सबसे बड़ा सवाल यहां पर यह उठता है कि क्या पानी सच में एक्सपायर हो सकता है या यह सिर्फ एक मिथ्या है! आपने अक्सर सुना होगा कि पानी कभी एक्सपायर नहीं होता, लेकिन जब आप पानी की बोतल खरीदते हैं, तो बाकि पेय पदार्थ की ही तरह इसमें भी आपको एक्सपायरी डेट लिखी हुई नजर आती है। ऐसे में हमारे मन में संदेह उत्पन्न होता है कि अगर पानी कभी एक्सपायर नहीं होता तो इसपर एक्सपायरी डेट क्यों लिखी होती है। क्या ये एक्सपायरी डेट बोतल की होती है? या फिर बोतल में पानी को बंद करने की प्रक्रिया में कुछ ऐसा होता है, जो पानी को खराब कर देता है?
ये सच है पानी खराब नहीं होता। अमेरिका का फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन FDA द्वारा बोतलबंद पानी को रेग्यूलेट किया जाता है। कानूनी रूप से देखा जाए तो उसे बोतलबंद पानी पर शेल्फ लाइफ लिखने की कोई आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन, एहतियात के तौर पर बोतलों पर मैन्यूफैक्चरिंग डेट से दो साल तक की एक्सपायरी डेट लिखी जाती है, क्योंकि एक समय के बाद प्लास्टिक बोतलबंद पानी में घुलना शुरू कर सकती है।
अंतर्राष्ट्रीय बोतलबंद पानी संघ IBWA के अनुसार, कुछ कंपनियां पानी की बोतलों पर तारीख के मुताबिक लॉट कोड डालती हैं, जिसकी मदद से डिस्ट्रिब्यूशन के लिए स्टॉक रोटेशन मैनेज करने में आसानी होती है। ये लॉट कोड प्रोडक्ट रिकॉल, पानी के दूषित होने और बॉटलिंग की गड़बड़ियों का पता लगाने में भी काम आते हैं।
IBWA का कहना है कि बोतलों पर तारीख के हिसाब से लिखे ये लॉट कोड, असल में एक्सपायरी डेट नहीं होते. बल्कि ये लोगों को ये तय करने में मदद करती है कि उन्हें पहले सबसे पुरानी बोतल का इस्तेमाल करना लेनी चाहिए।
हालांकि, ये एक चिंता का विषय है कि बोतलबंद पानी को लंबे समय तक स्टोर करके रखने से स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है। इसके वजह ये है कि कई पानी की बोतलों में अभी भी रासायनिक BPA होता है, जिसे बिस्फेनॉल-ए (Bisphenol-A) कहा जाता है। इस बात पर अभी भी बहस जारी है कि बीपीए का स्वास्थ्य पर कैसा प्रभाव है।
हम में से कई लोग प्लास्टिक की पानी की बोतलों को फिर से भर कर इस्तेमाल करने लगते हैं, लेकिन असल में इन्हें सिंगल-यूज के लिए ही बनाया जाता है। दरअसल, बार-बार इस्तेमाल करने पर या धूप में रहने पर इन बोतलों से रसायनों का स्राव हो सकता है, जो पानी में घुल जाता है।