Friday, September 20, 2024
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डॉ. राजेंद्र प्रसाद से रामनाथ कोविंद तक, सब कुछ जानिए!

आज हम आपको इस लेख में देश में हुए सभी राष्ट्रपतियों के बारे में कुछ ना कुछ दिलचस्प बातें बताने वाले हैं! भारत के 15वें राष्‍ट्रपति कौन होंगे? 21 जुलाई 2022 को इस सवाल का जवाब मिल जाएगा। अगला राष्‍ट्रपति चुनने के लिए सोमवार को करीब 4,800 निर्वाचित सांसद एवं विधायक मतदान करेंगे। मतदान से जुड़े अपडेट्स आप यहां क्लिक कर फॉलो कर सकते हैं। राष्‍ट्रपति चुनाव 2022 में राजग की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को विपक्ष के यशवंत सिन्हा चुनौती दे रहे हैं। अगले राष्ट्रपति 25 जुलाई को शपथ लेंगे। द्रौपदी मुर्मू का भारत का पहला आदिवासी राष्‍ट्रपति बनना तय है। राजग की उम्मीदवार के पास 6.67 लाख से अधिक वोट हैं। जीत के लिए करीब 5.50 लाख मतों की जरूरत है। राष्‍ट्रपति चुनाव के रनअप में हमने स्‍वतंत्रता से लेकर अबतक के हर राष्‍ट्रपति के चुनाव से जुड़ा दिलचस्‍प किस्‍सा पेश किया। आज जब नया महामहिम चुनने को वोट डाले जा रहे हैं, एक बार सभी राष्‍ट्रपतियों के बारे में जान लेते हैं।

डॉ. राजेन्‍द्र प्रसाद (1950-1962)

संविधान सभा ने 1950 में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को ही भारत का पहला राष्‍ट्रपति चुना। वह 1952 में हुआ पहला राष्‍ट्रपति चुनाव जीते और 1957 में दूसरा भी। राजेन्‍द्र बाबू मई 1962 तक भारत के राष्‍ट्रपति रहे। उनका कार्यकाल सभी राष्‍ट्रपतियों में सबसे लंबा है।

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1962-1967)

राधाकृष्णन जब मैदान में उतरे तो किसी दल ने उनके खिलाफ उम्मीदवार नहीं खड़ा किया लेकिन दो निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे। राधाकृष्णन के सामने चौधरी हरिराम और दूसरे निर्दलीय प्रत्याशी थे यमुना प्रसाद त्रिसुलिया। चौधरी हरिराम तीसरी बार चुनाव लड़ रहे थे। राधाकृष्णन की एकतरफा जीत हुई। उनको 5,53,067 वोट मिले वहीं दोनों उम्मीदवारों मिलाकर केवल दस हजार वोट मिले।

डॉ. जाकिर हुसैन (1967-1969)

आजादी के 20 साल के बाद देश को तीसरा राष्ट्रपति मिलना था और पहली बार कोई मुस्लिम इसकी रेस में था। एक तरफ कांग्रेस समर्थित कैंडिडेट थे जाकिर हुसैन तो, दूसरी तरफ रिटायर्ड चीफ जस्टिस के. सुब्बाराव को जनसंघ समेत पूरा विपक्ष सपोर्ट कर रहा था। जनसंघ ने आपत्ति उठाई कि एक मुस्लिम को राष्ट्रपति के तौर पर स्वीकार करने के लिए देश के लोग राजी नहीं हैं।

डॉ. वी.वी. गिरि (1969-1974)

1969 का राष्ट्रपति चुनाव भारत के इतिहास में सर्वोच्च पद के लिए हुआ सबसे दिलचस्प चुनाव था। वी.वी. गिरि भारत के चौथे राष्ट्रपति चुने गए लेकिन उन्हें जिताने वाली प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को कांग्रेस पार्टी से निकाल दिया गया। कांग्रेस के दो टुकड़े हो गए।

फखरुद्दीन अली अहमद (1974-1977)

इंदिरा की उंगलियों पर नई कांग्रेस नाचती थी। 1974 आते-आते ज्‍यादातर नेता जो अलग हुए थे, इंदिरा की कांग्रेस में आ गए। वी.वी. गिरि को इंदिरा ने ही 1969 में राष्‍ट्रपति चुनाव जितवाया था, लेकिन 1974 में फिर से नामित करने का मन नहीं था। इस बार इंदिरा ने चुना असम से आने वाले वरिष्‍ठ नेता फखरुद्दीन अली अहमद को।

नीलम संजीव रेड्डी (1977-1982)

नीलम संजीव रेड्डी स्वतंत्र भारत के इतिहास में सर्वोच्च पद के लिए निर्विरोध चुने गए इकलौते राष्ट्रपति थे। जब उनका देश का राष्ट्रपति बनना तय हो गया तो उन्होंने इच्छा जताई कि वे राष्ट्रपति भवन से इतर किसी छोटे आवास में रहना चाहेंगे।

ज्ञानी जैल सिंह (1982-1987)

भिंडरावाले को पहले इंदिरा गांधी से मिलवाया, ऑपरेशन ब्लू स्टार की नहीं मिली जानकारी..

