यह सवाल उठना लाजिमी है कि राहुल गांधी वायनाड या अमेठी में से कहां से चुनाव लड़ेंगे! कांग्रेस सांसद और पार्टी के स्टार कैंपेनर राहुल गांधी को लेकर इन दिनों चर्चा का बाजार गरमाया हुआ है। उनके लोकसभा चुनाव में वायनाड से उतरने की संभावना है। दरअसल, कांग्रेस चुनाव समिति की गुरुवार को हुई बैठक के दौरान केरल के सभी 15 मौजूदा सांसदों के लोकसभा चुनावी मैदान में उतरने को मंजूरी दे दी गई। राहुल गांधी केरल के वायनाड से सांसद हैं। इस प्रकार एक बार फिर उनके वायनाड से ही चुनावी मैदान में उतरने की चर्चा ने जोर पकड़ लिया है। हालांकि, केरल में सत्तारूढ़ एलडीएफ की ओर से भी वायनाड में उम्मीदवार दिया गया है। जानकारी के अनुसार, कांग्रेस चुनाव समिति की बैठक में 60 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम पर विचार किया गया। पार्टी ने 40 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम को मंजूरी दे दी। दावा किया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, मणिपुर घाटी से पूर्व सीएम की इबोबी सिंह और तिरुवनंतपुरम से शशि थरूर के चुनावी मैदान में उतरेंगे। इनके नामों को मंजूरी दे दी गई है। ऐसे में राहुल गांधी बनाम स्मृति ईरानी मुकाबला क्या अमेठी में दिखेगा? इस पर सस्पेंस बरकरार है। इसके पीछे के कारण कई बताए जा रहे हैं। दरअसल, भाजपा ने यहां से स्मृति ईरानी को उम्मीदवार बना दिया है। ऐसे में कांग्रेस उम्मीदवार पर हर किसी की नजर है। केरल के सांसदों के नामों को एआईसीसी स्क्रीनिंग कमेटी की सिफारिश के आधार पर मंजूरी दे दी गई थी। एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी प्रोटोकॉल के अनुसार, अंतिम फैसला राहुल पर छोड़ दिया गया है। दिलचस्प बात यह है कि एआईसीसी महासचिव केसी वेणुगोपाल अलाप्पुझा सीट से संभावित उम्मीदवार हैं, जिसे कांग्रेस 2019 में हार गई थी। इसे सीईसी की ओर से चर्चा के लिए नहीं लिया गया था। संकेत हैं कि कांग्रेस त्रिपुरा में सीपीएम के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ेगी। गठबंधन के तहत त्रिपुरा ईस्ट सीट कांग्रेस को मिलने की उम्मीद है। इन तमाम नामों पर विचार और कांग्रेस की ओर से लिए गए निर्णयों के बीच राहुल गांधी पर चर्चा सिमट रही है।
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन हुआ है। समाजवादी पार्टी के साथ सीट शेयरिंग फार्मूला भी तय हो चुका है। इसके तहत कांग्रेस 17 और सपा 63 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। कांग्रेस को मिली 17 सीटों में अमेठी, रायबरेली जैसी पार्टी की परंपरागत सीटें शामिल है। वहीं, प्रयागराज और वाराणसी जैसी सीट भी कांग्रेस के हिस्से में आई है। हालांकि, इसमें सबसे महत्वपूर्ण अमेठी सीट है। अमेठी को गांधी परिवार का गढ़ माना जाता रहा है। लोकसभा चुनाव 2019 में अमेठी सीट से भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को करारी मात दी थी। अपनी स्थिति को कमजोर मानकर राहुल गांधी ने केरल की वायनाड सीट से भी नामांकन किया। वहां से चुनाव जीतकर वे लोकसभा तक पहुंचे।हालांकि, अमेठी सीट पर यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान समीकरण बदलतर दिखा था। समाजवादी पार्टी यहां टक्कर में दिखाई दी। लेकिन, राज्यसभा चुनाव की वोटिंग में मुलायम सिंह यादव के करीबी और जेल में बंद पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति की पत्नी महाराजी प्रजापति भाजपा के आठवें उम्मीदवार संजय सेठ के पक्ष में वोटिंग करती नजर आई थीं। ऐसे में अमेठी के समीकरण बदलाव होता एक बार फिर दिख रहा है। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस किसी तरह से खुद को कमजोर नहीं दिखाना चाहती है। इसलिए, अमेठी से राहुल गांधी को चुनावी मैदान में उतरने की घोषणा लगातार हो रही है।
