एक ऐसा प्लेन क्रैश जिसे पाकिस्तान सहित भारत भी नहीं भूल पाया! 14 अगस्त को अपनी आजादी का जश्न मनाने के तीन दिन बाद यानी 17 अगस्त को पाकिस्तान में कुछ लोगों ने एक तानाशाह को याद किया। आप भी सोच रहे होंगे भला तानाशाह को कौन याद करता है लेकिन पाकिस्तान में ऐसा हुआ है। यहां पर लोगों ने जनरल जिया उल हक को उनकी 34वीं बरसी पर याद किया। 17 अगस्त 1988 को जिया उल-हक की मौत हो गई थी। जिया उल हक सी-130 एयरक्राफ्ट पर सवार थे जब उनका प्लेन क्रैश हो गया और उनकी मौत हो गई। ये क्रैश बहावलपुर के करीब हुआ था। हादसे के समय प्लेन इस्लामाबाद के दक्षिण में 531 किलोमीटर दूर था। इस हादसे के समय जिया उल-हक राष्ट्रपति तो थे ही साथ ही सेना प्रमुख का जिम्मा भी संभाले थे। हादसे में अमेरिका के राजदूत रहे अर्नाल्ड ल्यूइस राफेल और कई टॉप पाक मिलिट्री ऑफिसर्स भी मारे गए थे। प्लेन में पाक के ज्वॉइन्ट चीफ ऑफ स्टाफ के मुखिया जनरल अख्तर अब्दुल रहमान भी थे।
साजिश थी मौत
जनरल हक को बहावलपुर अमेरिका के टैंक एमआई अब्राहम का टेस्ट देखने के लिए जाना था। कई बार पाकिस्तानी मीडिया में ये दावा किया गया है कि वो पहले नहीं जाना चाहते थे लेकिन ऑफिसर्स के दवाब की वजह से उन्होंने अपना फैसला बदल दिया। कुछ साल पहले जनरल के बेटे एजाजुल हक ने बीबीसी को इंटरव्यू दिया था। इस इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि उनके पिता को इस दौरे से पहले अलर्ट भी किया गया था।
उन्होंने बताया कि परिवार ने इस केस को आगे बढ़ाया लेकिन वो ज्यादा कुछ नहीं कर सके। एजाजुल का आरोप था कि अमेरिका और पाकिस्तान एयरफोर्स की तरफ से ज्वॉइन्ट जांच के बाद से ही इस क्रैश को एक हादसा बताने की कोशिशें की गईं। 34-35 पेजों की रिपोर्ट जब आई तो राष्ट्रपति का पद संभालने वाले गुलाम इश्हाक खान ने भी इसका ऐलान कर दिया। एजाजुल मानते हैं कि ये हादसा नहीं था बल्कि साजिश थी।
एयर कमोडोर जहीर जैदी ने इस मामले में कई इन्क्वॉयरी भी कीं लेकिन कोई सुराग हाथ नहीं लग सका था। उन्होंने चुपचाप बिना किसी को बताए पाक की एक लैब से प्लेन के कुछ हिस्से उठा लिए थे। उनके रिश्तेदार इस टॉप लैबोरेट्री के चेयरमैन थे तो जल्दी ही केमिकल एनालिसिस भी कर ली गई। कुछ सामान की जांच की गई जिसमें आम के छिलके और कुछ और पार्ट्स शामिल थे।एजाजुल की मानें तो इस रिपोर्ट से साबित हुआ था कि ये एक साजिश थी। उन्होंने बताया कि मलबे और बाकी चीजों की जांच से पता लगा था कि उन पर काफी मात्रा में फास्फोरस था। साथ ही कुछ और चीजें भी मिली थीं जिनसे साजिश की बात साबित होती है। एजाजुल को आज भी शक है कि प्लेन में रखी आम की पेटियों में विस्फोटक था। इसके अलावा किसी मिसाइल ने भी प्लेन को निशाना बनाया था।
जिया की मौत के बाद जब पाकिस्तान में चुनाव हुए तो बेनजीर भुट्टो सत्ता में आईं। उन्होंने खुद अपनी आटोबायोग्राफी ‘द डॉटर ऑफ द ईस्ट’ में लिखा था कि जिया की मौत ईश्वर का कारनामा थी। पाकिस्तान के कुछ अधिकारियों को अमेरिकी इंटेलीजेंस एजेंसी सीआईआई के अलावा भारत और इजरायल के इंटेलीजेंस एजेंसिया पर भी शक था।
एजाजुल के मुताबिक इस हादसे में पूर्व आर्मी चीफ जनरल मिर्जा असलम बेग, पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जनरल महमूद अली दुर्रानी का रोल काफी संदिग्ध था।
एयर कमोडोर जहीर जैदी ने इस मामले में कई इन्क्वॉयरी भी कीं लेकिन कोई सुराग हाथ नहीं लग सका था। उन्होंने चुपचाप बिना किसी को बताए पाक की एक लैब से प्लेन के कुछ हिस्से उठा लिए थे। उनके रिश्तेदार इस टॉप लैबोरेट्री के चेयरमैन थे तो जल्दी ही केमिकल एनालिसिस भी कर ली गई। कुछ सामान की जांच की गई जिसमें आम के छिलके और कुछ और पार्ट्स शामिल थे।एजाजुल की मानें तो इस रिपोर्ट से साबित हुआ था कि ये एक साजिश थी। उन्होंने बताया कि मलबे और बाकी चीजों की जांच से पता लगा था कि उन पर काफी मात्रा में फास्फोरस था। साथ ही कुछ और चीजें भी मिली थीं जिनसे साजिश की बात साबित होती है। एजाजुल को आज भी शक है कि प्लेन में रखी आम की पेटियों में विस्फोटक था। इसके अलावा किसी मिसाइल ने भी प्लेन को निशाना बनाया था।
जिया की मौत के बाद जब पाकिस्तान में चुनाव हुए तो बेनजीर भुट्टो सत्ता में आईं। उन्होंने खुद अपनी आटोबायोग्राफी ‘द डॉटर ऑफ द ईस्ट’ में लिखा था कि जिया की मौत ईश्वर का कारनामा थी। पाकिस्तान के कुछ अधिकारियों को अमेरिकी इंटेलीजेंस एजेंसी सीआईआई के अलावा भारत और इजरायल के इंटेलीजेंस एजेंसिया पर भी शक था।
एजाजुल का कहना था कि जो सुबूत मिले थे उसके बाद रॉ और मोसाद पर भी शक गहरा गया था। एजाजुल अब अपने पिता की मौत पर एक किताब लिख रहे हैं।