यूक्रेन पर रूस के हमले का आज पांचवा दिन है। रूस की भारी बमबारी के बीच यूक्रेन को अमेरिका और यूरोप से सामरिक मदद मिलने लगी है। साथ ही रूस की वित्तीय घेराबंदी भी की जा रही है। वहीं, यूक्रेन के लोग भी रूस से दो-दो हाथ करने के लिए आगे आ रहे हैं। दो दिन के भीतर एक लाख लोगों ने हथियार उठा लि
युद्ध के चार दिन बाद देश कहां खड़े हैं दोनों देश और आगे क्या-क्या हो सकता है?
प्रोफेसर मिलर अमेरिका की जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ फॉरेन सर्विस में अंतरराष्ट्रीय मामलों के प्रोफेसर हैं। वह अमेरिकी सेना के सलाहकार रहे हैं और इराक और अफगानिस्तान में कई साल बिता चुके हैं।
उनसे बातचीत के प्रमुख अंश पढ़ने से पहले आप यूक्रेन-रूस विवाद पर इस पोल का जवाब दे सकते हैं…
यूक्रेन और रूस का युद्ध किस तरफ बढ़ सकता है?
पॉल के मुताबिक, मौजूदा हालात में कई संभावित नतीजे निकल सकते हैं। रूस पर लगाए गए प्रतिबंध और यूक्रेन का प्रतिरोध राष्ट्रपति पुतिन के लिए मुश्किल हालात पैदा कर सकता है। एक-दो सप्ताह की लड़ाई के बाद यूक्रेन और रूस संघर्ष-विराम के लिए तैयार हो सकते हैं।रूस यूक्रेन से पीछे हट जाएगा, क्रीमिया रूस के पास ही रहेगा और डोनबास क्षेत्र (डोनेत्स्क और लुहांस्क प्रांत) यूक्रेन के नियंत्रण के बाहर हो जाएगा। यूक्रेन के सामने दो परिस्थितियां होंगी। वो फिनलैंड की तरह तटस्थ रहेगा या फिर नाटो में शामिल होने के लिए गिड़गिड़ाएगा।अगर ऐसा नहीं होता है तो नाइपर नदी के दोनों तरफ दोनों पक्ष डट जाएंगे। रूस का पूर्वी यूक्रेन और क्रीमिया पर पूर्ण नियंत्रण हो जाएगा। तनाव बरकरार रहेगा। पश्चिमी यूक्रेन कमजोर हो जाएगा और वह नाटो का हिस्सा बनने के लिए मिन्नत करेगा।हो सकता है कि रूस जीत जाए, लेकिन यूक्रेन के पश्चिमी इलाके और अहम शहरों में पब्लिक रेजिस्टेंस गुरिल्ला युद्ध की शक्ल ले लेगा। ऐसे में बहुत खूनखराबा होगा। अगर यूक्रेन कभी जीता भी तो कम से कम एक जेनरेशन पीछे चला जाएगा।हो सकता है कि रूस जीत जाए, लेकिन यूक्रेन के पश्चिमी इलाके और अहम शहरों में पब्लिक रेजिस्टेंस गुरिल्ला युद्ध की शक्ल ले लेगा। ऐसे में बहुत खूनखराबा होगा। अगर यूक्रेन कभी जीता भी तो कम से कम एक जेनरेशन पीछे चला जाएगा।ऐसा भी हो सकता है कि रूस की सीधी जीत हो जाए। पूरा यूक्रेन उसके नियंत्रण में आ जाए या वह पूर्वी यूक्रेन को अपनी टैरटरी में शामिल कर ले और पश्चिम यूक्रेन में अपने प्रभाव वाली सरकार बना दे।कुछ भी हो, लेकिन एक बात तय है कि रूस दुनिया में पहले से ज्यादा अलग-थलग हो जाएगा और उस पर प्रतिबंध और कड़े हो जाएंगे। रूस एक नाकाम राष्ट्र में भी बदल सकता है। सवाल ये है कि यूक्रेन को लेकर पुतिन अपना लक्ष्य हासिल कर भी लें तो वो युद्ध के नतीजों से कैसे निबटेंगे? यूक्रेन युद्ध के बाद ग्लोबल डिप्लोमेसी बदल जाएगी। यह नए शीतयुद्ध की शुरुआत भी हो सकती है।
क्या अमेरिका यूक्रेन के लिए मदद बढ़ाएगा?
अमेरिका पहले से ही यूक्रेन की मदद कर रहा है। अमेरिका पिछले कई महीने से यूक्रेन को एंटी-टैंक मिसाइलें और सैन्य सहयोग दे रहा है। राष्ट्रपति जो बाइडेन ने आज ही यूक्रेन के लिए 35 करोड़ डॉलर के हथियार भेजने की अनुमति दी है।कई यूरोपीय देश भी सहयोग बढ़ा रहे हैं। लड़ाकू विमान भी भेज रहे हैं। ये बड़ी बात है कि यूक्रेन के लिए ये रक्षा सहयोग खुलेआम दिया जा रहा है। कोई इस तथ्य को छुपा नहीं रहा है कि वो यूक्रेन की तरफ से लड़ने के लिए सैनिक भेज रहा है, जो रूस के खिलाफ लड़ेंगे। अमेरिका खुलकर यूक्रेन का साथ दे रहा है, इसका एक पहलू ये भी है कि इससे रूस पर दबाव भी बनेगा।
यूरोपीय संघ की क्या भूमिका देख रहे हैं?
रूस पर प्रतिबंधों को लागू करने में यूरोपीय संघ का सहयोग जरूरी है। अमेरिका ने रूस के खिलाफ आर्थिक मोर्चे पर युद्ध छेड़ दिया है और यूरोपीय संघ इसमें सबसे अधिक एक्टिव है।क्या आपने उम्मीद की थी कि पुतिन यूक्रेन पर हमला करेंगे और इस तीव्रता से करेंगे?कोई भी निश्चित तौर पर ये नहीं जानता था कि पुतिन यूक्रेन पर इस तरह हमला कर देंगे। बहुत से एक्सपर्ट ये मान रहे थे कि पुतिन वार्ता में अपना पक्ष मजबूत करने के लिए ये चाल चल रहे हैं। मैं ये नहीं कहूंगा कि मुझे ये पता था या है कि उस समय पुतिन के दिमाग में क्या चल रहा था। मैं अब भी नहीं जानता कि पुतिन के दिमाग में क्या चल रहा है। सिर्फ कयास ही लगाए जा सकते हैं कि वो क्या-क्या कर सकते हैं। बड़ी बात ये है कि अब यूक्रेन के आम लोग भी हथियार उठा रहे हैं। इसका असर पुतिन पर हो सकता है।