आज हम आपको बताएंगे कि एनकाउंटर स्पेशलिस्ट दया नायक सुपर कॉप कैसे बने! जिसके नाम से छोटे-मोटे अपराधी नहीं बल्कि पूरा अंडरवर्ल्ड भी घबराता था, वो नाम था दया नायक। मुंबई के सुपर कॉप दया नायक को शायद ही कोई हो जो न पहचानता हो। एक दो नहीं बल्कि 85 से भी ज्यादा एनकाउंटर दया नायक के नाम हैं। दाऊद इब्राहिम, छोटा राजन, छोटा शकील, एक जमाने में हर किसी की नींद इस सुपर कॉप से उड़ा दी थी। एक के बाद एक अंडरवर्ल्ड के गुर्गों का मुंबई से सफाया करके इंस्पेक्टर दया नायक ने अपनी अलग पहचान बनाई। दया नायक की कहानी बेहद फिल्मी है। उनका जन्म कर्नाटक के उडूपी में हुआ। जब दया काफी छोटे थे तभी पिता ने दया की मां का साथ छोड़ दिया। मां ने तीन-बच्चों को बड़ी मुश्किल से पाला। बेहद छोटी उम्र में काम की तलाश में दया नायक मुंबई आ गए। कभी प्लेटफॉर्म पर रात गुजरी तो कभी सड़कों पर। मुंबई की झुग्गी में ही वो जवान हुए। घर के हालात ऐसे थे कि दो वक्त की रोटी तक सही से नहीं मिल पाती थी,लेकिन ये जाबाज सिपाही तो शुरू से ही जुझारू था।
मुंबई में दया नायक ने एक होटल में वेटर की नौकरी की। थोड़े बहुत पैसे मिलने लगे तो उन्होंने साथ में अपनी पढ़ाई भी करनी शुरू की। दया ने एसएससी की परीक्षा भी पास की, लेकिन उनका सपना था खाकी वर्दी पहनने का। अपनी मेहनत और कोशिशों के दम पर दया ने 1995 परीक्षा पास करके मुंबई पुलिस में सब इंस्पेक्टर की नौकरी ज्वाइन की। बस ये शुरुआत थी एक सितारे के चमकने की। मुंबई ही नहीं बल्कि देश के सबसे फेमस पुलिस ऑफिसर बनने की। देश के दस बड़े एनकाउंटर स्पेशलिस्ट में अगर नाम लिया जाए दया नायक का नाम उसमें शुमार होता है।
नब्बे के दशक में मुंबई में दाऊद और उसके गुर्गों का आतंक था। इसके अलावा छोटा शकील, छोटा राजन, अरुण गवली जैसे डॉन भी अपना फन फैलाए हुए थे। दया नायक की पहली पोस्टिंग जुहु पुलिस स्टेशन में थी। थोड़े ही समय में उन्हें क्राइम इंटेलिजेंस युनिट में डाल दिया गया और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा के अंडर में वो काम करने लगे। 1996 में दया नायक ने पहला एनकाउंटर किया बबलू श्रीवास्तव गैंग के दो शूटर्स का। ये तो बस शुरूआत थी इसके बाद दया नायक ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। आए दिन अंडर्वर्ल्ड के शूटर के एनकाउंटर में मारे जाने की खबरें आती और नाम छपा होता दया नायक का। दाऊद भी दया के नाम से घबराने लगा था। मुंबई से अंडरवर्ल्ड का सफाया करने में दया नायक की बेहद अहम भूमिका मानी जाती है।
इस सुपर कॉप पर एक बार आतंकी हमला भी हुआ। दादर में उन्हें कुछ आतंकियों के छुपे होने की खबर मिली। जब वो वहां पहुंचे आतंकियों ने छुपकर उनपर फायरिंग शुरु कर दी। वो अपनी गोलियों से हमले का जवाब देने लगे, तभी उनके ऊपर बम फेंक दिया गया जिसमें वो बुरी तरह से घायल हो गए। करीब 17 दिन तक वो अस्पताल में रहे और बड़ी मुश्किल से उनकी जान बच पाई। अपने लंबे करियर में दया नायक को काफी शौहरत मिली, लेकिन उन पर कई आरोप भी लगे। कहा गया कि अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा शकील के लिए काम करते हैं। दया नायक पर मकोका लगा। उनकी जांच हुई। 2006 में उन्हें जेल भी जाना पड़ा, लेकिन जांच में वो निर्दोष पाए गए। 2010 में उनके ऊपर से मकोका कानून हटा दिया गया और उन्हें वापस पुलिस में नौकरी मिली।
दया नायक अपने स्कूल को लेकर भी काफी चर्चा में रहे। दरअसल दया नायक अपने गांव में एक स्कूल चलाते हैं। करीब 17 दिन तक वो अस्पताल में रहे और बड़ी मुश्किल से उनकी जान बच पाई। अपने लंबे करियर में दया नायक को काफी शौहरत मिली, लेकिन उन पर कई आरोप भी लगे। कहा गया कि अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा शकील के लिए काम करते हैं। दया नायक पर मकोका लगा। उनकी जांच हुई। 2006 में उन्हें जेल भी जाना पड़ा, लेकिन जांच में वो निर्दोष पाए गए। 2010 में उनके ऊपर से मकोका कानून हटा दिया गया और उन्हें वापस पुलिस में नौकरी मिली।जब इस स्कूल की ओपनिंग हुई तो उन्होंने इसके लिए बॉलीवुड के कई फेमस लोगों को बुलाया। अमिताभ बच्चन भी दया के स्कूल की ओपनिंग में पहुंचे। लोगों ने दया नायक अपने पद का गलत इस्तेमाल करने के आरोप लगाए। उनक जिंदगी हमेशा ही बेहद उथल-पुथल भरी रही, लेकिन उनकी पहचान हमेशा एक हीरो के रूप में ही रही। दया नायक इतने मशहूर कॉप रहे कि बॉलीवुड की कई फिल्में उनकी जिंदगी पर बनाई गई है। अब तक छप्पन में नाना पाटेकर दया नायक का ही रोल निभाया है।