क्या समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच पड़ चुकी है दरार?

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वर्तमान में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच दरार पड़ चुकी है! समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। कांग्रेस पर उनका हमला बदस्‍तूर जारी है। उनके बयानों से लगने लगा है कि विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A उनके दिमाग में दूर-दूर तक नहीं है। कांग्रेस और सपा दोनों ही इस गठबंधन का हिस्‍सा हैं। अखिलेश के बयान I.N.D.I.A कुनबे के भविष्‍य पर सवाल खड़े करने लगे हैं। यह कुनबा बनने से पहले ही बिखरता दिख रहा है। रविवार को उन्‍होंने कांग्रेस को ‘बहुल चालू’ पार्टी बताया था। सोमवार को मध्‍य प्रदेश में चुनावी रैली के दौरान उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ कांग्रेस को भी लपेट दिया। उन्‍होंने दावा किया कि दोनों दलों की सरकारों ने राज्‍य में भ्रष्‍टाचार और लूट की है। बीते कुछ समय से सपा प्रमुख कांग्रेस पर ज्‍यादा हमलावर हो गए हैं। अगले लोकसभा चुनाव के लिए यूपी में सीट शेयरिंग का मुद्दा इसके पीछे बड़ी वजह है। इसे लेकर पेंच फंसा हुआ है। अखिलेश बोल चुके हैं कि सपा यूपी की सभी 80 सीटों पर लड़ने के लिए तैयार है। अगर I.N.D.I.A गठबंधन के तले बात आगे बढ़ी तो सपा 80 में से कम से कम 65 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। अखिलेश के हालिया तेवरों ने I.N.D.I.A गठबंधन को बड़ा झटका दिया है। बीते कुछ समय में उन्‍होंने खुलकर कांग्रेस पर निशाना साधा है। कोई ऐसा दिन नहीं जाता जब वह कांग्रेस पर हमलावर नहीं होते हैं। यूपी में ही नहीं, मध्‍य प्रदेश में जाकर भी अखिलेश यादव ने कांग्रेस को आड़े हाथों ले रखा है। इसके लिए ज्‍यादा पीछे जाने की भी जरूरत नहीं है। रविवार को मध्‍य प्रदेश में एक चुनावी रैली के दौरान सपा प्रमुख ने कहा कि अगर आपको राशन के नाम पर कुछ नहीं मिल रहा तो आप भाजपा को वोट क्यों देंगे? कांग्रेस को भी वोट मत देना, यह बहुत चालू पार्टी है। कांग्रेस वोटों के लिए जाति आधारित जनगणना चाहती है। अख‍िलेश यह भी बोले कि अगर देश में जातीय जनगणना को किसी ने रोका तो वह पार्टी कांग्रेस थी। मंडल कमीशन को रोकने का काम भी कांग्रेस ने ही किया। बीजेपी उसी के रास्‍ते पर चल रही है।

सोमवार को भी अखिलेश एमपी में बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस पर हमला करते दिखे। चुनावी रैली के दौरान उन्‍होंने कहा कि भाजपा और कांग्रेस एक ही दल हैं। इनके चेहरे कभी-कभी अलग हो जाते हैं। कांग्रेस और भाजपा की नीतियों में कोई फर्क नहीं दिखाई देता है। भाजपा और कांग्रेस दोनों सरकारों ने मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार और लूट की है। पिछड़े, दलितों, आदिवासियों को धोखा दिया है। इन वर्गों को गरीब बनाए रखा। मध्य प्रदेश में पिछड़ों का 27 फीसदी आरक्षण लागू नहीं होने दिया। भाजपा और कांग्रेस की गलत नीतियों से किसान दुखी हैं। नौजवानों को नौकरी नहीं मिली। महंगाई, बेरोजगारी चरम पर है। नौजवान नौकरी, रोजगार की उम्मीद नहीं कर सकता है। हर वर्ग निराश है। पहले कांग्रेस की गलत नीतियों ने गरीब, किसान, नौजवान को पीछे कर दिया। अब भाजपा भी उसी रास्ते पर है। दोनों दलों के खिलाफ वोट कर सपा के प्रत्याशियों को जिताएं।कांग्रेस और सपा दोनों I.N.D.I.A गठबंधन के सहयोगी दल हैं। इनमें बीते महीने से दूरी बढ़ी है। मध्‍य प्रदेश में सपा चाहती थी कि कांग्रेस उसके लिए कुछ सीटों को छोड़ दे। लेकिन, कांग्रेस ने ऐसा नहीं किया। कांग्रेस के सीट न छोड़ने पर अखिलेश यादव ने नाराजगी भी जताई थी। इसी के बाद सपा ने एमपी विधानसभा चुनाव में 40 सीटों पर अपने उम्‍मीदवार उतार दिए। उन्‍होंने कांग्रेस को यह भी चेतावनी दी थी लोकसभा चुनाव में सपा उसे अपनी ताकत दिखाएगी।

सपा की तरह कांग्रेस का रुख भी आक्रामक है। I.N.D.I.A गठबंधन के सहयोगी दलों के साथ उसका तालमेल बनता नहीं दिख रहा है। हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक की जीत के बाद उसके हौसले बुलंद हैं। इसके लिए वह राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को श्रेय देती है। पार्टी के नेताओं को लगता है कि राहुल ही हैं जो सही मायनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व को सीधी चुनौती दे सकते हैं। यही कारण है कि विपक्षी गठबंधन की कई दौर की बैठकों के बाद भी गाड़ी सीट शेयरिंग को लेकर अटक गई है। यह मुद्दा शुरू से बेहद अहम रहा है। अखिलेश को यूपी में सपा की ताकत पता है। वह यह भी जानते हैं कि प्रदेश में कांग्रेस को जगह देना सीधे-सीधे अपना नुकसान करना है। कांग्रेस यूपी में अपनी जमीन खो चुकी है। उसी की खेती पर सपा और बीजेपी लहलहाई हैं। अगर सीट शेयरिंग में अखिलेश ने थोड़ा भी कॉम्‍प्रोमाइज किया तो उनकी पार्टी के लिए ही खतरा खड़ा हो सकता है। यूपी के रास्‍ते केंद्र की सत्‍ता का रास्‍ता खुलता है। सपा आंख मूंदकर किसी भी हालत में यह चाबी कांग्रेस के हाथों में नहीं सौंपने वाली है। अखिलेश यादव कांग्रेस के साथ गठबंधन करके पहले भी यूपी में हाथ जला चुके हैं। ऐसे में वह बार-बार उस गलती को नहीं दोहराना चाहेंगे।

हालांकि, यह I.N.D.I.A गठबंधन के बनने से पहले ही उसके खत्‍म होने की ओर इशारा कर रहा है। सपा ही नहीं, ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस टीएमसी और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के साथ कांग्रेस के खांचे फिट नहीं हो रहे हैं। ऐसे में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए बनाम I.N.D.I.A के अलावा भी कोई गठबंधन बन जाए उस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।