वर्तमान में दिल्ली में एयर इमरजेंसी आ गई है! दिल्ली का दम जहरीले धुएं में घुट रहा है और उधर पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं थम नहीं रही हैं। पंजाब में बुधवार को पराली जलाने का एक नया रेकॉर्ड बना। किसानों से 3634 जगहों पर पराली जलाई। मंगलवार को 2131 जगहों पर ऐसी घटनाएं सामने आई थीं। इसका नतीजा यह है कि गुरुवार सुबह छह बजे ही दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 408 के खतरनाक स्तर पर पहुंच गया। आज सुबह दिल्ली समेत पूरे एनसीआर में धुंध की चादर ज्यादा है। जब दम फूल रही राजधानी को नीतिगत फैसलों की ऑक्सिजन की जरूरत थी, तब इसमें राजनीति का जहर घुल गया। इसने समस्या का समाधान करने के बजाय इसे और बढ़ा दिया। नौबत यह हो गई है कि राजधानी नरक बन गई है। सांस लेना मुश्किल हो गया है। लोग आंखों में जलन महसूस कर रहे हैं। डॉक्टरों ने सांस के रोगियों को घर में ही रहने की सलाह देनी शुरू कर दी है। दिवाली के बाद से राजधानी ने धुंध की चादर लपेट ली है। स्मॉग (स्मोक और फॉग ) की यह चादर दिन-ब-दिन मोटी होती जा रही है। राजधानी का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) ‘सीवियर’ यानी गंभीर की श्रेणी में पहुंच चुका है। कह सकते हैं कि एयर इमरजेंसी लग चुकी है। हवा को जहर बनाने में सबसे बड़ी विलेन पराली बनती दिख रही है। पीएम 2.5 प्रदूषण में इसका योगदान लगातार बढ़ रहा है। पीएम 2.5 बारीक पार्टिकल होते हैं जो 2.5 माइक्रोन या उससे कम व्यास के होते हैं। सांस की नली के जरिये ये शरीर में फेफड़ों तक पहुंच सकते हैं। इसके बाद खून में प्रवेश कर सकते हैं।
दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स लगातार सीवियर बना हुआ है। एक्सपर्ट्स ने पहले ही इसकी भविष्यवाणी कर दी थी। 0-50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51-100 को ‘संतोषजनक’, 101-200 को ‘मध्यम’, 201-300 को ‘खराब’, 301-400 को ‘बहुत खराब’ और 401-500 को ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है। एयर पॉल्यूशन कंट्रोल करने के लिए कई तरह की बंदिशें लगाई गई हैं। इनमें सीवर लाइन बिछाने, बैचिंग संयंत्रों के संचालन, पानी की पाइप बिछाने, नाले से जुड़े कार्य, टाइल्स को काटने और बिछाने, पत्थर और फर्श पर बिछाने की अन्य सामग्री, वाटरप्रूफिंग कार्य, फुटपाथ समेत सड़क निर्माण कार्य और कई अन्य गतिविधियों पर पाबंदी लगाई गई है।
ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान’ (ग्रैप) के अंतिम चरण को लागू करने की चर्चा तेज हो गई है। इसके तहत पाबंदियां और बढ़ेंगी। मसलन, सिर्फ जरूरी सामान लेकर आने वाले ट्रक ही राजधानी में आ सकेंगे। डीजल से चलने वाले मध्यम और बड़े ट्रक नहीं चल सकेंगे। डीजल से चलने वाली कारों पर दिल्ली में रोक होगी। एनसीआर में पीएनजी के अलावा अन्य ईंधन का इस्तेमाल करने वाली सभी इंडस्ट्री बंद होंगी, फिर चाहे वहां पीएनजी सप्लाई है या नहीं है। निर्माण और तोड़फोड़ के पब्लिक प्रोजेक्ट भी बंद होंगे। इसमें हाइवे, सड़के, फ्लाईओवर, ओवरब्रिज, पावर ट्रांसमिशन, पाइपलाइन आदि से जुड़े काम भी शामिल हैं। दिल्ली-एनसीआर की राज्य सरकारें फैसला कर सकती हैं कि अपने ऑफिस और प्राइवेट ऑफिस में 50 फीसदी कर्मियों को वर्क फ्रॉम होम दें। केंद्र सरकार भी फैसला कर सकता है कि वह अपने ऑफिस में वर्क फ्रॉम होम लागू करे। राज्य सरकारें स्कूल, कॉलेज, संस्थान, गाड़ियों पर ऑड ईवन आदि से जुड़े फैसले ले सकती हैं।
फिलहाल पराली का जलना अभी वायु प्रदूषण के लिए सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के एक विश्लेषण के अनुसार, जब एक नवंबर से 15 नवंबर के बीच पराली जलाए जाने की घटनाएं चरम पर होती हैं, तब राजधानी में लोग सबसे खराब हवा में सांस लेते हैं। यह समस्या पिछले कई सालों से रही है। हालांकि, पराली जलाने की घटनाएं कम होने की जगह बढ़ गई हैं। पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। अब इस मुद्दे पर राजनीति भी गरम हो गई है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने दिल्ली में प्रदूषण के खराब स्तर को लेकर दिल्ली और पंजाब के मुख्यमंत्रियों पर करारा हमला बोला है। यहां तक उनके इस्तीफे की मांग भी कर डाली है। पार्टी ने इसे ‘आपराधिक लापरवाही से कम नहीं’ करार दिया है। पंजाब में पराली जलाने के मामलों की संख्या पिछले साल 7,648 थी। यह इस साल बढ़कर 10,214 हो गई है।
पंजाब के सीएम भगवंत मान ने इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करने की नसीहत दी है। उन्होंने कहा है कि प्रदूषण से राजनीति मत करो। प्रदूषण केवल दिल्ली और पंजाब में नहीं है, पूरे उत्तर भारत में है। किसान को गालियां मत दो। उस पर FIR मत करो। पंजाब और दिल्ली के लोग अपने स्तर पर सभी कदम उठा रहे हैं। केंद्र को आगे आकर सभी राज्य सरकारों के साथ मिलकर समाधान निकालना होगा।
दिल्लीवासी सांस लेने में तकलीफ की बात कह रहे हैं। उनका कहना है कि प्रदूषण के कारण घर से बाहर निकलने का मन नहीं करता है। बुजुर्गों को खासतौर से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लोग आंखों में जलन होने की शिकायत कर रहे हैं। वो इसका जल्द से जल्द समाधान चाहते हैं। लोग केंद्र और राज्य सरकारों से इसके लिए कुछ कारगर उपाय चाहते हैं। मेदांता हॉस्पिटल में इंस्टीट्यूट ऑफ चेस्ट सर्जरी के चेयरमैन डॉ अरविंद कुमार कहते हैं कि धूम्रपान और प्रदूषित हवा में कैंसर करने वाले ज्यादातर केमिकल एक जैसे होते हैं। धूम्रपान से जो धुआं लोगों में कैंसर करता है वही प्रदूषित हवा से भी होता है। प्रदूषित शहरों में बच्चा जन्म लेने से स्मोकर बन जाता है। शहरों में फेंफड़ों का कैंसर बढ़ने की एक बड़ी वजह प्रदूषण है।