वर्तमान के हालात देखकर तो लगता है कि तेज प्रताप ने अपनी राजनैतिक सियासत रोक दी है! बिहार की सियासत में अपने पिता और राजद सुप्रीमो लालू यादव की राजनीतिक विरासत के जरिए एंट्री लेने वाले तेज प्रताप यादव बिहार सरकार में मंत्री हैं। तेज प्रताप यादव बिहार सरकार में वन, पर्यावरण एवं जलवायु मंत्री हैं। तेज प्रताप बिहार सरकार में 2015 से 2017 तक स्वास्थ्य मंत्री भी रहे। तेज प्रताप वर्तमान में समस्तीपुर जिले की हसनपुर विधानसभा सीट से राजद विधायक हैं। ये तेज प्रताप यादव का एक संक्षिप्त परिचय है। बिहार की राजनीति में शुरुआती दिनों में सक्रिय और तरोताजा रहकर बेबाक बयानबाजी करने वाले तेज प्रताप यादव इन दिनों चुप-चुप से हैं। पिता लालू यादव के किडनी ट्रांसप्लांट की सफलता को लेकर रुद्राभिषेक करते हुए उनकी तस्वीर सामने आई थी। महागठबंधन सरकार में मंत्री पद संभालने के बाद वे कई बार सड़कों पर चिड़िया बेचने वालों को पकड़ा। उनके चंगुल से परिंदों को उड़ाया। अक्सर पटना चिड़ियाघर में दिखे। उससे पहले जिम करने, बांसुरी बजाने और बेबाक बयानबाजी को लेकर चर्चा में रहे। तेज प्रताप के पारिवारिक जीवन में भी उथल-पुथल रही, हालांकि वो मामला अब कोर्ट में चल रहा है। सवाल सबसे बड़ा ये है कि तेज प्रताप की चुप्पी का राज क्या है? तेज प्रताप यादव इन दिनों चुप-चुप से और शांत से क्यों हैं? कृष्ण भक्ति में लीन तेज प्रताप को सियासी गलियारों में ‘संत’ कहा जाने लगा है।
आज की सियासत की तर्ज बिल्कुल जुदा है। इस दौर में यदि हम तेज प्रताप की सियासत को देखें, तो कई बातें स्पष्ट हो जाती है। उन्होंने कहा कि देखिए तेज प्रताप लालू यादव के बड़े पुत्र हैं। तेज प्रताप का अंदाज निराला है। मीडिया वालों ने तेज प्रताप के निराला अंदाज को भुनाया भी। तेज प्रताप के अंदाज में कई बातें जनहित की हैं। कई बातें ऐसी भी हैं, जो कभी-कभार जनहित के खिलाफ भी गईं। जैसे जनहित की राजनीति और इस राजनीति की जो ऊंची-नीची डगर है, उस पर सिर्फ कोरे इमोशन से नहीं चला जा सकता। राजनीति के लिए रणनीति का होना जरूरी है। उसके लिए सियासी शतरंज की मोहरे भी सजाने पड़ते हैं। अपनी जुबान को भी संयमित रखना पड़ता है। इसके अलावा हम क्या बोल रहे हैं? क्या कदम उठा रहे हैं? ये भी मायने रखता है।
क्या सियासत में सिर्फ ऊंची-नीची डगर की पहचान करने वालों को ही रहना चाहिए? इस प्रश्न पर नवेंदु कहते हैं कि देखिए सियासत में संन्यासी भाव को भले कोई आज जगह न दे, लेकिन राजनीति में संन्यासी भाव की भी बड़ी महता है। उन्होंने कहा कि ये महता उन लोगों से बड़ी है, जो राजनीति में जुगाड़ तंत्र, तीन-पांच करके आगे बढ़ते हैं। तेज प्रताप भले सत्ता के शीर्ष पर न पहुंच पाएं, लेकिन आम-अवाम के बीच उनके लिए एक जनसमर्थन है। तेज प्रताप की आज की तारीख में फॉलोइंग है। उनकी सोशल मीडिया पर सक्रियता है। लोग उन्हें पसंद करते हैं। हालांकि, नवेंदु ये भी कहते हैं कि आने वाले दिनों में तेज प्रताप में कोई बड़ा बदलाव दिखे, ऐसा भी नहीं है। तेज प्रताप जिस तर्ज पर हैं, उसी तर्ज पर चलेंगे। जरूरत इस बात की है तेज प्रताप को थोड़ी सी राजनीतिक सूझबूझ और संयम