जब गर्मी तेज होती जाती है तो उसे हीटस्ट्रोक बोलते हैं, ऐसे में यदि हीटस्ट्रोक किसी व्यक्ति के दिमाग पर चड़ जाए तो बहुत ही ज्यादा बुरी और हानिकारक साबित हो सकती है!
देश के कई राज्यों में पिछले दिनों तापमान में बढ़ोतरी के साथ तेज गर्म हवाओं ने गर्मी बढ़ा दी है। यूं गर्मी के मौसम में ये कोई नई बात नही। देश के कई हिस्सों में अभी तापमान 40 डिग्री या इससे भी अधिक है। मौसम में यह गर्माहट हम इंसानों द्वारा पर्यावरण को पहुंचाए गए नुकसान और बढ़ते प्रदूषण का भी नतीजा है।
बहरहाल, मौसम चाहे कैसा भी हो, तापमान चाहे कितना भी ज्यादा जो। नियमित दफ्तर जाने या काम के लिए घर से निकलने वालों के पास घर में बन्द रहने का विकल्प नहीं होता और बाहर निकलते ही तेज गर्मी कई तरह से शिकार बनाने को तैयार रहती है। लू लगना या हीट स्ट्रोक इसी तरह की आम समस्या है, जिसे लेकर खास सावधानी रखने की जरूरत होती है। ध्यान न देने पर यह समस्या जानलेवा भी हो सकती है।
हीट स्ट्रोक का मतलब है शरीर का जरूरत से ज्यादा गर्म हो जाना। अधिकांशतः यह उन लोगों के साथ होता है जो लम्बे समय तक तेज धूप और बढ़े हुए तापमान के सीधे संपर्क में रहते हैं। इसके कारण शरीर का तापमान 104 डिग्री फेरेनहाइट या इससे भी ऊपर तक पहुंच सकता है। यह स्थिति कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है, जिसको लेकर लोगों को विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए।
बढ़े हुए तापमान का बुरा असर शरीर के बाकी हिस्सों के साथ दिमाग तक भी पहुंच सकता है। इसकी वजह से दिमाग की स्थिति और व्यवहार में भी असंतुलन पैदा हो सकता है। बोलते समय लड़खड़ाना, चिड़चिड़ाहट, भ्रम, बैचेनी जैसे लक्षण इसमें काफी सामान्य हैं। इन स्थितियों में त्वरित बचाव के उपाय करना आवश्यक हो जाता है।
मानसिक स्थिति पर नजर रखने के साथ ही अन्य लक्षणों को भी ध्यान में रखें। जैसे शरीर के तापमान का अधिक बढ़ना, शरीर की नमी का कम होना और त्वचा का रूखा होना, पसीने के कम होना, जी घबराना और उल्टी आना, त्वचा का लाल पड़ना, सांसों का तेज चलना और धड़कनों का बढ़ जाना तथा सिरदर्द की समस्या पर इन दिनों विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
हीट स्ट्रोक के लक्षण दिखते ही तुरन्त डॉक्टर से संपर्क करें। इलाज मिलने तक मरीज को घर के अंदर या किसी छांव वाली जगह पर रखें। शरीर के तापमान को कम करने का प्रयास करें। उसे पानी भरे टब में या शॉवर के नीचे खड़ा कर दें। गीले तौलिए, आइस पैक्स आदि मरीज के माथे, गर्दन, बगल में रखें। इन उपायों से शरीर के तापमान को कंट्रोल किया जा सकता है।