हाल ही में हुए विधानसभा चावन से यह पता चलता है कि चारों राज्यों के विधायकों से जनता नफरत करने लग गई है! मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के विधानसभा चुनावों के परिणाम आए तो पूरा देश दंग रह गया। मतदान से पहले से ही राजस्थान और मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन की अटकलें लगाई जा रही थीं जबकि छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार की वापसी के दावे किए जा रहे थे। सोसाइटी और मीडिया का एक वर्ग तो यहां तक दावा कर रहा था कि बीजेपी मध्य प्रदेश की सत्ता गंवा देगी जबकि राजस्थान और छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकारों को मात नहीं दे पाएगी। यानी, कुल मिलाकर इस चुनाव में बीजेपी के सफाए के दावे दबी जुबान में ही सही, लेकिन किए जा रहे थे। लेकिन 3 दिसंबर को चुनाव परिणाम आए तो उलटा हो गया। कांग्रेस ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ की सत्ता गंवा दी जबकि बीजेपी एमपी की सरकार बचाने में कामयाब रही। इस तरह तीनों प्रदेशों में बीजेपी की सरकार आ गई और सफाया हो गया कांग्रेस का। हां, कांग्रेस को तेलंगाना में जरूर सफलता मिली है। उसने दक्षिण के इस राज्य की सत्ता में 10 वर्ष से जमे मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की पार्टी, पूर्व में तेलंगाना राष्ट्र समिति टीआरएस और अब भारत राष्ट्र समिति बीआरएस को उखाड़ फेंका।
इन चार राज्यों की विधानसभा सीटों को जोड़ दें तो संख्या 638 पर पहुंच जाती है। ध्यान रहे कि मध्य प्रदेश में 230, राजस्थान में 199 और छत्तीसगढ़ में 90, तेलंगाना में 119 सीटें हैं। दरअसल, राजस्थान में 200 सीटें हैं, लेकिन इस बार वोटिंग 199 पर ही हुई। इन 638 में से 337 सीटों पर पिछले चुनावों में जीत दर्ज करने वाली पार्टी, इस बार हार गई। जाहिर है कि सीटों का कब्जे में ज्यादातर बदलाव प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने वाली पार्टी के पक्ष में हुए, लेकिन सभी नहीं। आइए देखें कैसे सीटें इधर से उधर चली गईं। पीले रंग के कोष्ठकों में वो सीटें हैं जिन्हें पार्टियों ने इस बार भी अपने पास बरकरार रखा।
इसी वर्ष जुलाई में बीजेपी ने सांगठनिक बदलाव किया तो वसुंधरा राजे को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद दे दिया। उनके साथ छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह को भी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद दिया। संकेत साफ है- राज्यों की राजनीति से निकलकर राष्ट्रीय राजनीति में आएं। हालांकि, वसुंधरा और रमन, दोनों को ही क्रमशः झालरापाटन और पाटन विधानसभा क्षेत्र से टिकट मिल गया। दोनों ने अपनी-अपनी सीट पर जीत भी दर्ज कर ली है। छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल का डंका बज रहा था। वहां कांग्रेस पार्टी जीत को लेकर निश्चिंत थी तो बीजेपी के हाव-भाव भी बता रहे थे कि उसमें भी जीत की उम्मीद नहीं बची है। लेकिन परिणाम सबके सामने है। छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार बनाने जा रही है।
सभी एग्जिट पोल्स के अनुमानों का यही निष्कर्ष निकल रहा था कि कांग्रेस पार्टी छत्तीसगढ़ में तो अपनी सत्ता बचा ही रही है, मध्य प्रदेश को भी वह बीजेपी से छीन रही है। कुछ एग्जिट पोल्स ने राजस्थान में भी अशोक गहलोत सरकार की लुभावनी योजनाओं का हवाला देकर कांग्रेस सरकार की वापसी का अनुमान जताए थे। इस तरह, तीनों प्रदेशों से बीजेपी का सफाए का अनुमान जताया जा रहा था। लेकिन हुआ उलट। कांग्रेस की लाज बची तो दक्षिण के राज्य तेलंगाना में। उत्तर भारत के तीनों प्रदेशों में कांग्रेस ने सत्ता गंवा दी। यह सब कैसे हुआ? चुनावी राजनीति का एक नियम है कि लोग चेहरे के आधार पर वोट करते हैं। प्रदेश की कमान किसके हाथ में सौंपनी है, वहां की जनता अक्सर इसी आधार पर पार्टी का चुनाव किया करती है। लेकिन मोदी मैजिक में राजनीति के ऐसे कई नियम धराशायी हो गए। दूसरे शब्दों में कहें तो मोदी की लोकप्रियता ने राजनीति में खेल के कई नियम ही बदल दिए। अब चेहरा कोई भी हो, मोदी की गारंटी काफी है। जैसा कि बीजेपी मीडिया सेल के प्रभारी ने शुरुआती रुझानों में बीजेपी की बढ़त हासिल होते देख एक्स पर एक पोस्ट में दावा भी किया।
आखिर राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट, मध्य प्रदेश में कमलनाथ जबकि छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के कथित रूप से बेहद दमदार चेहरे को नकार कर जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर भी भरोसा किया। बीजेपी ने किसी प्रदेश में अपना सीएम कैंडिडेट घोषित नहीं किया और प्रचार अभियानों में पीएम मोदी को आगे करके यही जताया कि मोदी हैं तो मुमकिन है। बीजेपी का यह भरोसा सही साबित हुआ। मोदी ने सच में फिर से मुमकिन कर दिया। अब तो बीजेपी नेता भी कह रहे हैं कि जीत का भरोसा तो था, लेकिन इतनी बड़ी जीत होगी, इसका अंदाजा नहीं था। यह मोदी मैजिक का कमाल है। उस मोदी का जिन्हें कांग्रेस पार्टी के सबसे दिग्गज नेता राहुल गांधी ने ‘पनौती’ बताकर क्रिकेट वर्ल्ड कप फाइनल में भारत की हार की जिम्मेदारी थोपने की कोशिश की। बात यहीं तक नहीं रुकी, पूरी कांग्रेस पार्टी ने मोदी के खिलाफ ‘पनौती अभियान’ छेड़ दिया था। आज जब चुनाव परिणाम आ गए हैं तो साफ हो गया कि 2024 के सेमीफाइनल में मोदी सच में कथित ‘पनौती’ साबित हुए, कांग्रेस के लिए। बीजेपी के लिए तो मोदी, मुमकिन का ही दूसरा नाम हैं। जैसा कि शिवराज सिंह चौहान ने कहा- यह मोदी की जीत है।