दरअसल, एक तरफ भारतीय जनता पार्टी ने अपने सबसे बड़े चेहरे नरेंद्र मोदी को उत्तर प्रदेश के वाराणसी से उम्मीदवार घोषित कर दिया है। वहीं, कांग्रेस पार्टी अभी उत्तर प्रदेश में मिली 17 सीटों के उम्मीदवारों के नाम तय करने में जुटी है। माना जा रहा है कि यूपी के सीटों पर नाम फाइनल किए जाने के साथ ही अमेठी सीट के उम्मीदवार पर तस्वीर साफ हो पाएगी। देखना यह दिलचस्प होगा कि एक बार फिर स्मृति ईरानी और राहुल गांधी का चुनावी मुकाबला होता है, या फिर कांग्रेस किसी अन्य उम्मीदवार पर दांव खेलती नजर आती है। राहुल गांधी के यूपी की अमेठी के चुनावी मैदान से उतरने या न उतरने की रणनीति पर हर किसी की नजर रहने वाली है।लोकसभा चुनाव 2019 के बाद राहुल गांधी इक्का- दुक्का मौके पर ही अमेठी जाते दिखे हैं। वहीं, स्मृति ईरानी केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने के बावजूद लगातार अमेठी के दौरे पर रही हैं। इसके बाद भी स्मृति पर कुछ वर्ग की नाराजगी दिखी है। पिछले दिनों स्मृति ने अमेठी में अपना घर बनवाया। वहां पर गृह प्रवेश किया। इससे संबंधों को मजबूत बनाने की कोशिश की है। दूसरी तरफ, राहुल गांधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के तहत अमेठी पहुंचे। उन्होंने क्षेत्र से अपने संबंधों को फिर से मजबूत करने का प्रयास किया।
अमेठी लोकसभा सीट पर राहुल गांधी के सामने स्मृति ईरानी की चुनौती है। भाजपा ने अपना उम्मीदवार फाइनल कर लिया है। स्मृति ईरानी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष को पटखनी दी थी। इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में भी राहुल गांधी और स्मृति ईरानी का मुकाबला हुआ था। उस मुकाबले को राहुल गांधी ने आसानी से अपने नाम किया था। उसके बाद स्मृति ईरानी ने अमेठी को एक प्रकार से अपना दूसरा घर बनाया। वह लगातार लोगों के बीच जाती रहीं। सांसद रहते हुए भी राहुल गांधी पर अमेठी पर उतना ध्यान नहीं दे पाए, जितना चुनाव हारने के बाद स्मृति ईरानी ने दिया। परिणाम 2019 के लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी के पक्ष में आया। लोकसभा चुनाव 2024 तक स्मृति ईरानी की पकड़ क्षेत्र में मजबूत हुई है। भले ही क्षेत्र के लोगों की नाराजगी की खबरें सामने आती रही हैं।स्मृति ने ऐसे क्षेत्रीय नेताओं से संपर्क साधकर उनकी नाराजगी दूर करने का प्रयास शुरू कर दिया है। गांव- गांव घूम रही हैं। वहीं, राहुल गांधी चुनाव के ऐन पहले तक न्याय यात्रा में व्यस्त हैं। यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार की योजनाएं भी अमेठी में जमीन पर उतरती दिखी हैं। सामाजिक समीकरण को साधने की कोशिश लगातार भाजपा की ओर से हो रही है। इसका असर चुनाव परिणाम पर भी दिखना तय है। ऐसे में राहुल गांधी को संशय वाली सीट से उम्मीदवार बनाने से कांग्रेस बच सकती है। हालांकि, यूपी के उम्मीदवारों के नाम फाइनल होने पर ही इस पर वास्तविक तस्वीर सामने आएगी।