क्या भारतीय इसरो ने लगा दी है एक और बड़ी छलांग?

0
105

भारतीय इसरो ने वर्तमान में एक और बड़ी छलांग लगा दी है! भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो अपने गगनयान मिशन पर काम रही है। चंद्रयान और आदित्य एल-1 की सफलता के बाद ये मिशन इसरो को और ऊंचाइयों पर पहुंचाएगा। गगनयान भारत का पहला मानव मिशन होगा। इसरो ने गगनयान मिशन के लिए ‘सीई-20 क्रायोजेनिक इंजन’ तैयार कर लिया है। इसरो ने इस इंजन का सफल परीक्षण भी किया। गगनयान मानव अंतरिक्ष मिशन के लिए एलवीएम लॉन्चिंग पैड के ‘क्रायोजेनिक चरण’ को शक्ति प्रदान करता है। इसरो ने कहा कि सीई-20 क्रायोजेनिक इंजन मानव मिशन के लिए अंतिम परीक्षणों में सफल रहा। इंजन की टेस्टिंग से इसकी क्षमता का पता चलता है।इससे पहले इसरो कई स्तरों पर यह सुनिश्चित करना चाहता है कि इस मिशन में कोई कमी न रह जाए। इसलिए पिछले साल एजेंसी ने टेस्ट फ्लाइट किया, जिसके जरिए ये टेस्ट किया गया कि इंसानों को ले जाने वाला कैप्सूल सुरक्षित रूप से धरती पर वापस लौट सकता है। इसरो के मुताबिक, पहली मानव रहित उड़ान ‘एलवीएम3 जी1’ के लिए पहचाना गया सीई-20 इंजन सभी जरूरी परीक्षणों से गुजरा। अब मिशन के अगले चरण के लिए इसरो तैयार है। पहले लॉन्च पैड के आसपास के चार किलोमीटर के दायरे में कोई नहीं होता था। यहां तक की लॉन्च पैड को सुरक्षा देने वाले सीआईएसएफ कर्मी भी उड़ान भरने से दो घंटे पहले पोस्ट छोड़ देते थे। लेकिन 2025 में पहली बार भारतीय अंतरिक्ष यात्री स्पेससूट पहनकर एक विशेष मंच के माध्यम से लॉन्च पैड तक पहुंचेंगे। इसरो 19 साल पुराने लॉन्च पैड को भी अपग्रेड कर रहा है।

सतीश धवन स्पेस सेंटर के निदेशक ए. राजराजन ने कहा कि एक अलग लॉन्च पैड को तैयार करने में समय लगता है। इसलिए दूसरे लॉन्च पैड में सुधार का काम किया जा रहा है। हर बार जब हम कुछ प्रयोग करते हैं तो कुछ नए संशोधन भी करते हैं। उन्होंने कहा कि यह करीब 2000 करोड़ का निवेश है। जिस भी रॉकेट से अंतरिक्ष यात्रियों को भेजा जाएगा, उसमें भी अधिक सुरक्षा सुविधाएं जोड़ी जाएंगी। मिशन आठ घंटे से एक दिन तक चल सकता है। अंतरक्षि यात्री पूरे समय क्रू मॉड्यूल में ही रहेंगे। इसमें 25 से 27 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान बनाए रखा जाएगा। सेंटर के अधिकारियों ने कहा कि मिशन के दौरान कई बातों को ध्यान में रखने की भी जरूरत है।

जैसे मिशन के दौरान ईंधन लीक हो सकता है, ऐसी स्थिति में रॉकेट में विस्फोट भी हो सकता है। उन्होंने बताया कि गगनयान मिशन साल 2025 तक लॉन्च होगा। हालांकि इसके शुरुआती चरणों को इसी साल यानी 2024 तक पूरा किया जा सकता है। इसमें दो मानवरहित मिशन को अंतरिक्ष में भेजना शामिल है। जब ये मिशन सफल होंगे उसके बाद ही एस्ट्रोनॉट को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।

गगनयान मिशन ISRO की ओर से विकसित भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस मिशन में तीन अंतरिक्ष मिशन शामिल हैं। इन तीन मिशनों में से दो मानवरहित होंगे, जबकि एक मानव युक्त मिशन होगा। गगनयान मिशन भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन है। इस मिशन के तहत तीन चालक दल के सदस्यों को 400 किलोमीटर की कक्षा में तीन दिनों के मिशन के लिए लॉन्च करना और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है। इसरो ने इस मिशन की टेस्टिंग पिछले साल की थी। वहीं हाल ही में इसरो ने इसके क्रायोजेनिक इंजन की टेस्टिंग की।

गगनयान मिशन पांच चरणों में पूरा होगा। इसका अंतिम चरण तब खत्म होगा जब एक अंतरिक्ष यान में तीन इंसान को बैठाकर अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इससे पहले इसरो कई स्तरों पर यह सुनिश्चित करना चाहता है कि इस मिशन में कोई कमी न रह जाए। इसलिए पिछले साल एजेंसी ने टेस्ट फ्लाइट किया,लॉन्च पैड के आसपास के चार किलोमीटर के दायरे में कोई नहीं होता था। यहां तक की लॉन्च पैड को सुरक्षा देने वाले सीआईएसएफ कर्मी भी उड़ान भरने से दो घंटे पहले पोस्ट छोड़ देते थे। लेकिन 2025 में पहली बार भारतीय अंतरिक्ष यात्री स्पेससूट पहनकर एक विशेष मंच के माध्यम से लॉन्च पैड तक पहुंचेंगे। इसरो 19 साल पुराने लॉन्च पैड को भी अपग्रेड कर रहा है। जिसके जरिए ये टेस्ट किया गया कि इंसानों को ले जाने वाला कैप्सूल सुरक्षित रूप से धरती पर वापस लौट सकता है। यह सुनिश्चित किया गया है कि हवा से जमीन पर कैप्सूल गिरने से क्या कोई नुकसान हो रहा है या नहीं।