Saturday, October 19, 2024
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ज्ञानवापी मस्जिद विवाद और राजनीति

धर्मो रक्षति रक्षित:, अर्थात यदि आप धर्म की रक्षा करेंगे, तो धर्म आपकी रक्षा करेगा! इस वाक्य की शुरुआत महाभारत काल से हुई थी, जिसका पालन आज भी हो रहा है! लेकिन समय के साथ-साथ भारत में कई विदेशी शासकों ने अपना कब्जा जमाए रखा! कई विदेशी ताकतें ऐसी भी थी जिन्होंने 100 से 200 सालों तक भारत पर कब्जा किया और उनमें से ही एक थे मुगलिया शासक! यह उस समय की बात है जब भारत पर अकबर का शासन हुआ करता था, उस समय से ही हिंदुओं और मुस्लिमों को अलग-अलग माना जाने लगा! ये सब एक देश में तो रहते थे, लेकिन इनकी विचारधाराएं अलग-अलग थी! जिसका नतीजा यह हुआ कि शुरुआत से ही धर्म भेद भारत में पनपने लगा था, जिसका नतीजा आज भी लोग भुगत रहे हैं! ज्ञानवापी मस्जिद मामला कोई नया मामला नहीं है, ऐसे कई और मामले पहले भी आ चुके हैं जो हिंदुओं और मुस्लिमों को धार्मिक रूप से अलग करते हैं, उनके बीच में ऐसे विरोध पहले भी हो चुके हैं, जिनका अंत अयोध्या मंदिर के समय भी खत्म नहीं हुआ, और मामले बढ़े और विरोध सामने आए हिंदू अलग कहते हैं, तो वहीं मुस्लिम अलग! ऐसा ही कुछ ज्ञानवापी मस्जिद में है!

मामले की शुरुआत

इस मामले की शुरुआत अभी कुछ दिनों पहले ही हुई थी, जिसमें 5 महिलाओं के द्वारा गौरी श्रृंगार मंदिर में नियमित पूजा करने के लिए और अधिक समय मांगा गया था… क्योंकि उनकी पूजा सिर्फ 1 दिन ही होती थी… लेकिन वह हर रोज पूजा करना चाहती थी, इसी कारण उन 5 महिलाओं ने स्थानीय कोर्ट में याचिका दायर कर दी जिसके बाद यह मामला उछल गया! जब उन्होंने याचिका दायर की तो स्थानीय कोर्ट के द्वारा काशी विश्वनाथ मंदिर के पास श्रृंगार गौरी मंदिर में और आसपास कैमरे और वीडियोग्राफी करने के आदेश दे दिए! जैसे ही टीम वीडियोग्राफी करने गई वैसे ही मुस्लिम पक्ष के द्वारा विरोध और प्रदर्शन शुरू कर दिया गया… जिसके बाद मामला और बढ़ गया! सर्वे का पहला दिन था, दूसरे दिन भी इसी प्रकार सर्वे किया गया… जिसमें एक और चौका देने वाली चीज सामने आई और वो यह थी कि वहां पर वजुखाने में 12.8 व्यास का एक शिवलिंग सफाई करते हुए मिल गया जिसके बाद पक्ष विपक्ष के दावे शुरू हो गए!

भड़क गया मामला

जैसे ही मस्जिद से सफाई करते हुए शिवलिंग की एक फुटेज सामने आई, वैसे ही मुस्लिम पक्षकार का यह कहना था… कि यह कोई शिवलिंग नहीं बल्कि एक फव्वारा है, जो नियमित तौर पर मस्जिदों में लगाया जाता है… परंतु वही हिंदू पक्ष कार का यह कहना है कि यह छिपा हुआ शिवलिंग है जिसे आज से लगभग 350 साल पहले औरंगजेब के द्वारा छिपा दिया गया था.. मुगलों के शासक औरंगजेब के द्वारा काशी विश्वनाथ मंदिर को ध्वस्त कर के वहां पर ज्ञानवापी मस्जिद को स्थापित कर दिया गया था और इस बात को हिंदू पक्ष कार सिर्फ ऐसे ही नहीं कह रहा, उनके पास पुराने काशी विश्वनाथ मंदिर का पूरा नक्शा भी है, जिसमें साफ तौर पर यह दिखाई देता है कि काशी विश्वनाथ मंदिर में ही ज्ञानवापी मस्जिद जिस जगह स्थापित है वह भी एक समय काशी विश्वनाथ मंदिर का ही हिस्सा था..इसी के चलते कोर्ट के द्वारा आर्कलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को इस मामले की जांच करने के आदेश दे दिए हैं, जिसके सर्वे का आज तीसरा दिन था, वाराणसी में मंदिर और मस्जिद का मामला यह नया नहीं है, इससे पहले भी कई बार ऐसे मामले उठ चुके हैं, अयोध्या का मामला भी ऐसा ही एक मामला था, लेकिन मामले कोई भी हो, किसी का धर्म उससे छीनना या उसके धर्म को दबाना बिल्कुल सही नहीं है, क्योंकि शास्त्रों में भी कहा गया है और भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत में भी गीता का पाठ पढ़ाते हुए कहा है कि किसी व्यक्ति से उसका धर्म मत छीनो, क्योंकि धर्म ही एक ऐसी चीज है जिससे एक व्यक्ति का अस्तित्व निखरता है!

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