गुजिया अब मीठा जहर बन चुकी है! त्योहारों का मौसम यानी खाने-पीने की मौज बहार। हर घर में होली के मौके पर आतीं हैं मिठाइयां। खासकर गुजिया को तो होली से जोड़कर ही देखा जाता है। शायद ही कोई ऐसा घर हो जहां होली के दिन गुजिया न मिले, लेकिन क्या आप जानते हैं कुछ लोगों ने होली की मिठाइयों को भी जहरीला बना दिया है। आज हम आपको इसी मीठे जहर से सावधान करना चाहते हैं। भई होली है तो बच्चे तो गुजिया खाएंगे ही। बच्चे क्या घरों में हर कोई गुजिया का लुत्फ उठाता है। घर में आने वाले मेहमानों को भी गुजिया ही परोसी जाती है, लेकिन इन्हीं गुजिया के जरिए लोगों को परोसा जा रहा है मीठा जहर। देश के अलग-अलग इलाकों में नकली मावा बरामद किया गया। दरअसल त्योहारों से पहले खाद्य विभाग मुहिम चलाता जिसके अंतर्गत उन जगहों पर छापा मारा जाता है जहां नकली खोवा या मावा बनाने की खबर मिलती है।
इस मुहिम के तहत मुरैना के पास से करीब डेढ़ क्विंटल मावा बरामद किया गया है। ये बाइक में मुरैना की तरफ ले जाया जा रहा था। पुलिस ने इसके बाद उस व्यापारी के अड्डे पर भी छापा मारा जहां से बनकर आया था। इस डेयरी में बड़ी मात्रा में रिफाइंड ऑयल और कही जहरीले केमिकल बरामद हुए हैं। इस खोये के सैंपल जांच के लिए भेज दिए गए हैं। इसके अलावा लखनऊ के पास लालता खेड़ा गांव में भी ऐसा ही मिलावटी मावा तैयार किए जाने की खबर आ रही है। ये खोवा वहां लखनऊ लाया जाता है और फिर वहां सस्ते सीतापुर इलाके में भी ऐसा ही नकली मावा मिला है और इसके सैंपल भी जांच के लिए भेजे गए हैं।
दरअसल ये त्योहारों के मौके पर ये मावा ही आगे रेस्टोरेंट और छोटी मिठाई की दुकानों में सप्लाई होता है और फिर इससे बनाई जाती हैं मिठाइयां। मावे की कीमत वैसे करीब 400 रुपये किलो है, लेकिन इस तरह का केमिकल और रिफाइंड ऑयल से तैयार मावे को ये थोड़ा सस्ती कीमतों पर दुकानदारों को बेचते हैं। मुनाफे के लालच में दुकानदार भी इस मिलावटी मावे से परहेज नहीं करते और फिर घरों तक पहुंचती है इसी जहरीले मावे की गुजिया और मिठाइयां।
कई बार लोग सोचते हैं कि हम घर पर ही मिठाई तैयार कर लेते हैं, लेकिन वो मावे को बाजार से ही खरीदने की भूल करते हैं जबकि मावे में ही सबसे ज्यादा मिलावट होती है। मिलावटी मावे को मैदा, आलू, डिटर्जेंट, सिंथेटिक दूध और कुछ हार्मफुल केमिकल से तैयार किया जाता है।मावे की कीमत वैसे करीब 400 रुपये किलो है, लेकिन इस तरह का केमिकल और रिफाइंड ऑयल से तैयार मावे को ये थोड़ा सस्ती कीमतों पर दुकानदारों को बेचते हैं। मुनाफे के लालच में दुकानदार भी इस मिलावटी मावे से परहेज नहीं करते और फिर घरों तक पहुंचती है इसी जहरीले मावे की गुजिया और मिठाइयां। दरअसल इसको बनाने की लागत काफी कम पड़ती है। त्योहारों के टाइम पर मावे की डिमांड काफी ज्यादा बढ़ जाती है और ऐसे में इन लोगों की सिंथेटिक मावे से लाखों की कमाई हो जाती है।
नकली खोये की पहचान करना बेहद आसान है और आप ऐसा करके अपने परिवार को इस खतरे से बचा सकते हैं। पहली बात नकली खोवे का स्वाद थोड़ा अलग होता है और उसमें केमिकल की बदबू भी आती है।नकली मावा खाने पर तालू में चिपकने लगता है। इसके अलावा आप आयोडीन की कुछ बूंदों से भी खोये को चेक कर सकते हैं।मावे की कीमत वैसे करीब 400 रुपये किलो है, लेकिन इस तरह का केमिकल और रिफाइंड ऑयल से तैयार मावे को ये थोड़ा सस्ती कीमतों पर दुकानदारों को बेचते हैं। मुनाफे के लालच में दुकानदार भी इस मिलावटी मावे से परहेज नहीं करते और फिर घरों तक पहुंचती है इसी जहरीले मावे की गुजिया और मिठाइयां।मावे की कीमत वैसे करीब 400 रुपये किलो है, लेकिन इस तरह का केमिकल और रिफाइंड ऑयल से तैयार मावे को ये थोड़ा सस्ती कीमतों पर दुकानदारों को बेचते हैं। मुनाफे के लालच में दुकानदार भी इस मिलावटी मावे से परहेज नहीं करते और फिर घरों तक पहुंचती है इसी जहरीले मावे की गुजिया और मिठाइयां। खोये में कुछ बुंदे आयोडीन की डालने पर अगर इसका रंग बदल जाता है तो इसका मतलब ये नकली है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि बाजारों में बिक रहा 60 प्रतिशत तक का खोया नकली है इसलिए बेहतर है कि आप मिठाइयों के लिए घर पर दूध से ही खोया तैयार करें ताकि होली के रंग में भंग न हो।