वर्तमान में मालदीव के राष्ट्रपति भारत से नफरत करने लगे हैं! नफरत जहर है। खुद को ही मारता है। किसी से नफरत में अंधापन खुद को ही नुकसान पहुंचाता है। लेकिन शख्स को पता नहीं चलता क्योंकि आंखों पर नफरत की पट्टी जो बंधी होती है। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू का भी यही हाल है। भारत की नफरत में वह इतने अंधे हो चुके हैं कि अपने ही नागरिकों की जान जाने का कोई परवाह नहीं है। मालदीव में एक 13 साल का बच्चा तड़प-तड़पकर मर गया। अगर समय पर इलाज मिलता तो उसकी जान बच सकती थी। लेकिन इलाज में देरी हुई क्योंकि मालदीव की सरकार मेडिकल इमर्जेंसी में भारत के भेजे हेलिकॉप्टरों और प्लेन का इस्तेमाल नहीं करना चाहती जबकि ये भेजे ही इसीलिए गए हैं। वजह सिर्फ इतनी है कि चीन की गोद में बैठे मुइज्जू को भारत से नफरत है। लेकिन इतनी भी क्या नफरत मिस्टर मुइज्जू कि एक मासूम तड़प-तड़पकर मर जाए? कुछ लोकल मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है मुइज्जू ने बच्चे को एयरलिफ्ट करने के लिए भारत के भेजे डोर्नियर विमान का इस्तेमाल करने को मंजूरी नहीं दी। मुइज्जू चीन के कठपुतली हैं ये जगजाहिर है। वह भारतविरोधी हैं ये भी जाहिर है। लेकिन विरोध तक तो ठीक है। मुइज्जू के लिए ये विरोध तो भारत के प्रति नफरत में तब्दील हो गया है। अंधी नफरत में। लोकल मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 13 साल के बच्चे को ब्रेन ट्यूमर था। वह एक सुदूरवर्ती द्वीप विलमिंगटन का रहने वाला था जो गाफ अलिफ विलिंगिली द्वीपसमूह का हिस्सा है। वहां आधुनिक चिकित्सा सुविधा मौजूद नहीं हैं। ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित बच्चे को स्ट्रोक आया था और परिवार इलाज के लिए उसे एयरलिफ्ट कर राजधानी माले ले जाना चाहता था। वाकया बुधवार रात का है। बच्चे का परिवार अधिकारियों और दफ्तरों में गुहार लगाता रहा कि उसके बच्चे को बचा लीजिए, एयरलिफ्ट करा दीजिए लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। बच्चे की हालत बिगड़ती चली गई। गाफ अलिफ विलिंगिली के जिस अस्पताल में बच्चे का इलाज चल रहा था वहां लोग सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन करने लगे। बच्चे को एयरलिफ्ट करने में हो रही देरी से लोगों में रोष था। आखिरकार 16 घंटे बाद गुरुवार सुबह उसे एयरलिफ्ट किया गया लेकिन तबतक बहुत देर हो चुकी थी और बच्चा बचाया नहीं जा सका। भारत ने मालदीव को जो हेलिकॉफ्टर और डोर्नियर विमान दिए हैं उनका काम ही मानवीय मदद करना है। रेस्क्यू की जरूरत पड़ने या मेडिकल इमर्जेंसी की स्थिति में उनका इस्तेमाल होता है। लेकिन वह बच्चा तड़प-तड़पकर मर गया और उसे समय से एयरलिफ्ट नहीं किया जा सका क्योंकि मुइज्जू नहीं चाहते कि मेडिकल इमर्जेंसी में भारत के भेजे हेलिकॉप्टर या विमानों का इस्तेमाल हो।
मुइज्जू ने पिछले साल हुए चुनाव में ‘इंडिया आउट’ का अभियान चलाया था। उन्होंने मालदीव से भारतीय सैनिकों को बाहर निकालने के वादे के साथ चुनाव लड़ा था। ये सैनिक प्राकृतिक आपदा या किसी भी मुश्किल के वक्त में मानवीय मदद पहुंचाने और ट्रेनिंग देने के लिए मालदीव में हैं। मालदीव सरकार ने भारतीय सैन्यकर्मियों को उनके ऑपरेशन और मेंटिनेंस की जिम्मेदारी से हटने को कहा है। इससे मालदीव में भारतीय हेलिकॉप्टर और विमानों के इस्तेमाल को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने भारत से 15 मार्च तक अपने सैनिकों को वापस बुलाने के लिए कहा है। हालांकि, भारतीय अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में आपसी सहमति से समाधान निकालने के लिए दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है।
वैसे ये पहली बार नहीं है जब मुइज्जू की भारत से अंधी नफरत की बेदी पर किसी मासूम की बलि चढ़ी है। कुछ दिन पहले ही एक और लड़के की इस वजह से मौत हो गई थी क्योंकि मुइज्जू ने डोर्नियर विमान को तैनात करने की इजाजत नहीं दी थी। मुइज्जू सरकार की इस हरकत के खिलाफ मालदीव के लोगों में आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है। स्थानीय लोगों ने अस्पताल के बाहर मुइज्जू सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। सोशल मीडिया पर भी लोगों का गुस्सा दिखा। आम लोगों के साथ-साथ राजनेताओं और बुद्धिजीवियों में भी नाराजगी दिख रही है। मालदीव के सांसद मिकैल नसीम ने एक्स पर पोस्ट किया, ‘भारत के प्रति राष्ट्रपति की दुश्मनी को संतुष्ट करने के लिए लोगों की जान नहीं ली जानी चाहिए।’ संयुक्त अरब अमीरात में मालदीव के पूर्व डेप्युटी एम्बेसडर रहे मोहम्मद फैजल ने लिखा, ‘कुछ ही दिन पहले, एक अद्दू फैमिली ने समुद्र के पास अपने बेटे को इसलिए खोया कि मुइज्जू ने डोर्नियर की तैनाती से इनकार कर दिया था। आज जीए विलिंगिली के एक और युवा लड़के को अपनी जान गंवानी पड़ी जबकि डोर्नियर संभवतः उसे बचा सकता था। मुइज्जू के तुच्छ अभिमान के लिए और कितनी जिंदगियां कुर्बान होंगी।’ लोगों में रोष है। आक्रोश है। एक राष्ट्रपति का किसी देश के प्रति नफरत में अंधा हो अमानवीय हो जाना दुखद है।
मिस्टर मुइज्जू, भारत से इतनी भी क्या नफरत? कम से कम मानवता का ही ध्यान रखे होते। नफरत में अपने ही लोगों पर अमानवीय हो जाना कहां तक ठीक है? नफरत के अंधेपन में मानवीय गरिमा को तो ताक पर मत रखिए मिस्टर मुइज्जू! हम तो सिर्फ इतना ही कहेंगे- गेट वेल सून मुइज्जू। ईश्वर आपको सद्बुद्धि दें।