एक समय ऐसा था जब राजनाथ सिंह प्रधानमंत्री मोदी के लिए संकटमोचक बनकर आए! राजनाथ सिंह को हमेशा भारतीय जनता पार्टी के एक विजनरी नेता के रूप में देखा जाएगा। उन्होंने वर्ष 2013 के गोवा अधिवेशन भारतीय जनता पार्टी के चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष के तौर पर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री का नाम आगे कर दिया। राजनाथ सिंह ने इसके साथ ही भाजपा में अटल-आडवाणी के दौर के समाप्त होने और नई पीढी के आगे की एक प्रकार से घोषणा कर दी। लालकृष्ण आडवाणी की आयु अधिक होने के बाद भी उनकी अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं थी। मुरली मनोहर जोशी से लेकर सुषमा स्वराज और अरुण जेटली जैसे सीनियर नेताओं को इस घोषणा में नजरअंदाज किया गया था। मोदी को चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाए जाने का परिणाम राजनाथ जानते थे। कई साथी छिटकेंगे। कई पार्टी नेताओं की नाराजगी बढ़ेगी। लेकिन, उन्होंने परवाह नहीं की। पहला परिणाम बिहार में एनडीए की प्रचंड बहुमत से चुनी हुई सरकार से सीएम नीतीश कुमार ने भाजपा को बाहर किया। इन तमाम स्थितियों के बाद भी राजनाथ ने हमेशा नरेंद्र मोदी का साथ दिया। आज के समय में भी हर संकट के दौर में पीएम नरेंद्र मोदी के साथ राजनाथ सिंह खड़े नजर आते हैं। इसलिए उन्हें पीएम मोदी का संकटमोचक कहा जाता है। राजनाथ सिंह ने एक मीडिया इंटरव्यू में गोवा अधिवेशन और इसमें पीएम उम्मीदवार के तौर पर नरेंद्र मोदी के नाम के प्रस्ताव पर खुलकर बात की थी। इसको लेकर उन्होंने कहा कि हमने पीएम मोदी को पहले भाजपा के कार्यकर्ता और एक ऑर्गनाइजर के रूप में काम करते हुए देखा था। इसके बाद गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में काम करते हुए देखा। इसके बाद नतीजे पर पहुंचे कि मोदी एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनके अंदर संगठन को भी चलाने की क्षमता है। शासन चलाने की भी कुशलता है। वे सबको साथ लेकर चलने की अद्भुत क्षमता से लैस हैं। मैं इस नतीजे पर पहुंचा था कि मोदी एके अद्भुत काल्पनिक क्षमता के धनी व्यक्ति हैं। दरअसल, 2013 में भाजपा में कई नाम उछल रहे थे। इसमें राजनाथ सिंह के साथ-साथ शिवराज सिंह चौहान, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली समेत कई अन्य नेताओं के नाम शामिल थे।
राजनाथ ने कहा था कि हम तमाम नेताओं में नरेंद्र मोदी सबसे अधिक लोकप्रिय थे। ऐसा मैंने भाजपा का अध्यक्ष बनने के बाद नहीं कहा था। भाजपा अध्यक्ष का कार्यभार संभालने के पहले के इंटरव्यू में भी यह बात आप देख सकते हैं। एक सांसद के रूप में जब मोदी के समक्ष अनुभव नहीं होने के सवाल पर राजनाथ ने कहा था कि एक मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री बनकर भी सफल हो सकता है। यह तो आप सबने देख लिया है। सर्जिकल स्ट्राइक जैसे फैसले मोदी जैसे व्यक्तित्व से ही संभव है। वे कठोर फैसले लेने की क्षमता रखते हैं।
राजनाथ सिंह को राजनीति का धुरंधर माना जाता है। हवाओं का रुख भांपने की ताकत उनमें है, ऐसा राजनीतिक दिग्गज भी मानते हैं। चंदौली जिले के भभौरा गांव निवासी राम बदन सिंह और गायत्री देवी के परिवार में आज के ही दिन 72 साल पहले उनका जन्म हुआ था। गांव के स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा और गोरखपुर यूनिवर्सिटी से फिजिक्स में प्रथम श्रेणी से पास होने वाले राजनाथ का झुकाव बचपन में ही आरएसएस की तरफ हो गया। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने केबी पोस्ट ग्रैजुएट कॉलेज मिर्जापुर में लेक्चरर के पद पर काम करना शुरू कर दिया। महज 13 साल की उम्र में आरएसएस से जुड़ने वाले राजनाथ वर्ष 1972 में मिर्जापुर के शाखा कार्यवाह बन गए।
वर्ष 1991 में पहली बार यूपी में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी। कल्याण सिंह सरकार में राजनाथ सिंह शिक्षा मंत्री बनाए गए। शिक्षा मंत्री के तौर पर नकल विरोधी कानून 1992 की चर्चा आज भी होती है। राजनाथ ने ही नकल को गैर जमानती बनाया। साइंस टेक्स्ट को आधुनिक बनाने और वैदिक गणित को पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने को लेकर उनकी चर्चा होती है।
अप्रैल 1994 में पहली बार यूपी की राजनीति से निकल कर राजनाथ राष्ट्रीय राजनीति में पहुंचे। उन्हें राज्यसभा सदस्य के रूप में चुना गया। 25 मार्च 1997 को उन्हें यूपी भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। 1999 की अटल सरकार में राजनाथ पहली बार कैबिनेट में जगह बनाने में कामयाब रहे। उन्हें भूतल परिवहन मंत्री बनाया गया। यूपी की राजनीति में भाजपा के भीतर मचे धमासान को कम करने के लिए पार्टी ने उन्हें 2000 में यूपी के सीएम का बनाया गया। उन्होंने 2001 और 2002 में हैदरगढ़ विधानसभा सीट से चुनावी जीत हासिल की। दो साल तक प्रदेश के सीएम रहे। राजनाथ को भले ही हिंदुत्व विचारधारा से जुड़ा हुआ बताया जाता है, लेकिन वे कट्टर हिंदुत्व की वकालत नहीं करते हैं। उनके सॉफ्ट स्पोकेन व्यवहार की वजह से उन्हें अलग दर्जा मिला हुआ है।
राजनाथ सिंह को मोदी सरकार के दोनों कार्यकाल में अहम जिम्मेदारी मिली। वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा पूर्ण बहुमत से चुनकर आई। राजनाथ सिंह इस सरकार में नंबर दो की भूमिका में दिखे। उन्हें केंद्रीय गृह मंत्री बनाया गया। इसके बाद 2019 में जब मोदी सरकार दोबारा चुनकर आई तो उन्हें रक्षा मंत्री पद की अहम जिम्मेदारी मिली। दोनों ही पदों पर उनकी काम की छाप दिखती है। पीए मोदी जब भी किसी विवाद में उलझते दिखते हैं तो राजनाथ सामने खड़े हो जाते हैं। किसान आंदोलन के दौरान ‘मैं भी किसान हूं’ वाला बयान हो या राफेल विमान में तिलक और नींबू-मिर्च प्रकरण विवादों से इतर वे पीएम मोदी की राह को आसान करते दिखते हैं।