आर. वेंकटरमण (1987-1992)

1987 की गर्मियां कांग्रेस पार्टी के लिए, खासतौर पर राजीव गांधी के लिए खुशनुमा तो नहीं ही थी। तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह और राजीव के बीच तनातनी का दौर था और उस वक्त राजीव की कुर्सी भी खतरे में दिख रही थी। विपक्ष के नेता कांग्रेस में सेंध लगाने की कोशिश में जुट गए। उन्होंने इसके लिए राष्ट्रपति का कार्यकाल खत्म कर रहे ज्ञानी जैल सिंह को चुना।

डॉ. शंकर दयाल शर्मा (1992-1997)

विधायक, सांसद, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री, पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष, राज्यपाल, उपराष्ट्रपति फिर राष्ट्रपति। एक ऐसा शख्स जो अलग-अलग वक्त पर इन सभी पदों पर रहा हो। जिनके सामने प्रधानमंत्री बनने की भी पेशकश हुई थी लेकिन उन्होंने ठुकरा दिया। हम बात कर रहे हैं शंकर दयाल शर्मा की।

के.आर. नारायणन (1997-2002)

देश के पहले दलित राष्ट्रपति कोचेरिल रमन नारायणन। नारायणन भले ही देश के दलित पहले राष्ट्रपति थे लेकिन स्कूली शिक्षा से लेकर लंदन के स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स तक की पढ़ाई में कही भी उनकी जाति का योगदान नहीं रहा। केआर नारायणन ने भारतीय विदेश सेवा से रिटायर्ड होने के बाद राजनीति में एंट्री की। वे केरल से लगातार तीन बार सांसद रहे, राजीव गांधी की सरकार में कैबिनेट मंत्री फिर उपराष्ट्रति बने। इसके बाद वे 1997 में देश के पहले दलित राष्ट्रपति बने।

डॉ. ए.पी.जे. अब्‍दुल कलाम (2002-2007)

हमारे 11वें राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम। जब बोलते तो हजारों की भीड़ ‘सुई पटक सन्नाटा’ जैसे वाक्य को सार्थक कर देती। कैसे रामेश्वरम के एक नाविक का बेटा भारत का प्रथम नागरिक बना, इसकी कहानी बड़ी दिलचस्प है।

प्रतिभा पाटिल (2007-2012)

25 जून 2007 को प्रतिभा पाटिल देश की पहली महिला राष्टपति बनीं। जानें टेबल टेनिस की शानदार खिलाड़ी रह चुकीं और मैक्सिको के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजी जा चुकीं है!

प्रणब मुखर्जी (2012-2017)

प्रणब प्रधानमंत्री तो नहीं बन सके थे पर 2012 में यूपीए ने उन्‍हें राष्‍ट्रपति बनाने की पेशकश की। संख्‍या-बल यूपीए के साथ था, मुखर्जी का चुना जाना तय था। विपक्षी NDA ने पीए संगमा को उम्‍मीदवार घोषित किया। इलक्‍टोरल-कॉलेज के 70 प्रतिशत वोट मुखर्जी को मिले और वह देश के 13वें राष्‍ट्रपति निर्वाचित हुए।

राम नाथ कोविंद (2017-2022)

14वें राष्‍ट्रपति के रूप में रामनाथ कोविंद गहरी छाप छोड़कर जा रहे हैं। कोविंद के रूप में यूपी की तरफ से पहली बार कोई राष्‍ट्रपति भवन पहुंचा। राष्‍ट्रपति के पद पर आसीन होने के बावजूद कोविंद में कोई दंभ नहीं आया। पिछले साल वह अपने स्‍कूल BNSD इंटर कॉलेज गए थे। राष्‍ट्रपति कोविंद ने प्रोटोकॉल की परवाह न करते हुए मंच पर मौजूद गुरुओं के पैर छू लिए। इस महीने राष्‍ट्रपति भवन से अलविदा ले रहे कोविंद देश के दूसरे दलित राष्‍ट्रपति रहे। रामनाथ कोविंद गर्व कर सकते हैं कि उनका कार्यकाल विवादों से परे रहा।

2022 के राष्‍ट्रपति चुनाव की खातिर बीजेपी नीत एनडीए ने आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू को उम्‍मीदवार बनाया है। मुर्मू का देश की पहली आदिवासी राष्‍ट्रपति बनना तय है। उन्‍हें करीब 60 प्रतिशत मत हासिल हो सकते हैं। मुर्मू के सामने विपक्ष ने पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्‍हा को उतारा है।

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