वर्तमान में के के पाठक की सारी मुश्किलें हट गई है! शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के कड़े फैसलों से शिक्षकों में हड़कंप तो था ही, पूर्व शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर की भी उनकी बेपटरी जगजाहिर थी। दोनों के बीच बेपटरी की शुरुआत तो उसी दिन हो गई थी, जब सीएम नीतीश कुमार ने अपने तत्कालीन शिक्षा मंत्री के बजाय शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को काम करने की खुली छूट दे दी थी। उनकी सहूलियत के लिए नीतीश ने चंद्रशेखर का विभाग भी बदल दिया। जैसे संकेत मिल रहे हैं, नए शिक्षा मंत्री आलोक मेहता महकमे के अपर मुख्य सचिव के काम में बाधा नहीं डालेंगे। नीतीश की सख्त हिदायत है कि केके पाठक के काम में कोई दखलंदाजी नहीं होनी चाहिए। नीतीश कुमार से लोजपा आर के अध्यक्ष चिराग पासवान और पूर्व सीएम जीतन राम मांझी का भले ही छत्तीस का आंकड़ा रहा हो, पर केके पाठक के प्रति दोनों के मन में आदर-सम्मान का भाव रहा है। जीतन राम मांझी तो उनकी तारीफ करते हुए यहां तक कह गए कि उन्हें बिहार का मुख्य सचिव बना देना चाहिए। इससे बिहार का भला होगा। चिराग पासवान ने कहा कि जिस तरह पूर्व शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर अपने बयानों से जातिवाद को बढ़ा दे रहे थे, वैसे में उन्हें हटाया जाना सरकार का उचित कदम है। इसको इस रूप में भी समझा जा सकता है कि केके पाठक ने नीतीश की छवि को इतना सुधार दिया है कि विरोधी भी अब नीतीश के फैसले की तारीफ करने लगे हैं।
इसे महज संयोग कहें या नीतीश कुमार की कोई चाल मानें कि केके पाठक जब छुट्टी पर गए तो उनके इस्तीफे का चौतरफा शोर हुआ। जिस दिन वे छुट्टी से लौटे, उसके अगले ही दिन नीतीश ने चंद्रशेखर को शिक्षा मंत्री के पद से हटा दिया और आलोक मेहता को नई जिम्मेवारी दे दी गई। आलोक मेहता इसके पहले भूमि सुधार और राजस्व महकमे के मंत्री थे। आलोक मेहता ने नीतीश द्वारा नई जिम्मेवारी देने के बाद जिस अंदाज में उनका धन्यवाद किया, उससे इतना तो स्पष्ट हो ही जाता है कि वे इससे खुश हैं और केके पाठक के काम में शायद ही दखलंदाजी की हिमाकत करें। हालांकि राजनीतिक गलियारे में चर्चा यही रही है कि चंद्रशेखर के विवादित बयानों और अपने एसीएस केके पाठक से उनकी बेपटरी से नीतीश बेहद खफा थे। नाराजगी के कारण ही केके पाठक ने छुट्टी पर जाने का फैसला किया। कहा तो यह भी जा रहा है कि पाठक छुट्टी से लौट कर शिक्षा विभाग छोड़ना चाहते थे। इसकी वजह अपने विभागीय मंत्री से उनकी बेपटरी ही कारण थी। नीतीश को यह नागवार लगा और उन्होंने अपनी नाराजगी आरजेडी के शीर्ष नेतृत्व से जाहिर कर दी। नीतीश इतने नाराज थे कि अगले ही दिन आरजेडी नेता और बिहार के डेप्युटी सीएम तेजस्वी यादव अपने पिता और पार्टी के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के साथ नीतीश के दरबार में पहुंच गए। तकरीबन घंटे भर तीनों नेताओं ने राय-मशविरा किया। आखिरकार चंद्रशेखर का विभाग बदलने पर बेमन से ही सही, आरजेडी ने सहमति दे दी। चूंकि यह विभाग आरजेडी कोटे का था, इसलिए किसी और को मंत्री बनाने के बजाय भूमि-राजस्व मंत्री आलोक मेहता को शिक्षा विभाग की जिम्मेवारी देने की सलाह आरजेडी के शीर्षस्थ नेताओं ने दी।
यह भी सच है कि केके पाठक के शिक्षा विभाग का एसीएस बनाए जाने के बाद बिहार की शिक्षा व्यवस्था पटरी पर आने लगी। स्कूलों में समय से शिक्षक आने-जाने लगे तो छात्रों की उपस्थिति भी बढ़ी। कोचिंग संचालकों पर नकेल कस कर पाठक ने उनकी भी कमर तोड़नी शुरू कर दी। जीतन राम मांझी तो उनकी तारीफ करते हुए यहां तक कह गए कि उन्हें बिहार का मुख्य सचिव बना देना चाहिए। इससे बिहार का भला होगा। चिराग पासवान ने कहा कि जिस तरह पूर्व शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर अपने बयानों से जातिवाद को बढ़ा दे रहे थे, वैसे में उन्हें हटाया जाना सरकार का उचित कदम है। इसको इस रूप में भी समझा जा सकता है कि केके पाठक ने नीतीश की छवि को इतना सुधार दिया है कि विरोधी भी अब नीतीश के फैसले की तारीफ करने लगे हैं।लोग भी यह मानते हैं कि कोचिंग के लोभ में बच्चे स्कूलों में नामांकन तो लेते थे, लेकिन वहां न जाकर वे कोचिंग क्लासेज में चले जाते थे। इतना ही नहीं, सरकारी स्कूलों के शिक्षक भी कोचिंग क्लास चलाने लगे थे। पाठक ने उन्हें भी स्कूल आने के लिए मजबूर कर दिया।