रूस अब भारत का चौथा ट्रेडिंग पार्टनर बन चुका है! पिछले दिनों अमेरिका और पश्चिमी देशों के भारी विरोध के बाद भी मोदी सरकार ने अपनी विदेश नीति से बिलकुल भी समझौता नहीं किया था। भारत ने रूस के साथ अपना व्यापार जारी रखा है। भारत और रूस की दोस्ती हमेशा से ही मजबूत रही है। भारत और रूस एक मजबूत व्यापारिक भागीदार बनकर सामने आए हैं। दोनों देशों के मजबूत रिश्तों का ही नतीजा है कि अब रूस भारत का चौथा ट्रेडिंग पार्टनर बन गया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल से दिसंबर के दौरान देश से आयात पांच गुना तक बढ़ गया है। अब आयात बढ़कर 32.9 अरब डॉलर हो गया है। इसी के साथ रूस भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया है। रूस से भारत मुख्य रूप से कच्चा तेल और फर्टिलाइजर आयात कर रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध छिड़ने के बाद, पश्चिम ने मास्को पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसकी वजह से उसके ट्रेड के अवसर सीमित हो गए थे। भारत ने इसे नीदरलैंड और ब्राजील जैसे देशों को पेट्रोल और डीजल के निर्यात को बढ़ावा देने के अवसर के रूप में देखते हुए कच्चे पेट्रोलियम के लिए रूस के साथ सौदेबाजी की है। कच्चे तेल के व्यापार बढ़ने की वजह से ही रूस पिछले वित्तीय वर्ष में भारत का 20वां सबसे बड़ा आयात स्रोत बन गया।
रिपोर्ट के मुताबिक, अगर भारत का रूस के साथ व्यापार इसी तरह से बढ़ता रहा तो रूस का आयात 50 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। हालांकि यह अमेरिका से भेजे गए माल के मूल्य से काफी कम है, जो भारत के लिए आयात का तीसरा सबसे बड़ा स्रोत है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूस से भारत का फर्टिलाइजर का आयात एक अप्रैल से शुरू होने वाले वर्ष के पहले 6 महीनों में 371 फीसदी तक बढ़ गया है। यह रेकॉर्ड 2.15 मिलियन टन हो गया है। रूस के साथ बढ़ते द्विपक्षीय व्यापार के बीच, भारत स्थानीय पूंजी में व्यापार को सुविधाजनक बनाने की कोशिश कर रहा है। पिछले साल फरवरी में रूस-यूक्रेन युद्ध छिड़ने के बाद से ही भारत रूस के साथ रुपये में व्यापार करने का रास्ता तलाश रहा है, लेकिन देशों ने अभी तक नियमों को औपचारिक रूप नहीं दिया है। नई दिल्ली में अधिकारियों के मुताबिक, भारत रूस को इलेक्ट्रॉनिक सामानों के निर्यात में भी बढ़ोतरी करना चाहता है। इसके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
रूस के साथ भारत के रिश्ते काफी मजबूत रहे हैं। भारत रूस से बड़ी मात्रा में हथियार भी खरीदता है। आंकड़ों के मुताबिक 1991 के बाद से अब तक भारत रूस से 70 बिलियन डॉलर के सैन्य उपकरण खरीद चुका है क्योंकि अमेरिकी उपकरणों की तुलना में रूस के हथियार सस्ते भी हैं। पुतिन और मोदी की दोस्ती भी काफी मजबूत है। दुनिया के मंच पर भारत की ताकत कैसे बढ़ रही है इस बात को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बयान से समझा जा सकता है। रूसी राष्ट्रपति ने कई मौकों पर जमकर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की है।
रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद से ही यूरोपीय देशों की ओर से रूस पर प्रतिबंध लगाए जाने शुरू हो गए थे। अमेरिका समेत कुछ और देश ऐसा चाहते थे कि जो वह फैसला कर रहे हैं उसे बाकी देश भी माने। अमेरिका और पश्चिमी देश भारत से अपेक्षा कर रहे थे कि वह रूस के खिलाफ एक्शन में उनका साथ दे लेकिन भारत अपने स्टैंड पर कायम रहा था।आंकड़ों के मुताबिक 1991 के बाद से अब तक भारत रूस से 70 बिलियन डॉलर के सैन्य उपकरण खरीद चुका है क्योंकि अमेरिकी उपकरणों की तुलना में रूस के हथियार सस्ते भी हैं। पुतिन और मोदी की दोस्ती भी काफी मजबूत है। दुनिया के मंच पर भारत की ताकत कैसे बढ़ रही है इस बात को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बयान से समझा जा सकता है। रूसी राष्ट्रपति ने कई मौकों पर जमकर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की है। इसके बाद रूस से तेल आयात करने का भारत ने बड़ा फैसला किया था। इस फैसले से भी कई देशों को हैरानी हुई वहीं भारत ने यह बता दिया था कि जो देशहित में होगा वही होगा। भारत ने पिछले साल इस पूरे मुद्दे पर यह क्लियर कर दिया था कि जिस तरह अन्य देश अपने-अपने हितों को तवज्जो देते हैं, उसी तरह भारत भी रूस के साथ अपने ऐतिहासिक संबंधों को ध्यान में ही रखकर फैसला करेगा।