से काम लेना होगा। खासतौर से कुछ बोलने, कहने और एक्शन लेने से पहले विचार करना होगा। तेज प्रताप को उसमें एक तमीजदारी और समझदारी की भी जरूरत है। ये उम्मीद भी है कि बिहार की सियासत के ‘संन्यासी’ कहे जा रहे तेज प्रताप आने वाले दिनों में इन बातों से अवगत होंगे। नवेंदु ने साफ कहा कि तेज प्रताप यादव जैसे लोगों को वर्तमान सियासी परिस्थितियां बहुत ज्यादा जगह नहीं देती हैं। फिर भी, तेज प्रताप जैसे लोग जनता के दिलों में जगह तो बना ही सकते हैं।
21 नवंबर 1987 को जन्मे तेज प्रताप यादव राजनीति से ज्यादा आध्यात्मिक रंग के लिए मशहूर हैं। तेज प्रताप यादव को बांसुरी बजाना पसंद है। गायों के साथ समय बिताना पसंद है। वे हमेशा वृंदावन जाते रहते हैं। तेज प्रताप के सोशल मीडिया पर फैन बहुत ज्यादा हैं। वे पूजा पाठ करते हुए हमेशा अपना वीडियो अपलोड करते रहते हैं। अनिसाबाद पटना के एक सब्जी विक्रेता ने एनबीटी ऑनलाइन से बातचीत में कहा कि उन्हें नेता में सबसे ज्यादा तेज प्रताप यादव पसंद हैं। ये पूछने पर कि तेज प्रताप यादव को पसंद करने का कोई खास कारण, सब्जी विक्रेता कहते हैं कि देखिए वे बिल्कुल निश्छल हैं। गरीबों की मदद करते हैं। देर रात सड़कों पर निकलकर कंबल बांटते हैं। कौन मंत्री ऐसा करता है? वे हमेशा गरीबों की मदद करते हैं। आपको बता दें कि कई बार अपने इंटरव्यू में तेज प्रताप बता चुके हैं कि उन्हें अमिताभ बच्चन पसंद हैं। उन्हें मछली खाना अच्छा लगता है। तेज प्रताप के सोशल मीडिया एकाउंट पर पूजा-पाठ करते और अपनी मां राबड़ी देवी के साथ समय बिताते कई वीडियो डालते हैं। जिन्हें लोग खासा पसंद करते हैं। सियासी जानकार साफ कहते हैं कि लालू यादव की तबियत खराब होने के बाद से तेज प्रताप हमेशा उन्हें लेकर चिंतित दिखे। उन्होंने लालू के स्वास्थ्य की कामना के लिए पूजा-पाठ भी की। चुप रहना कोई बुरी बात नहीं है।
इस बीच तेज प्रताप को लेकर खबर ये आई है कि वे सिंगापुर जाने की तैयारी में व्यस्त हैं। लालू यादव के स्वास्थ्य को लेकर चुप-चुप से रहने वाले तेज प्रताप परिवार के साथ लालू यादव को हैप्पी न्यू ईयर कहने के लिए सिंगापुर इसी सप्ताह जाएंगे। इस बात तेज प्रताप के साथ तेजस्वी यादव और राजश्री यादव भी सिंगापुर जाएंगी। सूत्रों के मुताबिक परिवार की ओर से तैयारी शुरू कर दी गई है। जानकारी के मुताबिक बहुत जल्द लालू यादव का पटना आगमन भी होगा। लालू यादव फिलहाल डॉक्टरों की निगरानी में हैं। उनका इलाज चल रहा है। इसी महीने उनका किडनी ट्रासप्लांट हुआ था। तेजस्वी ने भी जानकारी दी थी कि लालू यादव की तबियत में लगातार सुधार हो रहा है। पार्टी सूत्रों और परिवार की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक लालू यादव खरमास के बाद यानी मकर संक्राति के बाद बिहार की धरती पर कदम रखेंगे। लालू यादव कई बीमारियों से दो चार हो रहे हैं। उनकी किडनी ने जब काम करना बंद कर दिया, तो उनकी बेटी रोहिणी आचार्य ने उन्हें किडनी डोनेट की। उसके बाद रोहिणी की पूरे देश में और सोशल मीडिया पर जय-जयकार हुई। लोगों ने रोहिणी की दिल-खोलकर तारीफ की। उन्हें दुआएं दी और कहा कि ईश्वर सबको ऐसी बेटी दे।