क्या पीएम मोदी बनाना चाहते हैं खाड़ी देशों के साथ संबंध?

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PM addressing at the inauguration and foundation stone laying ceremony of various developmental projects, in Dahod, Gujarat on April 20, 2022.

पीएम मोदी अब खाड़ी देशों के साथ संबंध बनाने में लगे हुए हैं! खाड़ी देशों के साथ भारत के संबंध हाल के कुछ सालों में काफी मजबूत हुए हैं। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रोल काफी अहम रहा है। उन्होंने अपने अबतक के कार्यकाल में खाड़ी देशों के बीच संबंधों को नई ऊंचाई देने का प्रयास किया। प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी अब तक खाड़ी सहयोग परिषद देशों की 13 यात्राएं कर चुके हैं। इसमें सात यात्राएं तो सिर्फ UAE की हैं। जीसीसी देशों में बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और यूएई हैं। खाड़ी देशों के साथ कमाल की ट्यूनिंग ये मोदी सरकार की कामयाब विदेश नीति और वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती साख की एक बानगी भर है। कहा जाए कि अरब देशों के साथ भारत के रिश्ते अबतक के अपने सबसे ऊंचे मुकाम पर हैं तो ये भी गलत नहीं होगा। ऐसा नहीं कि सिर्फ भारत ही खाड़ी देशों के साथ मजबूत रिश्तों के लिए एक्टिव दिख रहा। गल्फ देश भी इन रिश्तों को एक नई ऊंचाई तक ले जाने को लालायित नजर आ रहे। आखिर खाड़ी देश पीएम मोदी की टॉप प्राथमिकता में क्यों हैं, जानिए। पीएम मोदी ने हाल ही में खाड़ी देशों की अपनी यात्रा पूरी की। प्रधानमंत्री के हालिया दौरों ने इस क्षेत्र के साथ संबंधों को और मजबूत किया है। खाड़ी देशों में लगभग 9 मिलियन यानी 90 लाख भारतीय प्रवासी रहते हैं। इनमें सबसे ज्यादा 34.3 लाख भारतीय यूएई में, उसके बाद 25.9 लाख सऊदी अरब में, 10.3 लाख कुवैत, 7.8 लाख ओमान, 7.5 लाख कतर और 3.3 लाख भारतीय बहरीन में रहते हैं। खाड़ी देशों में भारतीय प्रवासियों की विशाल तादाद का पीएम मोदी को राजनीतिक फायदा भी मिलता है। विदेश में रहने वाले भारतीय हर साल भारत में जितना पैसा रेमिटेंस के तौर पर भेजते हैं, उनका तकरीबन आधा तो सिर्फ जीसीसी के देशों से आता है।

विदेश में रहने वाले भारतीय हर साल इंडिया में जितना पैसा रेमिटेंस के तौर पर भेजते हैं, उनका तकरीबन आधा तो सिर्फ खाड़ी सहयोग परिषद जीसीसी के देशों से आता है। इन देशों में 2021-22 में प्राप्त 90 बिलियन डॉलर के रेमिटेंस का लगभग 30% हिस्सा है, जिसमें अकेले यूएई का योगदान 18 फीसदी है। 2014-15 में भारत को विदेश में रहने वाले अपने नागरिकों से मिले कुल रेमिटेंस का करीब 29 फीसदी खाड़ी सहयोग परिषद देशों से आता है। 2020-21 में बढ़कर 50.3 फीसदी हो गया। 2020-21 में भारत को कुल 89,12.7 करोड़ डॉलर का रेमिटेंस मिला था जिसमें साढ़े 4 हजार करोड़ डॉलर सिर्फ जीसीसी देशों से मिला था।

खाड़ी देश भारत की तेल और गैस जरूरतों के लिए महत्वपूर्ण हैं। भारत अपनी तेल आवश्यकताओं का लगभग 60% खाड़ी देशों से पूरा करता है। एलएनजी और दोनों के लिए कतर ही भारत का सबसे बड़ा स्त्रोत है। खाड़ी देशों के साथ भारत का व्यापार भी बढ़ा है। यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। भारत ने खुद को एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में स्थापित किया है जो GCC के भीतर संघर्षों या प्रतिद्वंद्विता में हस्तक्षेप नहीं करता है। अरब देशों के साथ भारत के मजबूत संबंध उसके बड़े मुस्लिम समुदाय के कारण फायदेमंद हैं और इस्लामिक सहयोग संगठन में पाकिस्तान के भारत विरोधी एजेंडे का मुकाबला करने में मदद करते हैं। पीएम मोदी पहली बार 2015 में यूएई दौरे पर आए थे जो तब 34 सालों में किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला यूएई दौरा था। इजरायल का दौरा करने वाले भी वह पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं। मोदी के कार्यकाल के दौरान इजरायल के साथ भारत के रिश्ते और मजबूत हुए ही हैं, अरब देशों के साथ ताल्लुकात भी एक नई ऊंचाई पर हैं। इजरायल और अरब देशों के बीच छत्तीस के आंकड़े के मद्देनजर दोनों के साथ भारत की दोस्ती कामयाब विदेश नीति की एक नई ही इबारत लिख रही है।

पाकिस्तान के कश्मीर मुद्दे पर लगातार ध्यान देने के बावजूद, सऊदी अरब और यूएई जैसे देश आतंकवाद पर भारत की चिंताओं के प्रति अधिक उत्तरदायी हो गए हैं। इसी बेहतर विश्वास ने सुरक्षा, खुफिया और रक्षा उद्योगों पर करीबी सहयोग का नेतृत्व किया है। कतर की ओर से आठ पूर्व-भारतीय नौसेना अधिकारियों की रिहाई को इस सहयोग के परिणाम के तौर पर ही देखा जा रहा है। भारत अब आतंकवाद विरोधी, रक्षा और संयुक्त सैन्य अभ्यासों पर खाड़ी देशों के साथ नजदीकी सहयोग करता है। इसके अतिरिक्त, ओमान ने भारत को रणनीतिक ड्यूकम बंदरगाह तक पहुंच प्रदान की है। उधर सऊदी क्राउन प्रिंस एमबीएस ने 2019 में भारत की अपनी यात्रा के दौरान 100 बिलियन डॉलर के निवेश का वादा किया था।

पिछले साल शुरू किया गया अंतरमहाद्वीपीय गलियारा आईएमईईसी में भारत और खाड़ी देशों के बीच विकास को प्रोत्साहित करने और संपर्क बढ़ाने की क्षमता है। यह चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव बीआरआई का एक विकल्प प्रदान करता है। आईएमईईसी का पूर्वी गलियारा भारत को अरब की खाड़ी से जोड़ेगा, जिससे भारत की इस क्षेत्र में रणनीतिक उपस्थिति मजबूत होगी और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित होगी। ओमान सुल्तान की यात्रा और पीएम मोदी के हालिया दौरे समेत भारत के साथ खाड़ी देशों की निरंतर व्यस्तता ये जाहिर करती है कि अरब राष्ट्रों ने भारत की विकसित स्थिति पर विशेष तौर ध्यान दिया है।