, मोदी ने दोनों ही प्रोजेक्ट्स में व्यक्तिगत रूचि दिखाई तो इसके पीछे महादेव के प्रति उनकी भक्ति भावना ही थी। इसी के चलते प्रधानमंत्री बनने के बाद साल 2013 की त्रासदी में तबाह हो चुके केदारनाथ धाम के जीर्णोद्धार का जिम्मा भी उन्होंने उठाया और समय-समय पर उसके लिए हो रहे कामों का निरीक्षण करने के लिए भी केदारपुरी आते रहे।केदारनाथ धाम से प्रधानमंत्री मोदी का रिश्ता काफी पुराना बताया जाता है। कहा जाता है कि पीएम जब अपनी युवावस्था में थे, तब उन्होंने शांति और ईश्वर की तलाश में घर छोड़ दिया था। इस दौरान तकरीबन तीन सालों तक वह हिमालय की पहाड़ियों में रहे। उन्होंने अपना पूरा समय तपस्या और साधना में बिताया। इस दौरान केदारनाथ की बर्फीली वादियों में पीएम मोदी का काफी समय गुजरा था। कहते हैं कि इस दौरान किसी साधु ने उनकी युवावस्था का हवाला देकर उन्हें समाजसेवा करने की सलाह दी, जिसके बाद मोदी वापस गुजरात लौट आए।

मोदी ने इसके बाद ही राजनीति के जरिए जनसेवा की राह चुनी। हिमालय और केदारनाथ के सान्निध्य का ही असर है कि प्रधानमंत्री के भाषणों तथा विचारों में यदा-कदा आध्यात्मिक झलक दिखाई देती है। भगवान शिव के एक बड़े तीर्थ कहे जाने वाले वडनगर में जन्मे मोदी का महादेव से गहरा लगाव है। शायद यही वजह हो कि उन्होंने साल 2014 में बीजेपी के प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनने के बाद पहली बार संसदीय चुनाव में जब ताल ठोकी तो अखाड़े के तौर पर भगवान भोलेनाथ की नगरी वाराणसी को चुना।

प्रधानमंत्री बनने के बाद भी मोदी का शिवालयों में आने-जाने का सिलसिला जारी रहा। जब वह पीएम बने थे, उसके कुछ ही समय पहले केदारनाथ में भयानक आपदा आई थी। जब उन्होंने पद संभाला, तभी से केदारनाथ धाम के जीर्णोद्धार की योजना उनके मन में थी। उन्होंने इसके लिए काम भी शुरू कराया और इस बीच जब भी मौका मिला, वह केदारनाथ का दर्शन करने चल पड़े। यहीं अपने एक दौरे के दौरान उन्होंने कहा कि जिस केदारनाथ की मिट्टी ने, जिसकी हवाओं ने मुझे पाला-पोसा, उसकी सेवा करने का सौभाग्य मिलने से बड़ा जीवन का पुण्य क्या होगा? उन्होंने केदारनाथ में हो रहे पुनर्निर्माण के काम को शाश्वत के साथ आधुनिकता का मेल कहा और इसका पूरा क्रेडिट भी भगवान शंकर को दिया। उनका कहना था कि ऐसे कामों का इंसान क्रेडिट नहीं ले सकता। ईश्वर कृपा ही इसकी हकदार है।

केदारनाथ और मोदी के रिश्ते ने तब बड़ी चर्चा बटोरी थी, जब साल 2019 के लोकसभा चुनाव की मतगणना से 5 दिन पहले मोदी केदारपुरी पहुंच गए। यहां उन्होंने 17 घंटों तक रुद्र गुफा में भगवान शिव की अराधना की और भगवा वस्त्र धारण कर ध्यान लगाया। इसके बाद वह दोबारा देश के प्रधानमंत्री बने थे। प्रधानमंत्री अक्सर अपने भाषणों में अपने आपको महाकाल का बेटा बताते रहे हैं। उज्जैन के कुंभ मेले में पहुंचकर उन्होंने कहा था कि महाकाल का बुलावा आया था, तो ये बेटा आए बिना कैसे रह सकता था। केदारनाथ के अलावा वह सारनाथ, काशी विश्वनाथ, महाकाल मंदिर उज्जैन में भी दर्शन के लिए जाते रहे हैं।

हिमालय और केदारनाथ से पीएम मोदी ने एकांत साधना सीखी थी। साल 2019 में ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे को दिए अपने इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि वह हर साल दिवाली पर किसी एकांत जगह पर जाना पसंद करते हैं। उन्होंने कहा था कि वह दिवाली से चार-पांच दिन पहले किसी ऐसी जगह पर जाते हैं, जहां पर कोई न हो। यह जगह जंगल हो सकती है, या ऐसा कोई स्थान जहां पर साफ पानी हो और लोग न हों। इन पांच दिनों में वे रेडियो, टीवी, इंटरनेट और न्यूजपेपर से भी दूर रहते हैं। मोदी ने बताया कि एकांत उन्हें जीवन जीने के लिए मजबूती देता है और इस दौरान वह खुद से मुलाकात करते हैं। इस बार दिवाली से पहले पीएम केदारनाथ गए!

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