क्या नीतीश कुमार के पलटने से विपक्ष बिखर गया है?

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यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या नीतीश कुमार के पलटने से विपक्ष बिखरा है या नहीं! नीतीश कुमार वो मुख्यमंत्री हैं जो मुख्यमंत्री बनने के लिए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देते हैं जिससे दोबारा मुख्यमंत्री बन सकें। पिछले साल का जून महीना था, तारीख थी 23 । 2024 लोकसभा चुनाव के लिए पहला विपक्षी महाजुटान कराने के पीछे बिहार के सीएम नीतीश कुमार का भी हाथ था। इस बात को अब 7 महीने से ऊपर हो चुके हैं। इस बीच 5 बार एनडीए के खिलाफ तैयार विपक्षी गठबंधन ”इंडिया” की बैठकें हुईं। 4 बार फिजकल तो 1 बार वर्चुअल। लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले ही लग रहा है कि ‘इंडिया’ बिखराव की ओर है। ताजा झटका विपक्षी ब्रिगेड को नीतीश के रूप में लगा है। उन्होंने एक बार फिर पाला बदल लिया है। नए गठबंधन से मोह भंग कर एनडीए में वापस आ गए हैं। एक घंटा पहले ही 9वीं बार बिहार के सीएम के रूप में शपथ ली। वही नीतीश जो कल तक कहते थे कि मर जाएंगे पर भाजपा के साथ नहीं जाएंगे। खैर, राजनीति यही है और नीतीश इसके मझे हुए खिलाड़ी। वहीं, नीतीश कुमार से पहले ममता बनर्जी ने भी अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने ऐलान किया है। यही नहीं आम आदमी पार्टी ने पंजाब में अकेले लोकसभा और हरियाणा में अकेले विधानसभा लड़ने वाली है। विपक्ष के लिए एक के बाद एक तीन झटकों ने उसे एनडीए के खिलाफ लड़ाई में कमजोर कर दिया है। बिहार में राजनीतिक घटनाक्रम ने भाजपा को फुल टॉस की तरह एक आसान मौका दे दिया है। ममता, केजरीवाल के ऐलान के बाद नीतीश का वापस एनडीए में जाने से बीजेपी के लिए 2024 की लड़ाई और आसान हो गई है। क्षेत्रीय पार्टियों की बात करें तो तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के साथ सीट बंटवारे की व्यवस्था तक पहुंचने के लिए ‘इंडिया’ गुट के भीतर टकराव के बीच बिहार में उलटफेर हुआ है। तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने सीट बंटवारे की बातचीत के बीच कांग्रेस पर निशाना साधा है और राज्य में इस नए गठबंधन से लगभग दूरी बना ली है। उन्होंने कहा है कि टीएमसी अकेले चुनाव लड़ेगी और किसी भी गठबंधन पर निर्णय चुनाव के बाद ही लिया जाएगा। कांग्रेस तब से डैमेज कंट्रोल में व्यस्त है और जोर देकर कहा है कि वे एक रास्ता खोजने के लिए काम कर रही है। पंजाब में सीटों के बंटवारे की बातचीत में भी बाधा आई है, जहां मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा है कि AAP अकेले लड़ने की तैयारी कर रही है। हालिया बिहार घटनाक्रम का मतलब है कि भाजपा के लिए लाभ ज्यादा है। यह राजनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं। नीतीश कुमार तो वैसे भी पाला बदलने के लिए जाने जाते हैं। 2024 लोकसभा चुनाव के पहले उनका यह कदम भाजपा के साथ एनडीए को भी फायदा पहुंचाने वाला है।

नीतीश कुमार के इस्तीफे के कुछ ही समय बाद, उनके करीबी सहयोगी और जद यू के वरिष्ठ नेता के. सी. त्यागी ने कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए सबसे पुरानी पार्टी पर ‘इंडिया’ गुट को हाईजैक करने की कोशिश करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि जद यू को गठबंधन छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा, भले ही नीतीश कुमार विपक्षी ताकतों को एक साथ लाने के लिए सबसे आगे थे। केसी त्यागी ने कहा कि भाजपा की अजेय चुनाव मशीनरी का मुकाबला करने के लिए जिस तरह की तैयारी की आवश्यकता है, वह बड़े चुनाव से महीनों पहले भी कहीं नहीं देखी गई थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस अपने गढ़ों में सहयोगियों को चुनाव लड़ने देने के लिए तैयार नहीं थी, लेकिन वह अन्य विपक्षी दलों के प्रभुत्व वाले राज्यों में अधिक सीटों के लिए जोर देती रही। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस अपने अस्तित्व के लिए लड़ रही है और अब यह क्षेत्रीय ताकतों को खत्म करना चाहती है।’ उन्होंने सीट बंटवारे की व्यवस्था को अंतिम रूप देने में देरी को लेकर भी कांग्रेस पर निशाना साधा।

जद (यू) नेता की टिप्पणी क्षेत्रीय दलों के बार-बार किए गए इस दावे के खिलाफ है कि उन्हें उनके गढ़ों में बड़ी भूमिका दी जानी चाहिए। भारत से जद (यू) के बाहर निकलने से कांग्रेस को और झटका लगेगा क्योंकि क्षेत्रीय दल बिहार के घटनाक्रम का इस्तेमाल सीट बंटवारे में भारी सौदेबाजी के लिए कर सकते हैं। त्यागी ने कहा, ‘कांग्रेस के अहंकार के कारण गठबंधन समाप्त हो गया है।’ उन्होंने यह भी भविष्यवाणी की कि अन्य क्षेत्रीय दल भी कांग्रेस के साथ गठबंधन से बाहर हो जाएंगे।नीतीश कुमार के दोबारा एनडीए में जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि राजनीति में ‘आया राम, गया राम जैसे कई लोग हैं और पार्टी को पता था कि ऐसा होगा।

जब से ‘इंडिया’ गठबंधन बना है, तब से भाजपा इस बात पर जोर दे रही है कि इतने सारे सहयोगियों का गठबंधन का अस्थिर होना तय है। भाजपा का कहना है कि ये सारी पार्टियां कई राज्यों में प्रतिद्वंद्वी भी हैं। पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि एनडीए ने देश में स्थिरता लाई है। भारत गुट के प्रमुख चेहरों में से एक सीएम नीतीश कुमार के गठबंधन से बाहर निकलने के साथ, विपक्षी गुट की अंतर्निहित अस्थिरता के बारे में भाजपा के दावों को विश्वसनीयता मिली है। जैसे-जैसे देश अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों की तैयारी कर रहा है, वैसे-वैसे भाजपा अब प्रधानमंत्री मोदी के करिश्मे और एक सावधानीपूर्वक चुनाव मशीनरी से लैस एक अजेय ताकत के रूप में दिखाई दे रही है। दूसरी ओर, ‘इंडिया’ ब्लॉक अभी भी अपने घर को व्यवस्थित करने के लिए संघर्ष कर रहा है।