पीएम मोदी लंच के साथ-साथ दिल भी जीत लेते हैं और यह हुआ है उत्तर प्रदेश की एक सीट के साथ! याद कीजिए फरवरी महीने की शुरुआत में नए संसद भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 सांसदों के साथ लंच किया था। इन सांसदों में उत्तर प्रदेश की अंबेडकरनगर लोकसभा सीट से बसपा के सांसद रितेश पांडेय भी शामिल थे। 20 दिन के अंदर इस लंच डिप्लोमैसी का असर दिखने लगा है। रितेश पांडेय भाजपाई हो चुके हैं। उनके पिता सपा विधायक राकेश पांडेय राज्यसभा चुनाव में बागी होकर भाजपा प्रत्याशी को वोट डाल चुके हैं। एक अम्बेडकरनगर लोकसभा सीट के लिए भाजपा किस तरह एक-एक कर मोर्चा खोल रही है आइए विस्तार से समझते हैं। दरअसल 2014 में भाजपा ने यहां से जीत दर्ज की। लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव आते-आते कहानी बदल गई। चुनाव में बसपा और सपा गठबंधन के तहत अंबेडकरनगर सीट बसपा के खाते में गई और रितेश पांडेय यहां से बसपा सांसद बने। इसके बाद 2022 का यूपी विधानसभा चुनाव आया। इसमें भी जब परिणाम आए तो भाजपा के लिए पूरे प्रदेश से हर तरफ से जीत की खुशियां आईं। लेकिन अंबेडकरनगर से पार्टी को निराशा ही हाथ लगी। चुनाव परिणाम भाजपा के लिए बड़ा झटका था। पूरे प्रदेश में बड़े बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही भाजपा को अंबेडकर नगर जिले की सभी 5 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। समाजवादी पार्टी ने अकबरपुर, अलापुर, जलालपुर, कटेहरी और टांडा सभी विधानसभा सीटों पर परचम लहराया। सपा की इस जीत में अखिलेश के रणनीति कौशल को श्रेय दिया गया, जिन्होंने बसपा के दिग्गजों को तोड़कर इस सीट पर जीत की इबारत लिख दी। बसपा से सपा आए लालजी वर्मा ने खुद कटेहरी से सपा का झंडा उठाया और आसानी से जीत दर्ज की। इसी तरह से अकबरपुर में सपा से राम अचल राजभर ने बीजेपी के धर्मराज निषाद को मात दी। अलापुर में सपा के त्रिभुवन दत्त ने बीजेपी के त्रिवेणीराम को हराया, वहीं टांडा से सपा के राममूर्ति वर्मा ने बीजेपी के कपिल देव को मात दी।वहीं जलालपुर सीट से सपा के राकेश पांडेय ने बसपा के राजेश सिंह को हराया।
इस हार के बाद से ही भाजपा नेतृत्व की नजर अंबेडकरनगर पर टिक गई। रणनीति पर माथापच्ची शुरू हुई। एक साथ कई एंगल पर काम शुरू हुआ। अब 2024 के लोकसभा चुनाव आते-आते एक-एक कर भाजपा का लांग टर्म प्लान सामने आता दिख रहा है। पहले पीएम मोदी के साथ लंच फिर राज्यसभा चुनाव के ऐन पहले अंबेडकरनगर सांसद रितेश पांडेय ने बसपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और भाजपा ज्वाइन कर ली। उन्होंने मायावती को चिट्ठी लिखकर इस्तीफा दिया। उन्होंने आरोप लगया कि उन्हें बसपा की मीटिंग में नहीं बुलाया जाता न हीं शीर्ष नेतृत्व की तरफ से किसी तरह का संवाद किया जाता था। वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि पार्टी के अंदर उनकी जरूरत खत्म हो गई है।
रितेश पांडेय की ज्वाइनिंग के बाद यूपी में राज्यसभा चुनाव हुआ। इसमें सपा से 8 विधायक बागी हुए। इन बागियों में जलालपुर से सपा विधायक राकेश पांडेय और गोसाईंगंज से अभय सिंह भी शामिल थे। इन दोनों ने भाजपा प्रत्याशी संजय सेठ को वोट किया। एक तरफ संजय सेठ की जीत तो सुनिश्चित हुई ही, अंबेडकरनगर लोकसभा सीट को लेकर भाजपा अचानक मजबूत स्थिति में आ खड़ी हुई।
दरअसल 2022 में जलालपुर सीट से सपा के विधायक बने राकेश पांडेय के बेटे रितेश पांडेय हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में रितेश पांडेय बसपा के टिकट पर सांसद चुने गए। इसी जलालपुर सीट से रितेश पांडेय पहले 2017 में विधायक चुने गए थे। 2019 में उन्होंने भाजपा के मुकुट बिहारी को हराकर चुनाव जीता था। राकेश पांडेय भी पहले बसपा में हुआ करते थे लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले वह सपा में चले गए और जलालपुर से टिकट लेकर सपा विधायक बने।
वहीं बाहुबली नेता अभय सिंह अयोध्या जिले की गोसाईगंज सीट से विधायक हैं। ये सीट 2012 में अस्तित्व में आई थी। अभय सिंह ने 2012 में बाहुबाली इंद्रप्रताप उर्फ खब्बू तिवारी को हराया था। लेकिन 2017 में खब्बू तिवारी जीते और अभय को हार झेलनी पड़ी। मुलायम के बाद अखिलेश यादव ने भी अभय सिंह पर भरोसा किया और वह 9 हजार वोट से खब्बू तिवारी की पत्नी आरती तिवारी को हराकर विधानसभा पहुंचे। इस सीट पर सवर्ण और दलित मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। अब अभय सिंह भाजपा के करीब आा जाने से अखिलेश यादव के लिए इस सीट पर मुश्किलें बढ़ेंगी।
बता दें गोसाईंगंज विधानसभा के वोटर अंबेडकरनगर लोकसभा सीट के सांसद का चयन करते हैं। ये विधानसभा इस संसदीय सीट के लिए काफी निर्णायक रहती है। इसी तरह अंबेडकरनगर लोकसभा सीट में जलालपुर भी अहम विधानसभा है। यहां से सपा ने लालजी वर्मा को चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं रितेश पांडेय के भाजपा में आने के बाद से अटकलें हैं कि वह यहां से टिकट के सबसे बड़े दावेदार हैं।
वहीं जलालपुर में दलित वोटर सबसे ज्यादा हैं। उसके बाद मुस्लिम और यादव वोट बैंक है। ब्राह्मण यहां करीब 30 हजार और क्षत्रिय 11 हजार हैं। यहां 2007 में बसपा के शेर बहादुर सिंह जीते, 2012 में भी वही जीते लेकिन समाजवादी पार्टी से। 2017 में रितेश पांडेय यहां से जीते लेकिन 2019 में वह सांसद चुन लिए गए। उसके बाद 2022 में उनके पिता राकेश पांडेय यहां से सपा विधायक हैं।